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ग्रेटर नोएडा: परी चौक के अलावा किसी भी गोलचक्कर का नहीं हुआ नामकरण

ग्रेटर नोएडा के गोलचक्कर अब तक नाम से महरूम हैं. परी चौक के अलावा किसी भी गोलचक्कर का नामकरण नहीं हुआ. यूं कहें कि प्राधिकरण ने अब तक किसी भी गोलचक्कर का नाम रखा ही नहीं है.

no one traffic roundabout named
किसी भी गोलचक्कर का नहीं हुआ नामकरण
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Published : Sep 6, 2020, 8:08 AM IST

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: नाम बदलने के इस दौर में कुछ ऐसी भी चीजें हैं जिनका कोई नाम ही नहीं है. मतलब अब तक वो बेनाम हैं. ग्रेटर नोएडा के गोलचक्करों की कहानी कुछ ऐसी ही है. आलम ये है कि कई दशक बाद भी प्राधिकरण की ओर से सभी गोलचक्करों का नामकरण नहीं किया जा सका है.

किसी भी गोलचक्कर का नहीं हुआ नामकरण


स्थानीय लोगों ने की गोलचक्कर का नाम रखने की मांग

लेकिन अब इस शहर में रहने वाले लोगों ने गोलचक्कर का नामकरण करने की मांग की है. स्थानीय लोगों ने प्राधिकरण एवं सरकार से अपील की है कि इस देश में ऐसे कई महान पुरुष हुए जिन्होंने देश के लिए कुर्बानी दी, इस देश की तरक्की में अपना योगदान दिया. इसलिए उनके नाम पर गोलचक्करों का नाम रखा जाना चाहिए. स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता आलोक सिंह ने बताया कि जब से वो इस शहर में आए हैं गोलचक्करों के नामकरण की मांग कर रहे हैं. वहीं स्थानीय निवासी बृजेश तिवारी ने भी कहा कि प्राधिकरण को गोलचक्कर के नामकरण पर पहल करनी चाहिए.

28 जनवरी 1991 को हुई थी जिले की स्थापना
गौरतलब है कि जिला गौतमबुद्ध नगर की स्थापना 28 जनवरी 1991 को हुई थी. पूरी तरीके से ये शहर आधुनिक बनाया गया था. इस शहर में हरियाली पर विशेष ध्यान दिया देते हर सेक्टर में पार्क और ग्रीन बेल्ट बनाई गई थी. सड़कों को जाम मुक्त बनाने के लिए चौड़ी सड़कों का भी निर्माण किया गया इसके अलावा सर्विस रोड अलग से बनाई गई थी. साथ ही ट्रैफिक जाम से मुक्ति के लिए गोलचक्कर बनाए गए, जिनका नाम अल्फा, बीटा, डेल्टा, सिग्मा रखा गया. लेकिन सभी गोलचक्करों का नामकरण नहीं हो सका.

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: नाम बदलने के इस दौर में कुछ ऐसी भी चीजें हैं जिनका कोई नाम ही नहीं है. मतलब अब तक वो बेनाम हैं. ग्रेटर नोएडा के गोलचक्करों की कहानी कुछ ऐसी ही है. आलम ये है कि कई दशक बाद भी प्राधिकरण की ओर से सभी गोलचक्करों का नामकरण नहीं किया जा सका है.

किसी भी गोलचक्कर का नहीं हुआ नामकरण


स्थानीय लोगों ने की गोलचक्कर का नाम रखने की मांग

लेकिन अब इस शहर में रहने वाले लोगों ने गोलचक्कर का नामकरण करने की मांग की है. स्थानीय लोगों ने प्राधिकरण एवं सरकार से अपील की है कि इस देश में ऐसे कई महान पुरुष हुए जिन्होंने देश के लिए कुर्बानी दी, इस देश की तरक्की में अपना योगदान दिया. इसलिए उनके नाम पर गोलचक्करों का नाम रखा जाना चाहिए. स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता आलोक सिंह ने बताया कि जब से वो इस शहर में आए हैं गोलचक्करों के नामकरण की मांग कर रहे हैं. वहीं स्थानीय निवासी बृजेश तिवारी ने भी कहा कि प्राधिकरण को गोलचक्कर के नामकरण पर पहल करनी चाहिए.

28 जनवरी 1991 को हुई थी जिले की स्थापना
गौरतलब है कि जिला गौतमबुद्ध नगर की स्थापना 28 जनवरी 1991 को हुई थी. पूरी तरीके से ये शहर आधुनिक बनाया गया था. इस शहर में हरियाली पर विशेष ध्यान दिया देते हर सेक्टर में पार्क और ग्रीन बेल्ट बनाई गई थी. सड़कों को जाम मुक्त बनाने के लिए चौड़ी सड़कों का भी निर्माण किया गया इसके अलावा सर्विस रोड अलग से बनाई गई थी. साथ ही ट्रैफिक जाम से मुक्ति के लिए गोलचक्कर बनाए गए, जिनका नाम अल्फा, बीटा, डेल्टा, सिग्मा रखा गया. लेकिन सभी गोलचक्करों का नामकरण नहीं हो सका.

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