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नारी तू नारायणीः गरीब बच्चियों की शिक्षा और बुजुर्ग महिलाओं के कल्याण में जीवन समर्पित

नवरात्रि के 9 दिनों में नारी शक्ति स्वरूपा की आराधना की जाती है. ऐसे में हम आपको एक ऐसी नारी से मिलवा रहे हैं, जिन्होंने महिलाओं, बच्चों और वृद्धों के उत्थान के लिए सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर मिसाल पेश की हैं. आइए मिलते हैं ग्रेटर नोएडा की अंजू पुंडीर से...

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Published : Oct 3, 2022, 6:04 AM IST

नई दिल्ली/नोएडाः अंजू पुंडीर अपने परिवार के साथ ग्रेटर नोएडा में रहती हैं और पिछले एक दशक से महिलाओं के सशक्तिकरण, उत्थान और उनको आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रही हैं. साथ ही वह गरीब और निर्धन बच्चियों की पढ़ाई में भी मदद करती हैं. वह असहाय बच्चियों की फीस जमा कर उन्हें स्कूलों में एडमिशन भी कराती हैं. इसके अलावा वह वृद्ध महिलाओं की भी मदद करती हैं.

वृद्धाश्रम जाकर वहां के बुजुर्गों के साथ त्योहार मनाती हैं. ताकि वहां रहनेवाले बुजुर्ग महिलाएं खुद को अकेला महसूस न कर सकें. कोरोना के समय कई महीनों तक लोगों को खाना बांटकर और सर्दियों में कंबल बांटकर उन्होंने लोगों की मदद की. अंजू ग्रेटर नोएडा में महिला शक्ति सामाजिक समिति नामक संस्था में सचिव हैं.

महिलाओं के अधिकारों के लिए चलती हैं अभियानः पुंडीर ने बताया कि उनका संगठन महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाता है, जिसमें महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी जाती है.

साथ ही महिलाओं के साथ हो रहे पारिवारिक विवाद में संगठन आपसी सहमति से महिला और उनके परिवार के लोगों को एक साथ बैठक कर उनके गिले-शिकवे दूर कर विवाद को सुलझाने का काम करता है. उसके बाद भी अगर विवाद नहीं सुलझता है तो महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए संगठन उनकी लड़ाई लड़ता है, जिसके लिए पुलिस और प्रशासन से भी महिलाओं को मदद पहुंचाई जाती है. महिलाओं को परेशानी में मदद के लिए संगठन ने मोबाइल नंबर भी जारी किया है. उस पर किसी भी महिलाओं को समस्या के समय संगठन के सदस्यों के पास कॉल कर आसानी से मदद मिल जाती है.

महिला उत्थान की दिशा में प्रयासरत अंजू पुंडीर
वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को कराती हैं अपनेपन का एहसासः
उन्होंने बताया कि हमारे समाज में अजीब विडंबना है कि जहां एक तरफ श्राद्ध पक्ष को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं और अपने पितरों-पूर्वजों के लिए प्रार्थना पूजा सहित अन्य आयोजन करते हैं. वहीं, घर में मौजूद बुजुर्गों को वृद्धाश्रम भेज देते हैं. ऐसे में हमारा संगठन वृद्धाश्रम में जाकर उनके साथ त्योहार और उत्सव मनाते हैं, जिससे वहां रहने वाले बुजुर्गों को अकेलापन महसूस ना हो. संगठन के साथ वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्ग अपनापन महसूस करते हैं और इससे उन्हें लगता है कि कोई है जो उनके बारे में सोचता है और उनको अपना मानता है. संगठन के सदस्य समय-समय पर वृद्धाश्रम जाकर वहां पर रहने वाले बुजुर्गों के साथ समय बिताते हैं.
असहाय बच्चियों को स्कूलों में एडमिशन भी कराती हैं अंजू.
असहाय बच्चियों को स्कूलों में एडमिशन भी कराती हैं अंजू.


ये भी पढ़ेंः नारी तू नारायणी: गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर संवार रही हैं भविष्य, इंग्लिश मीडियम में कराती हैं पढ़ाई

गरीब बच्चियों की फीस जमा कर कराती हैं पढ़ाईः ऐसी गरीब बच्चियां जिनके परिजन उनकी पढ़ाई नहीं करा सकते और आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पैरेंट्स बच्चों को स्कूल भेजने में सक्षम नहीं होते, उनके लिए संगठन अपने पास से उनकी फीस जमा कर उनकी पढ़ाई करवाती है. साथ ही स्कूलों में गरीबों के लिए आरक्षित 25% कोटा में बच्चों के एडमिशन कराने में मदद करती है. इसके लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना शिक्षा के अधिकार द्वारा गरीब बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराती हैं और उनको पढ़ने के लिए किताब, कॉपी और अन्य सामान उपलब्ध कराती हैं.

ये भी पढ़ें: Nari Tu Narayani : महिलाएं हो तन और मन से मजबूत, यह समय की जरूरत और नवरात्रि की सीख भी


कोरोना के दौरान गरीबों को मुफ्त खाना खिलायाः देश में कोरोना महामारी के दौरान सभी के कामकाज बंद हो गए थे और देश में लॉकडाउन लग गया था. ऐसे में गरीबों की मदद करने के लिए अंजू पुंडीर ने उन्हें खाना खिलाने की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने स्वयं के पास से राशन लेकर गरीबों को देना शुरू किया.

धीरे-धीरे इस काम में अन्य लोगों ने भी सहायता की और उन्होंने कोरोना महामारी में दो महीने से भी अधिक समय तक लोगों को खाना बांट कर मदद की. साथ ही उन्होंने लावारिस घूमने वाले पशुओं के लिए भी चारा खिलाकर उनकी भूख मिटाने का प्रयास किया.

ये भी पढ़ें :- नारी तू नारायणी : एंबुलेंस ड्राइवर ट्विंकल कालिया, जो दो दशक से ज्यादा समय से कर रहीं जरूरतमंदों की सेवा

पारिवारिक घटना से मिली सामाजिक कार्य की प्रेरणाः पुंडीर ने बताया कि उनके परिवार में काफी समय पहले एक घटना घट गई थी, जिसको लेकर पूरा परिवार बहुत परेशान था. ऐसे में अंजू पुंडीर घर में ही रहती थी. तभी उनकी मुलाकात सामाजिक कार्यकर्ता रूपा गुप्ता से हुई, जिन्होंने उन्हें सामाजिक कार्य करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि समाज में निकल कर आप देखिए कि लोगों को कितनी परेशानी है.

इसके बाद अंजू पुंडीर ने अपने दुख को भूलकर लोगों की मदद करने का बीड़ा उठाया और सामाजिक कार्यों के द्वारा लोगों की मदद करने लगी. अंजू बताती है कि लोगों की मदद कर उन्हें संतुष्टि मिलती है कि उन्होंने किसी का भला किया है और तभी से अंजू पूरी टीम के साथ महिलाओं की मदद करती आ रही हैं, जिसमे उनके पति सतीश भी उनकी मदद करते हैं.

ये भी पढ़ें: नारी तू नारायणी : शिक्षा, खेल और संस्कार के लिए अलख जगा रहीं रेखा, गांवों में चला रहीं अभियान

नई दिल्ली/नोएडाः अंजू पुंडीर अपने परिवार के साथ ग्रेटर नोएडा में रहती हैं और पिछले एक दशक से महिलाओं के सशक्तिकरण, उत्थान और उनको आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रही हैं. साथ ही वह गरीब और निर्धन बच्चियों की पढ़ाई में भी मदद करती हैं. वह असहाय बच्चियों की फीस जमा कर उन्हें स्कूलों में एडमिशन भी कराती हैं. इसके अलावा वह वृद्ध महिलाओं की भी मदद करती हैं.

वृद्धाश्रम जाकर वहां के बुजुर्गों के साथ त्योहार मनाती हैं. ताकि वहां रहनेवाले बुजुर्ग महिलाएं खुद को अकेला महसूस न कर सकें. कोरोना के समय कई महीनों तक लोगों को खाना बांटकर और सर्दियों में कंबल बांटकर उन्होंने लोगों की मदद की. अंजू ग्रेटर नोएडा में महिला शक्ति सामाजिक समिति नामक संस्था में सचिव हैं.

महिलाओं के अधिकारों के लिए चलती हैं अभियानः पुंडीर ने बताया कि उनका संगठन महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाता है, जिसमें महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी जाती है.

साथ ही महिलाओं के साथ हो रहे पारिवारिक विवाद में संगठन आपसी सहमति से महिला और उनके परिवार के लोगों को एक साथ बैठक कर उनके गिले-शिकवे दूर कर विवाद को सुलझाने का काम करता है. उसके बाद भी अगर विवाद नहीं सुलझता है तो महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए संगठन उनकी लड़ाई लड़ता है, जिसके लिए पुलिस और प्रशासन से भी महिलाओं को मदद पहुंचाई जाती है. महिलाओं को परेशानी में मदद के लिए संगठन ने मोबाइल नंबर भी जारी किया है. उस पर किसी भी महिलाओं को समस्या के समय संगठन के सदस्यों के पास कॉल कर आसानी से मदद मिल जाती है.

महिला उत्थान की दिशा में प्रयासरत अंजू पुंडीर
वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को कराती हैं अपनेपन का एहसासः उन्होंने बताया कि हमारे समाज में अजीब विडंबना है कि जहां एक तरफ श्राद्ध पक्ष को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं और अपने पितरों-पूर्वजों के लिए प्रार्थना पूजा सहित अन्य आयोजन करते हैं. वहीं, घर में मौजूद बुजुर्गों को वृद्धाश्रम भेज देते हैं. ऐसे में हमारा संगठन वृद्धाश्रम में जाकर उनके साथ त्योहार और उत्सव मनाते हैं, जिससे वहां रहने वाले बुजुर्गों को अकेलापन महसूस ना हो. संगठन के साथ वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्ग अपनापन महसूस करते हैं और इससे उन्हें लगता है कि कोई है जो उनके बारे में सोचता है और उनको अपना मानता है. संगठन के सदस्य समय-समय पर वृद्धाश्रम जाकर वहां पर रहने वाले बुजुर्गों के साथ समय बिताते हैं.
असहाय बच्चियों को स्कूलों में एडमिशन भी कराती हैं अंजू.
असहाय बच्चियों को स्कूलों में एडमिशन भी कराती हैं अंजू.


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गरीब बच्चियों की फीस जमा कर कराती हैं पढ़ाईः ऐसी गरीब बच्चियां जिनके परिजन उनकी पढ़ाई नहीं करा सकते और आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पैरेंट्स बच्चों को स्कूल भेजने में सक्षम नहीं होते, उनके लिए संगठन अपने पास से उनकी फीस जमा कर उनकी पढ़ाई करवाती है. साथ ही स्कूलों में गरीबों के लिए आरक्षित 25% कोटा में बच्चों के एडमिशन कराने में मदद करती है. इसके लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना शिक्षा के अधिकार द्वारा गरीब बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराती हैं और उनको पढ़ने के लिए किताब, कॉपी और अन्य सामान उपलब्ध कराती हैं.

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कोरोना के दौरान गरीबों को मुफ्त खाना खिलायाः देश में कोरोना महामारी के दौरान सभी के कामकाज बंद हो गए थे और देश में लॉकडाउन लग गया था. ऐसे में गरीबों की मदद करने के लिए अंजू पुंडीर ने उन्हें खाना खिलाने की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने स्वयं के पास से राशन लेकर गरीबों को देना शुरू किया.

धीरे-धीरे इस काम में अन्य लोगों ने भी सहायता की और उन्होंने कोरोना महामारी में दो महीने से भी अधिक समय तक लोगों को खाना बांट कर मदद की. साथ ही उन्होंने लावारिस घूमने वाले पशुओं के लिए भी चारा खिलाकर उनकी भूख मिटाने का प्रयास किया.

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पारिवारिक घटना से मिली सामाजिक कार्य की प्रेरणाः पुंडीर ने बताया कि उनके परिवार में काफी समय पहले एक घटना घट गई थी, जिसको लेकर पूरा परिवार बहुत परेशान था. ऐसे में अंजू पुंडीर घर में ही रहती थी. तभी उनकी मुलाकात सामाजिक कार्यकर्ता रूपा गुप्ता से हुई, जिन्होंने उन्हें सामाजिक कार्य करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि समाज में निकल कर आप देखिए कि लोगों को कितनी परेशानी है.

इसके बाद अंजू पुंडीर ने अपने दुख को भूलकर लोगों की मदद करने का बीड़ा उठाया और सामाजिक कार्यों के द्वारा लोगों की मदद करने लगी. अंजू बताती है कि लोगों की मदद कर उन्हें संतुष्टि मिलती है कि उन्होंने किसी का भला किया है और तभी से अंजू पूरी टीम के साथ महिलाओं की मदद करती आ रही हैं, जिसमे उनके पति सतीश भी उनकी मदद करते हैं.

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