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नोएडा: अडॉप्ट देसी-बी स्वदेशी, 1 दर्जन से ज़्यादा स्ट्रे डॉग्स को विदेश भेजा गया - adopt desi be swadeshi campaign in noida

पीपल फॉर एनिमल के डायरेक्टर रूपसा मुखर्जी ने बताया कि स्ट्रे डॉग्स को पहले रेस्क्यू किया जाता है, उनकी देखभाल की जाती है. उसके बाद अडॉप्टेशन का प्रोसेस आगे बढ़ता है. अडॉप्टेशन को लेकर सोशल मीडिया का सहारा भी लिया जाता है.

more than 1 dozen Stray Dogs sent abroad from noida
नोएडा: अडॉप्ट देसी-बी स्वदेशी, 1 दर्जन से ज़्यादा स्ट्रे डॉग्स को विदेश भेजा गया
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Published : Feb 14, 2021, 5:44 PM IST

Updated : Mar 4, 2021, 1:59 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: यूपी के शो-विंडो नोएडा में स्ट्रे डॉग में किसी को खौफ दिखता है हो तो किसी का प्यार उमड़ता है. देश में भले ही विदेशी नस्ल के डॉग का क्रेज हो लेकिन विदेश में देसी डॉग का जलवा है. नोएडा से ही अब एक दर्जन स्ट्रे डॉग अडॉप्ट होकर यूरोपियन देशों में जा चुके हैं. सड़क पर वाहनों की ठोकर से लहूलुहान होकर पड़े रहे देशी डॉग की जिंदगी एडाप्ट होने के बाद यूएसए व कनाडा जाकर बदल गयी है.

1 दर्जन से ज़्यादा स्ट्रे डॉग्स को विदेश भेजा गया
देसी ब्रीड में भारतीय कम दिखाते रुचि

पीपल फॉर एनिमल के डायरेक्टर रूपसा मुखर्जी ने बताया कि स्ट्रे डॉग्स को पहले रेस्क्यू किया जाता है, उनकी देखभाल की जाती है. उसके बाद अडॉप्टेशन का प्रोसेस आगे बढ़ता है. अडॉप्टेशन को लेकर सोशल मीडिया सहारा भी लिया जाता है. उन्होंने कहा कि देसी ब्रीड को अडॉप्ट करने में भारतीय कम रुचि दिखाते हैं ऐसे में हमें विदेशों कर रुख करना पड़ता है. इंटरनेशनल अडॉप्टेशन एजेंसी के माध्यम से से डॉग्स का विदेशों में अडॉप्टेशन कराया जाता है.

अडॉप्टेशन की प्रक्रिया

फ्री डॉग्स को विदेशों में भेजने से पहले माइक्रोचिपिंग, ब्लड सैंपल, हेल्थ रिपोर्ट, अडॉप्ट करने वाली फैमिली का बैकग्राउंड चेक किया जाता है और सारी चीजें पॉजिटिव होने के बाद ही अडॉप्टेशन का प्रोसेस आगे बढ़ाया जाता है. अडॉप्टेशन के दौरान फ्लाइट वॉलिंटियर्स की मदद लेते हैं. जो उस रूट पर फ्लाइट से ट्रेवल कर रहे होते हैं. अडॉप्टेशन की प्रक्रिया पूरी तरीके से लीगल होती है. कागज की प्रक्रिया पूरी की जाती है और इस दौरान अडॉप्ट होने वाले स्ट्रे डॉग की ओनर यहां की संस्था होती है.


अडॉप्ट देसी, बी स्वदेशी

यूरोपियन देश,अमेरिका, स्विजरलैंड सहित कई विदेशों में अब तक 12 से ज्यादा स्ट्रे डॉग्स को अडॉप्ट किया गया है. इस दौरान उन्होंने अपील करते हुए कहा कि अडॉप्ट देसी-बी स्वदेशी ताकि सड़कों पर बेजुबान घूम रहे बेसहारों को सहारा मिले और उनकी नई जिंदगी की शुरुआत हो सके.

नई दिल्ली/नोएडा: यूपी के शो-विंडो नोएडा में स्ट्रे डॉग में किसी को खौफ दिखता है हो तो किसी का प्यार उमड़ता है. देश में भले ही विदेशी नस्ल के डॉग का क्रेज हो लेकिन विदेश में देसी डॉग का जलवा है. नोएडा से ही अब एक दर्जन स्ट्रे डॉग अडॉप्ट होकर यूरोपियन देशों में जा चुके हैं. सड़क पर वाहनों की ठोकर से लहूलुहान होकर पड़े रहे देशी डॉग की जिंदगी एडाप्ट होने के बाद यूएसए व कनाडा जाकर बदल गयी है.

1 दर्जन से ज़्यादा स्ट्रे डॉग्स को विदेश भेजा गया
देसी ब्रीड में भारतीय कम दिखाते रुचि

पीपल फॉर एनिमल के डायरेक्टर रूपसा मुखर्जी ने बताया कि स्ट्रे डॉग्स को पहले रेस्क्यू किया जाता है, उनकी देखभाल की जाती है. उसके बाद अडॉप्टेशन का प्रोसेस आगे बढ़ता है. अडॉप्टेशन को लेकर सोशल मीडिया सहारा भी लिया जाता है. उन्होंने कहा कि देसी ब्रीड को अडॉप्ट करने में भारतीय कम रुचि दिखाते हैं ऐसे में हमें विदेशों कर रुख करना पड़ता है. इंटरनेशनल अडॉप्टेशन एजेंसी के माध्यम से से डॉग्स का विदेशों में अडॉप्टेशन कराया जाता है.

अडॉप्टेशन की प्रक्रिया

फ्री डॉग्स को विदेशों में भेजने से पहले माइक्रोचिपिंग, ब्लड सैंपल, हेल्थ रिपोर्ट, अडॉप्ट करने वाली फैमिली का बैकग्राउंड चेक किया जाता है और सारी चीजें पॉजिटिव होने के बाद ही अडॉप्टेशन का प्रोसेस आगे बढ़ाया जाता है. अडॉप्टेशन के दौरान फ्लाइट वॉलिंटियर्स की मदद लेते हैं. जो उस रूट पर फ्लाइट से ट्रेवल कर रहे होते हैं. अडॉप्टेशन की प्रक्रिया पूरी तरीके से लीगल होती है. कागज की प्रक्रिया पूरी की जाती है और इस दौरान अडॉप्ट होने वाले स्ट्रे डॉग की ओनर यहां की संस्था होती है.


अडॉप्ट देसी, बी स्वदेशी

यूरोपियन देश,अमेरिका, स्विजरलैंड सहित कई विदेशों में अब तक 12 से ज्यादा स्ट्रे डॉग्स को अडॉप्ट किया गया है. इस दौरान उन्होंने अपील करते हुए कहा कि अडॉप्ट देसी-बी स्वदेशी ताकि सड़कों पर बेजुबान घूम रहे बेसहारों को सहारा मिले और उनकी नई जिंदगी की शुरुआत हो सके.

Last Updated : Mar 4, 2021, 1:59 PM IST
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