नई दिल्ली/नोएडा: देश को मेडल जितवाना हर खिलाड़ी का सपना होता है. लेकिन किस्मत साथ न दे तो काबिलियत भी किसी काम की नहीं. नोएडा की लॉरी नाम की छात्रा जो कराटे की होनहार खिलाड़ी थी उसे एक दुर्घटना में अपना पैर गंवाना पड़ गया. प्रशासन ने सहायता के जो भी वादे किए वो आजतक पूरे नहीं हुआ. हाल ये है कि इस होनहार खिलाड़ी को हक दिलाने के लिए परिजनों और साथियों को धरने पर बैठना पड़ गया है.
पिछले 7 दिनों से पीड़ित परिवार धरने पर बैठा है लेकिन प्रशासन बेफिक्र होकर इन्हें अनदेखा करता दिख रहा है. लोरी की मां नीलम का कहना है कि सिटी मजिस्ट्रेट ने लिखित में नौकरी दिलाने का अश्वासन दिया था. लेकिन दो महीने चक्कर काटने के बाद भी कुछ नहीं हुआ है. सहायता के नाम पर एक व्हील चेयर पकड़ा दिया गया है. नीलम कहती है कि व्हील चेयर पर बैठाकर मैं क्या भीख मांगू? प्रशासन जब तक नौकरी नहीं देता तब तक उनका आमरण अनशन जारी रहेगा.
मदद ना मिलने पर धरने पर बैठा परिवार
बता दें कि लोरी नोएडा के सेक्टर 22 में रहती है. नोएडा प्रसाशन ने लोरी और उसके माता पिता को आर्थिक मदद का आश्वाशन दिया था लेकिन 2 महीने बीत जाने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली. थक कर परिवार ने 24 जुलाई को धरने पर बैठने का फैसला किया.
पीड़ित परिवार के साथ लोरी के साथ पढ़ने वाले स्कूल के अन्य छात्र भी धरने पर बैठे हुए हैं. सभी लोरी को इंसाफ दिलाने की मांग कर रहे हैं.
छोटी सी दुकान से चलता है घर
लॉरी क पिता नोएडा के सेक्टर 10 में एक छोटी सी दुकान लगाकर अपने परिवार का पालनपोषण करते हैं. वे आज अपने बच्चों के साथ सिटी मजिस्ट्रेट के दफ्तर के बाहर बैठे कर अपनी बेटी के लिए इंसाफ मांग रहे हैं.
सत्रह साल की लोरी अपने परिवार के साथ सेक्टर-10 में रहती है. वह सेक्टर-12 स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में 12वीं की छात्रा है. कराटे में ब्लैक बेल्ट होने के साथ ही वह राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कई पुरस्कार भी जीत चुकी है. लोरी पढ़ाई के साथ कई स्कूल, एनजीओ और नोएडा स्टेडियम में बच्चों को कराटे की ट्रेनिंग देकर पढ़ाई व घर का खर्च निकालती थी.
दो महीने बाद भी काट रही चक्कर
22 मई की दोपहर सेक्टर-62 स्थित एक स्कूल में बच्चों को जूड़ो कराटे की ट्रेनिंग देकर वह स्कूटी से घर लौट रही थी. जब वह सेक्टर-12/22 रेड लाइट से आगे बृजवासी होटल के पास पहुंची, तभी तेज रफ्तार डीटीसी बस ने स्कूटी में पीछे से टक्कर मार दी. हादसे में लोरी का एक पैर बस के पहिए के नीचे आ गया. जिसके बाद इलाज के दौरान छात्रा का पैर कटवाना पड़ा था. लोरी के पिता कहते हैं कि जिला प्रशासन ने उस समय आर्थिक सहायता और नौकरी देने का वादा किया था. लेकिन दो महीने बीत जाने के बावजूद अभी तक कुछ नहीं मिला है.