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सावधान! नौकरी के लिए आए कॉल तो जांच-परख कर करें रिप्लाई, नहीं तो लुट जाएंगे आप

नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. ये खुलासा पुलिस ने नोएडा के कॉल सेंटर पर हुई छापेमारी में किया है.

नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी
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Published : Sep 23, 2019, 8:22 PM IST

Updated : Sep 23, 2019, 11:08 PM IST

नई दिल्ली: नौकरी दिलाने वाली वेबसाइट से युवाओं की जानकारी चोरी कर उन्हें नौकरी दिलाने के नाम पर ठगा जा रहा है. ये खुलासा पुलिस ने नोएडा के कॉल सेंटर पर हुई छापेमारी में किया है. इस कॉल सेंटर से युवाओं को नौकरी देने के नाम पर फोन कर ठगा जा रहा था. इस गैंग ने बीते आठ माह में एक हजार से ज्यादा लोगों से दो करोड़ रुपये ठग लिए थे.

नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी

महिला ने कर्मचारी बन किया कॉल
डीसीपी अन्येष रॉय के अनुसार कॉरपोरेट लॉयर की नौकरी तलाश रही एक महिला वकील ने अपना बायोडाटा एक नामी वेबसाइट पर अपलोड किया था. कुछ दिन बाद महिला को इस वेबसाइट की कर्मचारी बनकर एक महिला ने कॉल किया. उसने बताया कि वह उसका बायोडाटा कई बड़ी कंपनियों को भेज रही है. इसके बाद महिला को मेल भेजकर उनसे रजिस्ट्रेशन के नाम पर ऑनलाइन रुपये मांगे गए जो उन्होंने जमा करवा दिए.

इसके बाद महिला से उनके दस्तावेज अपलोड करने को कहा गया. इसके साथ ही दस्तावेज सत्यापन के लिए फीस भी मांगी गई. इस तरह अलग-अलग नाम से उन्होंने महिला वकील से 34 हजार रुपये ठग लिए. उन्हें जब ठगी का एहसास हुआ तो मामले की शिकायत साइबर सेल से की.

नोएडा के कॉल सेंटर से पकड़े गए आरोपी
इस घटना को लेकर साइबर सेल ने एफआईआर दर्ज कर ली. मामले की जांच एसीपी रमन लाम्बा की देखरेख में इंस्पेक्टर भानू प्रताप की टीम ने शुरु की. पुलिस टीम ने इस गैंग के डिजिटल फुटप्रिंट तलाशने शुरू किये तो पता चला कि वह नोएडा सेक्टर-8 में एक कॉल सेंटर चला रहे हैं.

Fraud in the name of getting jobs
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी

यहां से लोगों को कॉल कर उनसे ठगी की जाती है. इस जानकारी पर साइबर सेल की टीम ने छापा मारकर वहां से सरगना कुणाल सिंह, गौरव गुप्ता, विशाल तंवर, शशांक शेखर और शुभम को गिरफ्तार कर लिया.इनसे पूछताछ के बाद कलपेन्द्र सिंह को गिरफ्तार किया गया जो इन्हें फर्जी दस्तावेजों पर खोले गए बैंक खाते मुहैया कराता था.

फरवरी से चल रहा था कॉल सेंटर
गिरफ्तार किया गया कुणाल सिंह इस गैंग का सरगना है. आरोपी ने पुलिस को बताया कि जेल से बाहर आने के बाद वह कॉल सेंटर में नौकरी करने लगा था. लेकिन फरवरी 2019 में उसने दोबारा ठगी के लिए अपना कॉल सेंटर खोल लिया. उसने अपने कॉल सेंटर में 11 कर्मचारियों को रखा था जो नौकरी तलाश रहे युवाओं को निशाना बनाते थे. वह ठगी की रकम फर्जी कंपनियों के नाम पर बनाये गए बैंक खाते में लेता था. अपने इस गोरखधंधे को छिपाने के लिए वह एक ऑनलाइन चैनल भी इसी जगह से चला रहा था.

एक हजार से ज्यादा लोगों से की ठगी
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उनके पास दस हजार से ज्यादा ऐसे युवाओं का डाटा था जो नौकरी तलाश रहे हैं. ऐसे एक हजार से ज्यादा युवाओं को वह बीते आठ माह में ठग चुके हैं. वह अपने शिकार से दस हजार से 50 हजार रुपये तक ठगते थे. गिरफ्तार किया गया कुणाल साइंस से ग्रेजुएट है. इस तरह से वह पुणे और महाराष्ट्र में भी ठगी कर चुका है. वहां साल 2016 में उसे गिरफ्तार किया गया था. जेल से बाहर आने के बाद उसने दोबारा अपना कॉल सेंटर खोला और ठगी करने लगा. दूसरा आरोपी गौरव इस गैंग के लिए काम करता है.

मोबाइल समेत कंप्यूटर जब्त
तीसरा आरोपी विशाल तंवर 2016 से इस गैंग से जुड़ा हुआ है. चौथा आरोपी शशांक जल्द रुपये कमाने के लिए इस गैंग का हिस्सा बन गया. पांचवा आरोपी शुभम मोदी नगर स्थित पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग कर रहा है. छठा आरोपी कलपेन्द्र सिंह आरोपियों को बोगस बैंक खाते मुहैया करवाता था. पुलिस ने इस कॉल सेंटर से 18 मोबाइल, 13 कंप्यूटर, एक सर्वर, 12 हेड फ़ोन, 4 लैपटॉप, 5 डेबिट कार्ड बरामद किए हैं. इनके पांच बैंक खाते फ्रीज किए गए हैं.

नई दिल्ली: नौकरी दिलाने वाली वेबसाइट से युवाओं की जानकारी चोरी कर उन्हें नौकरी दिलाने के नाम पर ठगा जा रहा है. ये खुलासा पुलिस ने नोएडा के कॉल सेंटर पर हुई छापेमारी में किया है. इस कॉल सेंटर से युवाओं को नौकरी देने के नाम पर फोन कर ठगा जा रहा था. इस गैंग ने बीते आठ माह में एक हजार से ज्यादा लोगों से दो करोड़ रुपये ठग लिए थे.

नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी

महिला ने कर्मचारी बन किया कॉल
डीसीपी अन्येष रॉय के अनुसार कॉरपोरेट लॉयर की नौकरी तलाश रही एक महिला वकील ने अपना बायोडाटा एक नामी वेबसाइट पर अपलोड किया था. कुछ दिन बाद महिला को इस वेबसाइट की कर्मचारी बनकर एक महिला ने कॉल किया. उसने बताया कि वह उसका बायोडाटा कई बड़ी कंपनियों को भेज रही है. इसके बाद महिला को मेल भेजकर उनसे रजिस्ट्रेशन के नाम पर ऑनलाइन रुपये मांगे गए जो उन्होंने जमा करवा दिए.

इसके बाद महिला से उनके दस्तावेज अपलोड करने को कहा गया. इसके साथ ही दस्तावेज सत्यापन के लिए फीस भी मांगी गई. इस तरह अलग-अलग नाम से उन्होंने महिला वकील से 34 हजार रुपये ठग लिए. उन्हें जब ठगी का एहसास हुआ तो मामले की शिकायत साइबर सेल से की.

नोएडा के कॉल सेंटर से पकड़े गए आरोपी
इस घटना को लेकर साइबर सेल ने एफआईआर दर्ज कर ली. मामले की जांच एसीपी रमन लाम्बा की देखरेख में इंस्पेक्टर भानू प्रताप की टीम ने शुरु की. पुलिस टीम ने इस गैंग के डिजिटल फुटप्रिंट तलाशने शुरू किये तो पता चला कि वह नोएडा सेक्टर-8 में एक कॉल सेंटर चला रहे हैं.

Fraud in the name of getting jobs
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी

यहां से लोगों को कॉल कर उनसे ठगी की जाती है. इस जानकारी पर साइबर सेल की टीम ने छापा मारकर वहां से सरगना कुणाल सिंह, गौरव गुप्ता, विशाल तंवर, शशांक शेखर और शुभम को गिरफ्तार कर लिया.इनसे पूछताछ के बाद कलपेन्द्र सिंह को गिरफ्तार किया गया जो इन्हें फर्जी दस्तावेजों पर खोले गए बैंक खाते मुहैया कराता था.

फरवरी से चल रहा था कॉल सेंटर
गिरफ्तार किया गया कुणाल सिंह इस गैंग का सरगना है. आरोपी ने पुलिस को बताया कि जेल से बाहर आने के बाद वह कॉल सेंटर में नौकरी करने लगा था. लेकिन फरवरी 2019 में उसने दोबारा ठगी के लिए अपना कॉल सेंटर खोल लिया. उसने अपने कॉल सेंटर में 11 कर्मचारियों को रखा था जो नौकरी तलाश रहे युवाओं को निशाना बनाते थे. वह ठगी की रकम फर्जी कंपनियों के नाम पर बनाये गए बैंक खाते में लेता था. अपने इस गोरखधंधे को छिपाने के लिए वह एक ऑनलाइन चैनल भी इसी जगह से चला रहा था.

एक हजार से ज्यादा लोगों से की ठगी
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उनके पास दस हजार से ज्यादा ऐसे युवाओं का डाटा था जो नौकरी तलाश रहे हैं. ऐसे एक हजार से ज्यादा युवाओं को वह बीते आठ माह में ठग चुके हैं. वह अपने शिकार से दस हजार से 50 हजार रुपये तक ठगते थे. गिरफ्तार किया गया कुणाल साइंस से ग्रेजुएट है. इस तरह से वह पुणे और महाराष्ट्र में भी ठगी कर चुका है. वहां साल 2016 में उसे गिरफ्तार किया गया था. जेल से बाहर आने के बाद उसने दोबारा अपना कॉल सेंटर खोला और ठगी करने लगा. दूसरा आरोपी गौरव इस गैंग के लिए काम करता है.

मोबाइल समेत कंप्यूटर जब्त
तीसरा आरोपी विशाल तंवर 2016 से इस गैंग से जुड़ा हुआ है. चौथा आरोपी शशांक जल्द रुपये कमाने के लिए इस गैंग का हिस्सा बन गया. पांचवा आरोपी शुभम मोदी नगर स्थित पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग कर रहा है. छठा आरोपी कलपेन्द्र सिंह आरोपियों को बोगस बैंक खाते मुहैया करवाता था. पुलिस ने इस कॉल सेंटर से 18 मोबाइल, 13 कंप्यूटर, एक सर्वर, 12 हेड फ़ोन, 4 लैपटॉप, 5 डेबिट कार्ड बरामद किए हैं. इनके पांच बैंक खाते फ्रीज किए गए हैं.

Intro:नई दिल्ली
नौकरी दिलाने वाली वेबसाइट से युवाओं की जानकारी चोरी कर उन्हें नौकरी दिलाने के नाम पर ठगा जा रहा है. यह खुलासा पुलिस द्वारा नोएडा के कॉल सेंटर पर हुए छापेमारी में हुआ है. इस कॉल सेंटर से युवाओं को नौकरी देने के नाम पर फोन कर ठगा जा रहा था. इस गैंग ने बीते आठ माह में एक हजार से ज्यादा लोगों से दो करोड़ रुपये ठग लिए थे.


Body:डीसीपी अन्येष रॉय के अनुसार कॉरपोरेट लॉयर की नौकरी तलाश रही एक महिला वकील ने अपना बायोडाटा एक नामी वेबसाइट पर अपलोड किया था. कुछ दिन बाद महिला को इस वेबसाइट की कर्मचारी बनकर एक महिला ने कॉल किया. उसने बताया कि वह उसका बायोडाटा कई बड़ी कंपनियों को भेज रही है. इसके बाद महिला को मेल भेजकर उनसे रजिस्ट्रेशन के नाम पर ऑनलाइन रुपये मांगे गए जो उन्होंने जमा करवा दिए. इसके बाद महिला से उनके दस्तावेज अपलोड करने को कहा गया. इसके साथ ही दस्तावेज सत्यापन के लिए फीस भी मांगी गई. इस तरह अलग-अलग नाम से उन्होंने महिला वकील से 34 हजार रुपये ठग लिए. उन्हें जब ठगी का एहसास हुआ तो मामले की शिकायत साइबर सेल से की.


नोएडा के कॉल सेंटर से पकड़े गए आरोपी
इस घटना को लेकर साइबर सेल ने एफआईआर दर्ज कर ली. मामले की जांच एसीपी रमन लाम्बा की देखरेख में इंस्पेक्टर भानू प्रताप की टीम ने शुरु की. पुलिस टीम ने इस गैंग के डिजिटल फुटप्रिंट तलाशने शुरु किये तो पता चला कि वह नोएडा सेक्टर-8 में एक कॉल सेंटर चला रहे हैं. यहां से लोगों को कॉल कर उनसे ठगी की जाती है. इस जानकारी पर साइबर सेल की टीम ने छापा मारकर वहां से सरगना कुणाल सिंह, गौरव गुप्ता, विशाल तंवर, शशांक शेखर और शुभम को गिरफ्तार कर लिया.इनसे पूछताछ के बाद कलपेन्द्र सिंह को गिरफ्तार किया गया जो इन्हें फर्जी दस्तावेजों पर खोले गए बैंक खाते मुहैया कराता था.


फरवरी से चल रहा था कॉल सेंटर
गिरफ्तार किया गया कुणाल सिंह इस गैंग का सरगना है. आरोपी ने पुलिस को बताया कि जेल से बाहर आने के बाद वह कॉल सेंटर में नौकरी करने लगा था. लेकिन फरवरी 2019 में उसने दोबारा ठगी के लिए अपना कॉल सेंटर खोल लिया. उसने अपने कॉल सेंटर में 11 कर्मचारियों को रखा था जो नौकरी तलाश रहे युवाओं को निशाना बनाते थे. वह ठगी की रकम फर्जी कंपनियों के नाम पर बनाये गए बैंक खाते में लेता था. अपने इस गोरखधंधे को छिपाने के लिए वह एक ऑनलाइन चैनल भी इसी जगह से चला रहा था.

एक हजार से ज्यादा लोगों से की ठगी
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उनके पास दस हजार से ज्यादा ऐसे युवाओं का डाटा था जो नौकरी तलाश रहे हैं. ऐसे एक हजार से ज्यादा युवाओं को वह बीते आठ माह में ठग चुके हैं. वह अपने शिकार से दस हजार से 50 हजार रुपए तक ठगते थे.

गिरफ्तार किया गया कुणाल साइंस से ग्रेजुएट है. इस तरह से वह पुणे और महाराष्ट्र में भी ठगी कर चुका है. वहां वर्ष 2016 में उसे गिरफ्तार किया गया था. जेल से बाहर आने के बाद उसने दोबारा अपना कॉल सेंटर खोला और ठगी करने लगा. दूसरा आरोपी गौरव इस गैंग के लिए काम करता है. तीसरा आरोपी विशाल तंवर 2016 से इस गैंग से जुड़ा हुआ है. चौथा आरोपी शशांक जल्द रुपये कमाने के लिए इस गैंग का हिस्सा बन गया. पांचवा आरोपी शुभम मोदी नगर स्थित पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग कर रहा है. छठा आरोपी कलपेन्द्र सिंह आरोपियों को बोगस बैंक खाते मुहैया करवाता था.


Conclusion:मोबाइल सहित कंप्यूटर जब्त
पुलिस ने इस कॉल सेंटर से 18 मोबाइल, 13 कंप्यूटर, एक सर्वर, 12 हेड फ़ोन, 4 लैपटॉप, 5 डेबिट कार्ड बरामद किए हैं. इनके पांच बैंक खाते फ्रीज किये गए हैं.
Last Updated : Sep 23, 2019, 11:08 PM IST
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