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चिल्ला बॉर्डर: ठंड के बीच अलाव के सहारे किसानों का आंदोलन जारी - अपनी मांगों को लेकर चिल्ला बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन करते किसान

नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर पिछले 3 से 4 दिनों के बीच ठंड का प्रकोप जारी है. किसानों ने इस ठंड से लड़ने के लिए खुद ही अलाव का जुगाड़ किया है. वहीं कुछ समाज सेवी संगठनों और सिख समुदाय के लोगों द्वारा कंबल और वाटर प्रूफ टेंट भी दिए गए हैं.

farmers fighting against cold with self arranged fire
चिल्ला बॉर्डर पर अलाव जलाकर ठंड को मात देते किसान.
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Published : Jan 6, 2021, 8:56 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर पिछले 37 दिनों से किसान अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन में लगे हुए हैं. इस धरना प्रदर्शन के दौरान देखा जाए तो पिछले 3 से 4 दिनों के बीच ठंड का प्रकोप बढ़ा है. शाम से लेकर पूरी रात और सुबह तक किसान कंबल और अलाव के सहारे अपने धरना प्रदर्शन को जारी रखे हुए हैं. किसानों ने अलाव का जुगाड़ खुद ही किया है. किसानों ने आसपास के जंगलों में जाकर लकड़ियां लेकर आए हैं और उसे जलाकर ठंड से बचने का प्रयास कर रहे हैं.

चिल्ला बॉर्डर पर अलाव जलाकर ठंड को मात देते किसान.

किसानों को ठंड में हिम्मत देता अलाव

पिछले 3 से 4 दिनों में हुई तेज बारिश ने ठंड को और बढ़ा दिया है. ठंड का सबसे ज्यादा असर चिल्ला बॉर्डर पर अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे भारतीय किसान यूनियन भानु गुट के किसानों को देखकर लगाया जा सकता है. जहां किसान जुगाड़ करके लकड़ियां जमा करके अलाव जलाकर ठंड से बचने का प्रयास कर रहे हैं. कुछ समाज सेवी संगठन और सिख समुदाय के लोगों द्वारा कंबल और वाटर प्रूफ टेंट दिए गए हैं, पर वह पर्याप्त न होने के चलते किसान अलाव का सहारा ले रहे हैं.


ये भी पढ़ें:- चिल्ला बॉर्डर पर 37वें दिन किसानों का धरना जारी, 'भोजन की नहीं है कमी'

इस ठंड के लिए अलाव पर्याप्त


कड़ाके की ठंड से बचने के लिए अलाव जलाकर चिल्ला बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि ठंड का असर पूरी तरीके से है, पर किसानों के अंदर जो जोश और अपनी मांगों को लेकर आक्रोश है. उससे शरीर के अंदर से पसीना भी निकल रहा है. ठंड हो या बारिश या फिर ओले पड़े किसानों पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है. किसान मजबूती के साथ धरने पर डटे रहेंगे फिलहाल ठंड का जो असर है उसके लिए अलाव पर्याप्त है.

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर पिछले 37 दिनों से किसान अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन में लगे हुए हैं. इस धरना प्रदर्शन के दौरान देखा जाए तो पिछले 3 से 4 दिनों के बीच ठंड का प्रकोप बढ़ा है. शाम से लेकर पूरी रात और सुबह तक किसान कंबल और अलाव के सहारे अपने धरना प्रदर्शन को जारी रखे हुए हैं. किसानों ने अलाव का जुगाड़ खुद ही किया है. किसानों ने आसपास के जंगलों में जाकर लकड़ियां लेकर आए हैं और उसे जलाकर ठंड से बचने का प्रयास कर रहे हैं.

चिल्ला बॉर्डर पर अलाव जलाकर ठंड को मात देते किसान.

किसानों को ठंड में हिम्मत देता अलाव

पिछले 3 से 4 दिनों में हुई तेज बारिश ने ठंड को और बढ़ा दिया है. ठंड का सबसे ज्यादा असर चिल्ला बॉर्डर पर अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे भारतीय किसान यूनियन भानु गुट के किसानों को देखकर लगाया जा सकता है. जहां किसान जुगाड़ करके लकड़ियां जमा करके अलाव जलाकर ठंड से बचने का प्रयास कर रहे हैं. कुछ समाज सेवी संगठन और सिख समुदाय के लोगों द्वारा कंबल और वाटर प्रूफ टेंट दिए गए हैं, पर वह पर्याप्त न होने के चलते किसान अलाव का सहारा ले रहे हैं.


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इस ठंड के लिए अलाव पर्याप्त


कड़ाके की ठंड से बचने के लिए अलाव जलाकर चिल्ला बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि ठंड का असर पूरी तरीके से है, पर किसानों के अंदर जो जोश और अपनी मांगों को लेकर आक्रोश है. उससे शरीर के अंदर से पसीना भी निकल रहा है. ठंड हो या बारिश या फिर ओले पड़े किसानों पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है. किसान मजबूती के साथ धरने पर डटे रहेंगे फिलहाल ठंड का जो असर है उसके लिए अलाव पर्याप्त है.

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