नई दिल्ली/नोएडाः कोरोना वायरस बीमारी की आड़ में अस्पताल मरीजों को लेने से मना कर रहे हैं. अक्सर देखा जाता है कि मरीजों की हालत गंभीर होने बावजूद दूसरे अस्पताल में जाने की सलाह दी जाती है. जिसके चलते समय पर मरीज को इलाज नहीं मिल पाता है और उसकी मौत हो जाती है.
ऐसा ही एक मामला नोएडा में आया है, जहां 8 महीने की गर्भवती महिला को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ा. प्राइवेट के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों ने भी भर्ती करने से मना कर दिया. वहीं जिस अस्पताल में इलाज चल रहा था, उसने भी दूसरे अस्पताल में जाने की सलाह दे डाली.
अस्पताल के गेट पर तोड़ा दम
आखिर महिला ने ग्रेटर नोएडा के अस्पताल के गेट पर दम तोड़ दिया. मामले को तूल पकड़ता देख जिला प्रशासन ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अपर जिलाधिकारी की टीम बनाकर जांच के निर्देश दिए. मरने वाली गर्भवती महिला गाजियाबाद के खोड़ा कॉलोनी की रहने वाली थी.
आरोप लगाया गया कि जेम्स हॉस्पिटल, मैक्स, एएसआई, जिला अस्पताल, शिवालिक और शारदा अस्पतालों ने महिला को एडमिट करने से मना कर दिया था. वहीं गर्भवती महिला ने जेम्स अस्पताल के गेट पर एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया. बता दें कि शिवालिक हॉस्पिटल में महिला का इलाज चल रहा था, जिसने महिला को भर्ती करने से मना कर दिया था.
जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश
डीएम सुहास एल. वाई. ने इस पूरे मामले की जांच अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व मुनींद्र नाथ उपाध्याय और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक अहोरी को सौंप दी है. जिलाधिकारी ने दोनों अधिकारियों को इस मामले में तत्काल जांच करते हुए कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं.