नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश के कासगंज में बहुचर्चित फर्जी शिक्षिका केस के बाद ग्रेटर नोएडा में दूसरे की बीएड की डिग्री पर नौकरी करने वाली शिक्षिका मनीषा पर शिक्षा विभाग ने फर्जीवाड़े के जुर्म में केस दर्ज करवाया गया है.
वहीं सच सामने आने के बाद से मनीषा फरार बताई जा रही है. बता दें कि इस फर्जी शिक्षिका ने 10 साल तक फर्जी डिग्री पर नौकरी की. इस मामले में अब खंड शिक्षा अधिकारी की तहरीर पर युवती के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में मामला दर्ज करवाया गया है. बीएसए ने शिक्षिका को बर्खास्त कर उसके द्वारा लिए गए वेतन की रिकवरी के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही पुलिस द्वारा युवती की तलाश जारी है.
नवादा प्राथमिक विद्यालय में थी पढ़ाती मनीषा
इस फर्जी शिक्षिका की तैनाती दादरी विकास खंड के नवादा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में थी. खंड शिक्षा अधिकारी की तहरीर पर शिक्षिका के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. खंड शिक्षा अधिकारी हेमंत की तरफ से दर्ज करवाई रिपोर्ट में कहा गया है कि मूलरूप से अलीगढ़ के बसौली गांव की रहने वाली मनीषा ने आंबेडकर विश्वविद्यालय (आगरा) से वर्ष 2005 में जारी बीएड की डिग्री के आधार पर शिक्षिका की नौकरी हासिल की थी.
शिकायत मिलने पर हुई थी जांच
बीते दिनों शिकायत मिलने पर जब विभाग द्वारा जांच करवाई गई तो जांच में पाया गया कि जिस अनुक्रमांक को मनीषा के मार्कशीट में दर्ज किया गया है वह अनुक्रमांक किसी दूसरी मनीषा के नाम पर दर्ज है. जांच में पाया गया कि ग्रेटर नोएडा में नौकरी करने वाली मनीषा मथूरिया की डिग्री फर्जी है वह मनीषा मौर्या की डिग्री पर नौकरी कर रही थी.
धोखाधड़ी का मामला दर्ज
बीएसए धीरेंद्र कुमार ने बताया कि शिक्षिका मनीषा मथूरिया की पहली तैनाती वर्ष 2010 में अलीगढ़ के गांव धनीपुर प्राथमिक विद्यालय में हुई थी. उसके बाद 2012 में उसका तबादला ग्रेटर नोएडा के लिए कर दिया गया और उसकी तैनाती शाहबेरी, बिसरख व नवादा प्राथमिक विद्यालय में रही.
अब उससे करीब 40 लाख 70 हजार रुपये की रिकवरी की जाएगी. पुलिस ने बताया कि मामले में पहली शिकायत दनकौर डायट के प्राचार्य द्वारा की गई थी. उन्होंने सभी शिक्षकों की डिग्री की जांच की मांग की थी. जांच में पाया गया कि फर्जी डिग्री के आधार पर मनीषा ने वर्ष 2008 में बीटीसी भी की थी.