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बाल विवाह निषेध कानून बने 100 साल होने को आए, जमीनी स्तर पर हालात बदतर

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Published : Jan 5, 2021, 7:24 PM IST

बाल विवाह को रोकने के लिए 1929 में कानून बना था. कानून बने हुए 90 साल से ज्यादा हो गए हैं. इसके बावजूद अप्रैल 2020 से अक्टूबर 2020 के बीच करीब 18,324 बाल विवाह के केस रिपोर्ट किए गए हैं.

Child marriage
बाल विवाह

नई दिल्ली/नोएडा: सामाजिक व्यवस्था के ताने-बाने में कुछ धागे ऐसे भी है जिन्हें पकड़कर खींचे तो पूरी व्यवस्था की खामियां उधड़कर सामने आ जाती हैं. बाल विवाह उनमें से एक है. बाल विवाह को रोकने के लिए कानून बने हुए करीब 100 साल हो गए हैं. लेकिन इसके बावजूद लॉकडाउन के दौरान अप्रैल, 2020 से अक्टूबर, 2020 के बीच करीब 18,324 बाल विवाह के केस रिपोर्ट किए गए हैं. चाइल्ड लाइन सर्विस के इन आंकड़ों से अंदाजा लगा सकते हैं कि आर्थिक और सामाजिक असुरक्षा का भाव परिवारों में ऐसा हो चुका है कि परिवार बच्चियों को 'सिर का बोझ' समझ कर बाल विवाह कर रहे हैं.

बाल विवाह प्रथा पर नहीं लग रहा लगाम
बाल विवाह की आड़ में चाइल्ड ट्रैफिकिंग
बाल विवाह के खिलाफ कई सालों से काम कर रहे एनजीओ 'इंडिपेंडेंट थॉट' के संस्थापक और वकील विक्रम श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत से बातचीत कर समाज में बाल विवाह की कुरीतियों को उजागर किया है. उन्होंने बताया कि जब भी कोई आपदा आती है तो सबसे पहले लोग बोझ कम करने की कोशिश करते हैं और उसमें सबसे ज्यादा गर्ल चाइल्ड विक्टिम होती हैं. उन्होंने एक बिंदु उठाते हुए कहा कि चाइल्ड मैरिज की आड़ में चाइल्ड ट्रैफिकिंग भी होती है. बिहार, झारखंड, ओडिसा, पश्चिम बंगाल, हरियाणा इलाकों में 'ब्राइड पेमेंट' कर ट्रैफिकिंग की जाती है.
18,324 child marriage cases during lockdown
लॉकडाउन के दौरान 18,324 बाल विवाह के मामले
'सरकारी आकंड़ों पर एक नजर'
2001-2011 के सरकारी आकंड़ों के मुताबिक 30 हजार बच्चियां ऐसी हैं जो 15 साल की उम्र में 2 बच्चों को जन्म दे चुकी थीं और 30 हजार ऐसी हैं जो एक बच्चे की मां बन चुकी थीं. वहीं सरकार ने 2011 में एक और आकंड़ा जारी किया था, जिसके मुताबिक करीब 4 लाख 50 हजार लड़का-लड़की ऐसे हैं जो विधवा हो चुके हैं या फिर उनका डाइवोर्स हो चुका है. यह चौकाने वाले आकंड़े समाज का आईना दिखाने के लिए काफी हैं.
4 lakh 50 thousand minors divorced by 2011
2011 तक 4 लाख 50 हजार नाबालिगों को तलाक




'इंडिपेंडेंट थॉट' NGO की मांग
1. एनजीओ ने मांग करते हुए कहा कि शिक्षा का अधिकार क्लास 8th से बढ़ाकर क्लास 12th कर देना चाहिए ताकि बच्चियां समाज की कुरीतियों से बच सकें.
2.बाल विवाह को अधिकारों का हनन माना जाए और उसी आधार पर सख्त कार्रवाई की जाए.
3.लॉ एंड आर्डर को और पुख्ता किया जाए ताकि लड़कियों की सुरक्षा पुख्ता हो सके.

60,000 girls gave birth to children at the age of 15
15 साल की उम्र में 60,000 लड़कियों ने दिया बच्चों को जन्म

नई दिल्ली/नोएडा: सामाजिक व्यवस्था के ताने-बाने में कुछ धागे ऐसे भी है जिन्हें पकड़कर खींचे तो पूरी व्यवस्था की खामियां उधड़कर सामने आ जाती हैं. बाल विवाह उनमें से एक है. बाल विवाह को रोकने के लिए कानून बने हुए करीब 100 साल हो गए हैं. लेकिन इसके बावजूद लॉकडाउन के दौरान अप्रैल, 2020 से अक्टूबर, 2020 के बीच करीब 18,324 बाल विवाह के केस रिपोर्ट किए गए हैं. चाइल्ड लाइन सर्विस के इन आंकड़ों से अंदाजा लगा सकते हैं कि आर्थिक और सामाजिक असुरक्षा का भाव परिवारों में ऐसा हो चुका है कि परिवार बच्चियों को 'सिर का बोझ' समझ कर बाल विवाह कर रहे हैं.

बाल विवाह प्रथा पर नहीं लग रहा लगाम
बाल विवाह की आड़ में चाइल्ड ट्रैफिकिंग
बाल विवाह के खिलाफ कई सालों से काम कर रहे एनजीओ 'इंडिपेंडेंट थॉट' के संस्थापक और वकील विक्रम श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत से बातचीत कर समाज में बाल विवाह की कुरीतियों को उजागर किया है. उन्होंने बताया कि जब भी कोई आपदा आती है तो सबसे पहले लोग बोझ कम करने की कोशिश करते हैं और उसमें सबसे ज्यादा गर्ल चाइल्ड विक्टिम होती हैं. उन्होंने एक बिंदु उठाते हुए कहा कि चाइल्ड मैरिज की आड़ में चाइल्ड ट्रैफिकिंग भी होती है. बिहार, झारखंड, ओडिसा, पश्चिम बंगाल, हरियाणा इलाकों में 'ब्राइड पेमेंट' कर ट्रैफिकिंग की जाती है.
18,324 child marriage cases during lockdown
लॉकडाउन के दौरान 18,324 बाल विवाह के मामले
'सरकारी आकंड़ों पर एक नजर'
2001-2011 के सरकारी आकंड़ों के मुताबिक 30 हजार बच्चियां ऐसी हैं जो 15 साल की उम्र में 2 बच्चों को जन्म दे चुकी थीं और 30 हजार ऐसी हैं जो एक बच्चे की मां बन चुकी थीं. वहीं सरकार ने 2011 में एक और आकंड़ा जारी किया था, जिसके मुताबिक करीब 4 लाख 50 हजार लड़का-लड़की ऐसे हैं जो विधवा हो चुके हैं या फिर उनका डाइवोर्स हो चुका है. यह चौकाने वाले आकंड़े समाज का आईना दिखाने के लिए काफी हैं.
4 lakh 50 thousand minors divorced by 2011
2011 तक 4 लाख 50 हजार नाबालिगों को तलाक




'इंडिपेंडेंट थॉट' NGO की मांग
1. एनजीओ ने मांग करते हुए कहा कि शिक्षा का अधिकार क्लास 8th से बढ़ाकर क्लास 12th कर देना चाहिए ताकि बच्चियां समाज की कुरीतियों से बच सकें.
2.बाल विवाह को अधिकारों का हनन माना जाए और उसी आधार पर सख्त कार्रवाई की जाए.
3.लॉ एंड आर्डर को और पुख्ता किया जाए ताकि लड़कियों की सुरक्षा पुख्ता हो सके.

60,000 girls gave birth to children at the age of 15
15 साल की उम्र में 60,000 लड़कियों ने दिया बच्चों को जन्म
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