नई दिल्ली/नोएडा: ग्रेटर नोएडा ने भी स्वच्छता में नया मुकाम हासिल करने के लिए अपने कदम बढ़ा दिए हैं. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी (CEO Ritu Maheshwari) के निर्देश पर जनस्वास्थ्य विभाग की तरफ से सफाईगिरी अभियान शुरू किया गया. बारिश के चलते इस कार्यक्रम के लिए प्रस्तावित स्थल का बदलाव करना पड़ा और इसी सेक्टर में स्थित एक स्कूल में कार्यक्रम किया गया. सीईओ ने सभी सेक्टरवासियों से साफ-सफाई व पार्कों और ग्रीनरी के रखरखाव के बारे में पूछा. आरडब्ल्यूए की तरफ से सीईओ को मांग पत्र भी सौंपा गया, जिनमें सामुदायिक केन्द्र का निर्माण कराने, हाईमास्ट लाइट लगवाने, आरडब्ल्यूए का दफ्तर बनवाने, मदर डेयरी बूथ खुलवाने आदि मांगें शामिल हैं. सीईओ ने इन मांगों को समयबद्ध तरीके से पूरा कराने का आश्वासन दिया.
सीईओ ने सेक्टरवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि सफाईगिरी अभियान का मकसद ग्रेटर नोएडा को स्वच्छता के सबसे ऊंचे मुकाम तक पहुंचाना है. यह तभी संभव होगा, जब ग्रेटर नोएडा का हर नागरिक इस मुहिम से जुड़ेगा और अपना योगदान देगा. सफाई के लिए अभियान से जुड़कर सभी ग्रेटर नोएडा वासियों को सफाई कर मिसाल कायम करनी चाहिए ताकि और लोग भी उसे सीख ले सके. इस दौरान सीईओ ने अपने अधीनस्थों से सफाईगिरी अभियान को हर रिहायशी सेक्टर, सभी गांवों, औद्योगिक व संस्थागत सेक्टरों तक ले जाने के लिए कहा. इस अभियान का रोस्टर भी शीघ्र जारी किया जाएगा. उन्होंने उद्यान विभाग से पार्कों के रखरखाव को बेहतर करने, घास की कटाई व पेड़ों की छंटाई के लिए भी अभियान चलाने के निर्देश दिए.
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सेक्टर में घरेलू वेस्ट को कंपोस्ट करने के लिए लगाएं प्लांट
रितु माहेश्वरी ने आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों से घरेलू वेस्ट को घर में ही प्रोसेस कर कंपोस्ट बनाने और घर के प्लांट्स में ही उसका इस्तेमाल करने की अपील की. सीईओ ने नोएडा के सेक्टर 47 का उदाहरण देते हुए ग्रेटर नोएडा के सभी सेक्टरों को जीरो वेस्ट मॉडल पर विकसित करने की सीख व सलाह दी. सीईओ ने बताया कि इस अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए एसीईओ स्तर पर इसकी निगरानी की जाएगी. सेक्टर से जुड़ी जो भी अल्पकालिक शिकायतें प्राप्त होंगी, उनका एक सप्ताह में निस्तारण किया जाएगा. साथ ही दीर्घकालिक शिकायतों की एक सप्ताह में होने वाली प्रोग्रेस रिपोर्ट भी वहां के निवासियों को दी जाएगी, ताकि उनको सेक्टर की समस्याओं को हल कराने के लिए प्राधिकरण दफ्तर न आना पड़े. प्राधिकरण के अधिकारी खुद उनके पास जाकर वहां की समस्याएं हल करेंगे.
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