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नोएडा: सेक्टर 19 के शेल्टर होम में रुके थे 8 राज्यों के प्रवासी मजदूर, हुआ खाली

नोएडा के सेक्टर 19 में बने शेल्टर होम में 8 राज्यों के प्रवासी मजदूर रुके थे. शेल्टर होम के केयरटेकर अरविंद कुमार ने कहा कि शेल्टर होम अब पूरी तरीके से खाली है.

shelter home of Noida Sector 19
नोएडा के सेक्टर 19 में बना शेल्टर होम
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Published : May 23, 2020, 2:36 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: दिल्ली से सटे नोएडा के सेक्टर 19 में लॉकडाउन के दौरान पलायन कर रहे मजदूरों को रखने की व्यवस्था शेल्टर होम बना कर की गई थी. जहां उन्हें खाने पीने की सुविधा प्रशासन द्वारा दी जा रही थी. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के आधार पर उन्हें बिस्तर और टीवी भी मुहैया कराया गया था. आलम ये हुआ था कि शेल्टर होम में प्रवासी मजदूरों की संख्या क्षमता से ज्यादा हो गई थी. लेकिन अब शेल्टर होम अब पूरी तरीके से खाली है. वहां अब सिर्फ बिस्तर ही नजर आ रहे हैं.

शेल्टर होम में रुके थे 8 राज्यों के प्रवासी मजदूर

शेल्टर होम हुआ खाली

बता दें कि सेक्टर 19 के शेल्टर होम में पुलिस और प्रशासन द्वारा लगातार प्रवासी मजदूरों को लाया जा रहा था और समय-समय पर उन्हें उनके घर बस और ट्रेन के माध्यम से रवाना किया गया था. 30 मार्च से लेकर 22 मई के बीच शेल्टर होम में करीब 920 प्रवासी मजदूर आए और अपने घरों के लिए प्रशासन के द्वारा दी गई सुविधा के माध्यम से चले गए. शेल्टर होम में आए प्रवासी मजदूरों में देश के आठ प्रदेश के रहने वाले लोग थे. जिसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के 382 लोग, मध्य प्रदेश के 38, झारखंड के 35, पश्चिम बंगाल के 70, छत्तीसगढ़ के 96, बिहार के 286, उत्तराखंड के 5 और जम्मू कश्मीर के 8 प्रवासी थे. जो अब यहां से जा चुके हैं.

shelter home of Noida Sector 19
शेल्टर होम केयरटेकर ने ईटीवी भारत से की बात



परिवार सा हुआ महसूस - शेल्टर होम केयरटेकर

सेक्टर 19 के शेल्टर होम के केयरटेकर अरविंद कुमार का कहना है कि 30 मार्च को यह शेल्टर होम प्रशासन द्वारा बनवाया गया. जहां प्रवासी मजदूरों के रहने की व्यवस्था की गई थी, प्रवासी मजदूरों को सुबह शाम के नाश्ते के साथ ही दोनों टाइम का भोजन समय से दिया जाता है. वहीं उनके सोने के लिए व्यवस्था सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर की गई थी. प्रवासी मजदूर के लिए टीवी की भी व्यवस्था की गई थी.

केयरटेकर का कहना है कि इतने दिनों तक प्रवासी मजदूरों के बीच रहकर एक परिवार सा महसूस हुआ छोटी-मोटी समस्याएं सामने आई. इनकी देखभाल करने में काफी अच्छा लगा. उन्होंने कहा कि इन लोगों के साथ बिताए गए दिन का अनुभव काफी अच्छा रहा. जो परेशानियां आईं, उसका कोई मलाल नहीं है.

नई दिल्ली/नोएडा: दिल्ली से सटे नोएडा के सेक्टर 19 में लॉकडाउन के दौरान पलायन कर रहे मजदूरों को रखने की व्यवस्था शेल्टर होम बना कर की गई थी. जहां उन्हें खाने पीने की सुविधा प्रशासन द्वारा दी जा रही थी. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के आधार पर उन्हें बिस्तर और टीवी भी मुहैया कराया गया था. आलम ये हुआ था कि शेल्टर होम में प्रवासी मजदूरों की संख्या क्षमता से ज्यादा हो गई थी. लेकिन अब शेल्टर होम अब पूरी तरीके से खाली है. वहां अब सिर्फ बिस्तर ही नजर आ रहे हैं.

शेल्टर होम में रुके थे 8 राज्यों के प्रवासी मजदूर

शेल्टर होम हुआ खाली

बता दें कि सेक्टर 19 के शेल्टर होम में पुलिस और प्रशासन द्वारा लगातार प्रवासी मजदूरों को लाया जा रहा था और समय-समय पर उन्हें उनके घर बस और ट्रेन के माध्यम से रवाना किया गया था. 30 मार्च से लेकर 22 मई के बीच शेल्टर होम में करीब 920 प्रवासी मजदूर आए और अपने घरों के लिए प्रशासन के द्वारा दी गई सुविधा के माध्यम से चले गए. शेल्टर होम में आए प्रवासी मजदूरों में देश के आठ प्रदेश के रहने वाले लोग थे. जिसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के 382 लोग, मध्य प्रदेश के 38, झारखंड के 35, पश्चिम बंगाल के 70, छत्तीसगढ़ के 96, बिहार के 286, उत्तराखंड के 5 और जम्मू कश्मीर के 8 प्रवासी थे. जो अब यहां से जा चुके हैं.

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शेल्टर होम केयरटेकर ने ईटीवी भारत से की बात



परिवार सा हुआ महसूस - शेल्टर होम केयरटेकर

सेक्टर 19 के शेल्टर होम के केयरटेकर अरविंद कुमार का कहना है कि 30 मार्च को यह शेल्टर होम प्रशासन द्वारा बनवाया गया. जहां प्रवासी मजदूरों के रहने की व्यवस्था की गई थी, प्रवासी मजदूरों को सुबह शाम के नाश्ते के साथ ही दोनों टाइम का भोजन समय से दिया जाता है. वहीं उनके सोने के लिए व्यवस्था सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर की गई थी. प्रवासी मजदूर के लिए टीवी की भी व्यवस्था की गई थी.

केयरटेकर का कहना है कि इतने दिनों तक प्रवासी मजदूरों के बीच रहकर एक परिवार सा महसूस हुआ छोटी-मोटी समस्याएं सामने आई. इनकी देखभाल करने में काफी अच्छा लगा. उन्होंने कहा कि इन लोगों के साथ बिताए गए दिन का अनुभव काफी अच्छा रहा. जो परेशानियां आईं, उसका कोई मलाल नहीं है.

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