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नोएडा: मां की सरकार से विनती, डेढ़ महीने में खत्म हो जाएगी बच्चे की ज़िंदगी, बचा लो - गौतमबुद्ध नगर जिला अस्पताल

नोएडा के सेक्टर 49 बरौला गांव के रहने वाले 3 वर्ष के रुद्राक्ष स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी टाइप-2 बीमारी जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. बच्चे को 18 करोड़ रुपये का इंजेक्शन लगना है. जिसके लिए उनके परिजनों ने समाज और लोगों से डोनेट करने की अपील की, ताकि बच्चे को नई जिंदगी मिल सके.

A 3 old child mother appeal to save the life of her child in Noida
मां की सरकार से बिनती,
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Published : Apr 9, 2021, 10:00 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के सेक्टर 49 बरौला गांव के रहने वाले 3 वर्ष के रुद्राक्ष स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी टाइप-2 बीमारी जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. बच्चे को 18 करोड़ रुपये का इंजेक्शन लगना है. जनप्रतिनिधियों के यहां दर-दर भटकने के बाद परिवार ने लोगों के आगे हाथ जोड़कर डोनेट करने की अपील शुरू की है. बच्चे की मदद के लिए देशभर से लोगों ने हाथ बढ़ाया है और तकरीबन 1 करोड़ 33 लाख रुपये इकट्ठा हो चुका है. लेकिन अभी लड़ाई पूरी नहीं हुई परिवार ने समाज और लोगों से डोनेट करने की अपील की, ताकि रुद्राक्ष को नई जिंदगी मिल सके.

डेढ़ महीने में खत्म हो जाएगी बच्चे की ज़िंदगी



क्या है स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी टाइप-2 बीमारी?

गौतमबुद्ध नगर जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रेनू अग्रवाल ने बताया कि स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी बच्चों में जन्म से होती है. SMN जीन-1 बच्चों में नहीं होता है जिसकी वजह से बीमारी होती है. बीमारी के चलते बच्चा खड़ा नहीं हो सकता, सीधा बैठ नहीं सकता, गर्दन में भी झुकाव रहता है. इसके अलावा हाथ-पैर ज़्यादा नहीं काम करते हैं. CMS ने बताया कि यह बहुत रेयर बीमारी है. पहले तो इस बीमारी के तहत 25 लाख रुपये की कीमत का एक डोज़ लगता था, लेकिन यह बहुत कारगर नहीं था. पिछले डेढ़ साल पहले ब्रिटेन ने वैक्सीन इजात की, लेकिन इसकी कीमत बहुत ज्यादा है.

A 3 old child mother appeal to save the life of her child in Noida
अपील

बच्चे की मां ने सरकार से मदद के लिए लगाई गुहार

रुद्राक्ष की मां नीता ने बताया कि बच्चे को स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी टाइप-2 बीमारी है. जिसके चलते धीरे-धीरे बच्चे का शरीर काम करना बंद कर देता है. जब रुद्राक्ष 10 महीने का था, तब इस बीमारी के बारे में जानकारी हुई. फिलहाल AIIMS में इलाज चल रहा है.

ये भी पढ़ें:-नोएडा: जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी

डॉक्टरों ने डेढ़ महीने का वक्त दिया है. जिसमें रुद्राक्ष को 18 करोड़ रुपये की लागत का इंजेक्शन लगना है. रुद्राक्ष की मा ने बताया कि रुद्राक्ष एकलौता ऐसा बच्चा नहीं है, देश में अन्य बच्चे हैं. सरकारों को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए. सरकार जब कोरोना जैसी बीमारी का इंजेक्शन 1 साल में तैयार कर सकती है, तो फिर स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी के लिए क्यों नहीं? उन्होंने सरकार से हाथ जोड़कर विनती करते हुए कहा कि उनके बच्चे को नई जिंदगी सरकार दे और उनकी मदद करें.


परिवार ने देशवासियों से की अपील

परिवार ने देशभर से अपील की है कि वे उनके बच्चे को नई जिंदगी देने के लिए, जो बन सके उनकी मदद करें. नोएडा शहर में से लोग भी बढ़-चढ़कर मदद कर रहे हैं. शहरों में महापंचायत की जा रही है, ताकि रुद्राक्ष को नई जिंदगी दी जा सके. हालांकि यह लड़ाई काफी लंबी है, फिलहाल लोगों ने रुद्राक्ष की जिंदगी बचाने के लिए कदम बढ़ाए हैं. जिसका परिणाम है कि बीते कुछ दिनों में 1 करोड़ 35 लाख रुपये का डोनेशन मिल गया है.

ये भी पढ़ें:-नोएडा में 24 घंटे में 211 आये पॉजिटिव,164 हुए डिस्चार्ज

MP-MLA से नहीं मिली कोई मदद

रुद्राक्ष के परिजनों ने बताया कि उन्हें जनप्रतिनिधियों से किसी भी तरीके की कोई मदद नहीं मिली है. गौतमबुद्ध नगर सांसद डॉ. महेश शर्मा के यहां भी उन्होंने चक्कर लगाए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला मिला और विधायक पंकज सिंह का भी चक्कर लगाए. हालांकि MLA के यहां से एक सर्वे भी कराया गया, लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं मिला है. ऐसे में उन्होंने देशवासियों के आगे हाथ फैलाना ज्यादा बेहतर समझा.

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के सेक्टर 49 बरौला गांव के रहने वाले 3 वर्ष के रुद्राक्ष स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी टाइप-2 बीमारी जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. बच्चे को 18 करोड़ रुपये का इंजेक्शन लगना है. जनप्रतिनिधियों के यहां दर-दर भटकने के बाद परिवार ने लोगों के आगे हाथ जोड़कर डोनेट करने की अपील शुरू की है. बच्चे की मदद के लिए देशभर से लोगों ने हाथ बढ़ाया है और तकरीबन 1 करोड़ 33 लाख रुपये इकट्ठा हो चुका है. लेकिन अभी लड़ाई पूरी नहीं हुई परिवार ने समाज और लोगों से डोनेट करने की अपील की, ताकि रुद्राक्ष को नई जिंदगी मिल सके.

डेढ़ महीने में खत्म हो जाएगी बच्चे की ज़िंदगी



क्या है स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी टाइप-2 बीमारी?

गौतमबुद्ध नगर जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रेनू अग्रवाल ने बताया कि स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी बच्चों में जन्म से होती है. SMN जीन-1 बच्चों में नहीं होता है जिसकी वजह से बीमारी होती है. बीमारी के चलते बच्चा खड़ा नहीं हो सकता, सीधा बैठ नहीं सकता, गर्दन में भी झुकाव रहता है. इसके अलावा हाथ-पैर ज़्यादा नहीं काम करते हैं. CMS ने बताया कि यह बहुत रेयर बीमारी है. पहले तो इस बीमारी के तहत 25 लाख रुपये की कीमत का एक डोज़ लगता था, लेकिन यह बहुत कारगर नहीं था. पिछले डेढ़ साल पहले ब्रिटेन ने वैक्सीन इजात की, लेकिन इसकी कीमत बहुत ज्यादा है.

A 3 old child mother appeal to save the life of her child in Noida
अपील

बच्चे की मां ने सरकार से मदद के लिए लगाई गुहार

रुद्राक्ष की मां नीता ने बताया कि बच्चे को स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी टाइप-2 बीमारी है. जिसके चलते धीरे-धीरे बच्चे का शरीर काम करना बंद कर देता है. जब रुद्राक्ष 10 महीने का था, तब इस बीमारी के बारे में जानकारी हुई. फिलहाल AIIMS में इलाज चल रहा है.

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डॉक्टरों ने डेढ़ महीने का वक्त दिया है. जिसमें रुद्राक्ष को 18 करोड़ रुपये की लागत का इंजेक्शन लगना है. रुद्राक्ष की मा ने बताया कि रुद्राक्ष एकलौता ऐसा बच्चा नहीं है, देश में अन्य बच्चे हैं. सरकारों को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए. सरकार जब कोरोना जैसी बीमारी का इंजेक्शन 1 साल में तैयार कर सकती है, तो फिर स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी के लिए क्यों नहीं? उन्होंने सरकार से हाथ जोड़कर विनती करते हुए कहा कि उनके बच्चे को नई जिंदगी सरकार दे और उनकी मदद करें.


परिवार ने देशवासियों से की अपील

परिवार ने देशभर से अपील की है कि वे उनके बच्चे को नई जिंदगी देने के लिए, जो बन सके उनकी मदद करें. नोएडा शहर में से लोग भी बढ़-चढ़कर मदद कर रहे हैं. शहरों में महापंचायत की जा रही है, ताकि रुद्राक्ष को नई जिंदगी दी जा सके. हालांकि यह लड़ाई काफी लंबी है, फिलहाल लोगों ने रुद्राक्ष की जिंदगी बचाने के लिए कदम बढ़ाए हैं. जिसका परिणाम है कि बीते कुछ दिनों में 1 करोड़ 35 लाख रुपये का डोनेशन मिल गया है.

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MP-MLA से नहीं मिली कोई मदद

रुद्राक्ष के परिजनों ने बताया कि उन्हें जनप्रतिनिधियों से किसी भी तरीके की कोई मदद नहीं मिली है. गौतमबुद्ध नगर सांसद डॉ. महेश शर्मा के यहां भी उन्होंने चक्कर लगाए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला मिला और विधायक पंकज सिंह का भी चक्कर लगाए. हालांकि MLA के यहां से एक सर्वे भी कराया गया, लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं मिला है. ऐसे में उन्होंने देशवासियों के आगे हाथ फैलाना ज्यादा बेहतर समझा.

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