नई दिल्ली/नूंह: हरियाणा में टीबी के सबसे ज्यादा रोगी नूंह जिले में हैं. कोरोना काल में बहुत कुछ बदलाव हुए हैं. कोरोना महामारी की वजह से मास्क लगाना और सैनिटाइजर इत्यादि के इस्तेमाल से टीबी रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी के बजाय कम होने के आसार हैं.
इसके अलावा कोरोना और टीबी रोग के कुछ लक्षण आपस में मिलते हैं. जैसे खांसी ,बुखार इत्यादि. लिहाजा कोरोना जांच के साथ-साथ टीबी के रोग की स्क्रिनिंग करने पर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन अब डॉक्टरों के साथ मंथन कर रहा है. इसी को लेकर सोमवार को सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा के प्रांगड़ में विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉक्टरों के साथ जिले के डॉक्टरों की बैठक हुई.
इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला टीबी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण राज तंवर कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के सोमवार को सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा प्रांगण में बैठक हुई. बैठक में जिले के सभी पीएचसी के अलावा अन्य अस्पतालों के डॉक्टरों ने भाग लिया. डॉक्टरों ने कहा कि टीबी रोग में दवाइयों के बदलाव के साथ-साथ अन्य बदलाव के बारे में भी डॉक्टरों को विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई.
उन्होंने कहा कि कैसे टीबी के रोग को जड़ से मिटाया जाए ,उसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ही नहीं बल्कि डब्ल्यूएचओ भी पूरी तरह से चिंतित है. टीबी रोग में इंजेक्शन, टेबलेट बहुत महंगे आने लगे हैं. एक इंजेक्शन की कीमत 5 हजार तक है. उन्होंने कहा कि समय-समय पर जो बदलाव या नई तकनीक आ रही है. उसे इलाज करने वाले डॉक्टर इस बात को पूरी तरह जानें इसी वजह से डब्ल्यूएचओ समय- समय पर इलाज करने वाले डॉक्टरों को अवगत कराता रहता है.