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हरियाणा के इस गांव की लड़कियों ने भेजी थी 'ट्रंप' को राखी, जानिए मरोड़ा गांव की ट्रंप कहानी

सुलभ इंटरनेशनल संस्था ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम पर 23 जून 2017 को ग्राम पंचायत मरोड़ा और उनके अंर्तगत आने वाले दो अन्य गांव निजामपुर और छावा का संयुक्त नाम 'ट्रंप सुलभ गांव' रखा था. लेकिन अब जब डॉनल्ड ट्रंप भारत आ रहे हैं तो इस गांव को कोई उत्साह नहीं दिख रहा है.

story of village in gurugram named after donald trump
जानिए मरोड़ा गांव की ट्रंप कहानी
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Published : Feb 23, 2020, 11:39 PM IST

नई दिल्ली/गुरूग्राम: सुलभ इंटरनेशनल संस्था ने करीब 3 साल पहले नूंह जिले के गांव मरोड़ा को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम पर 'ट्रंप सुलभ गांव' का नाम दिया गया था. 3 साल पहले सुलभ इंटरनेशनल संस्था के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने इस गांव में ट्रंप विलेज के नाम से बड़े-बड़े बोर्ड भी लगाए और गांव में कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए. गांव के लोगों को उस समय बड़े-बड़े सपने दिखाए गए. यहां तक कि गांव के संपूर्ण विकास की बात की गई.

जानिए मरोड़ा गांव की ट्रंप कहानी

सुलभ इंटरनेशनल संस्था ने यहां सिलाई सेंटर खोला, लेकिन महज डेढ़ महीने बाद ही इस सेंटर पर ताला लग गया. इसके अलावा गांव की बेटियों को कंप्यूटर सिखाने सहित कई आश्वासन दिए गए, लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं हुआ. हां मरोड़ा गांव में सुलभ इंटरनेशनल संस्था द्वारा करीब 95 शौचालय जरूर बनाए गए. जिसमें स्वच्छ भारत अभियान को गति देने के साथ-साथ जिले को ओडीएफ बनाने में अहम भूमिका अदा की.

ट्रंप को भेजी गई थीं राखियां

गांव की बेटियों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डॉ. बिंदेश्वर पाठक के लिए 500-500 राखियां रक्षाबंधन के अवसर पर बनवा कर भेजीं. गांव की बेटियों को उस समय संस्था से बड़ी उम्मीदें थीं.

ट्रंप के भारत आगमन पर गांव में उत्साह नहीं

अब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार को भारत दौरे पर आ रहे हैं और उनके नाम पर रखे गए मरोड़ा गांव का जिक्र ना हो तो यह ठीक नहीं है. मरोड़ा गांव में डोनाल्ड ट्रंप के भारत आगमन जैसा कोई जोश या उत्साह ग्रामीणों से लेकर संस्था में दिखाई नहीं पड़ता.

मीडिया ने जब गांव की राखी बनाने वाली बेटियों और ग्रामीणों से बातचीत की तो उनका दिल का दर्द जवान पर आ गया. उन्होंने दो टूक कहा कि बड़े चाव से राखियां बनाई थी. सिलाई सेंटर में दाखिला लिया था और पता नहीं कितने बड़े - बड़े वादे सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिन्देश्वर पाठक और उनकी टीम ने किए थे, लेकिन सब के सब धराशाई हो गए.

दो गांवों का नाम 'ट्रंप सुलभ गांव' रखा गया

बता दें कि सुलभ इंटरनेशनल संस्था ने अमरीका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के नाम पर 23 जून 2017 को गांव पंचायत मरोड़ा और उनके अंर्तगत आने वाले दो अन्य गांव निजामपुर और छावा का संयुक्त नाम 'ट्रंप सुलभ गांव' रखा था.

गौरतलब है कि सुलभ इंटरनेशनल संस्था मेवात जिला में पिछले आठ-दस साल से काम कर रही है. अब तक वो मेवात जिला के धांदूका, कौराली, टपकन, इंडरी, हिरमथला सहित कई गावों को खुले में शौच मुक्त गांव बना चुकी है.

नई दिल्ली/गुरूग्राम: सुलभ इंटरनेशनल संस्था ने करीब 3 साल पहले नूंह जिले के गांव मरोड़ा को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम पर 'ट्रंप सुलभ गांव' का नाम दिया गया था. 3 साल पहले सुलभ इंटरनेशनल संस्था के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने इस गांव में ट्रंप विलेज के नाम से बड़े-बड़े बोर्ड भी लगाए और गांव में कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए. गांव के लोगों को उस समय बड़े-बड़े सपने दिखाए गए. यहां तक कि गांव के संपूर्ण विकास की बात की गई.

जानिए मरोड़ा गांव की ट्रंप कहानी

सुलभ इंटरनेशनल संस्था ने यहां सिलाई सेंटर खोला, लेकिन महज डेढ़ महीने बाद ही इस सेंटर पर ताला लग गया. इसके अलावा गांव की बेटियों को कंप्यूटर सिखाने सहित कई आश्वासन दिए गए, लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं हुआ. हां मरोड़ा गांव में सुलभ इंटरनेशनल संस्था द्वारा करीब 95 शौचालय जरूर बनाए गए. जिसमें स्वच्छ भारत अभियान को गति देने के साथ-साथ जिले को ओडीएफ बनाने में अहम भूमिका अदा की.

ट्रंप को भेजी गई थीं राखियां

गांव की बेटियों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डॉ. बिंदेश्वर पाठक के लिए 500-500 राखियां रक्षाबंधन के अवसर पर बनवा कर भेजीं. गांव की बेटियों को उस समय संस्था से बड़ी उम्मीदें थीं.

ट्रंप के भारत आगमन पर गांव में उत्साह नहीं

अब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार को भारत दौरे पर आ रहे हैं और उनके नाम पर रखे गए मरोड़ा गांव का जिक्र ना हो तो यह ठीक नहीं है. मरोड़ा गांव में डोनाल्ड ट्रंप के भारत आगमन जैसा कोई जोश या उत्साह ग्रामीणों से लेकर संस्था में दिखाई नहीं पड़ता.

मीडिया ने जब गांव की राखी बनाने वाली बेटियों और ग्रामीणों से बातचीत की तो उनका दिल का दर्द जवान पर आ गया. उन्होंने दो टूक कहा कि बड़े चाव से राखियां बनाई थी. सिलाई सेंटर में दाखिला लिया था और पता नहीं कितने बड़े - बड़े वादे सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिन्देश्वर पाठक और उनकी टीम ने किए थे, लेकिन सब के सब धराशाई हो गए.

दो गांवों का नाम 'ट्रंप सुलभ गांव' रखा गया

बता दें कि सुलभ इंटरनेशनल संस्था ने अमरीका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के नाम पर 23 जून 2017 को गांव पंचायत मरोड़ा और उनके अंर्तगत आने वाले दो अन्य गांव निजामपुर और छावा का संयुक्त नाम 'ट्रंप सुलभ गांव' रखा था.

गौरतलब है कि सुलभ इंटरनेशनल संस्था मेवात जिला में पिछले आठ-दस साल से काम कर रही है. अब तक वो मेवात जिला के धांदूका, कौराली, टपकन, इंडरी, हिरमथला सहित कई गावों को खुले में शौच मुक्त गांव बना चुकी है.

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