नई दिल्ली/गुरुग्राम: साइबर सिटी में भष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है. गुरुग्राम में लॉकडाउन के दौरान धड़ल्ले से अवैध रूप से करीब 1200 रजिस्ट्री की गई. ये सभी रजिस्ट्री बिना किसी एनओसी के हुई है. इस मामले का खुलासा एक आरटीआई में हुआ है.
ये सभी रजिस्ट्री अवैध रूप से करीब 7 तहसील के अंदर की गई हैं. दरअसल गुरुग्राम में रजिस्ट्री कराने के लिए डीटीपी ऑफिस से एनओसी लेनी होती है, लेकिन ये सभी रजिस्ट्री बिना किसी एनओसी के कराई गई जो कि बिल्कुल अवैध है.
बिना किसी एनओसी के 1200 रजिस्ट्री कर दी
लॉकडाउन के दौरान गुरुग्राम की सोहना, बादशाहपुर, कादिपुर, हरसुरू और गुरुग्राम समेत करीब 7 तहसीलों में कार्यरत तहसीलदारों ने सरकार के सभी आदेशों को ताक पर रखकर अवैध कालोनियों और हुडा एक्ट सेक्शन- 7 के तहत आने वाली कृषि भूमि की बिना किसी एनओसी के ही लगभग 1200 रजिस्ट्री कर दी.
आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश यादव ने बताया कि एक 100 गज की रजिस्ट्री पर करीब एक लाख से डेढ़ लाख रुपये की रिश्वत ली गई है. उन्होंने बताया कि 20 अप्रैल से 4 मई तक गुरुग्राम तहसील में 2 रजिस्ट्री की गई है. यहां पर भी ये बात जानने लायक है कि चौमा गांव के ये प्लॉट 900 मीटर के दायरे में आते हैं जहां कि रजिस्ट्री सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बंद है.
।74 रजिस्ट्री सोहना तहसील में, 2 वजीराबाद तहसील में हुई है.10 कादिपुर, 10 हर्सरु और 30 रजिस्ट्री बादशाह पुर तहसील में की गई. इसके बाद मई और जून में करीब 1,070 अवैध रजिस्ट्री रिश्वत लेकर की गई. इन तहसीलदारों में सोहना के नायब तहसीलदार दलबीर सिंह पर तो कोर्ट में भ्रष्टाचार का दोष साबित होने पर शिवाजी नगर थाना क्षेत्र में एफआईआर भी दर्ज है.
फिलहाल इस मामले में जिला उपायुक्त ने उच्च अधिकारियों को इस बाबत अवगत करा दिया है. वहीं सरकार की तरफ से भी ये निर्णय लिया गया है कि जिस तरह से अवैध रूप से से रजिस्ट्री का धड़ल्ले से गोरखधंधा चल रहा है उसको ध्यान में रखते हुए 17 अगस्त तक रजिस्ट्री पर बैन लगा दिया है.