नई दिल्ली/नूंह: इस वक्त पूरी दुनिया का ध्यान कोरोना संक्रमण को रोकने पर है, लेकिन ये ध्यान देने की जरूरत है कि कोरोना के साथ-साथ घातक मौसमी बीमारियों से भी रोकथाम जरूरी है. उत्तर भारत में इन दिनों मलेरिया का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में हरियाणा के नूंह जिले में मलेरिया को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.
जून का महीना मलेरिया रोधी महीना है. स्वास्थ्य विभाग 1 जून से 30 जून तक मलेरिया को फैलने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाता है. इस महीने में लोगों को जागरूक करने, स्प्रे करने, जलभराव में काला तेल इत्यादि डालने, मच्छरदानियों का वितरण करने सहित कई बड़े कदम उठाए जाते हैं, ताकि मच्छर का डंक लोगों के स्वास्थ्य पर भारी ना पड़ जाए. खास बात तो यह है कि इस बार स्वास्थ्य विभाग ने आशा तथा आंगनबाड़ी से जुड़ी महिलाओं को फीवर ट्रीटमेंट डिपो का कार्यभार दिया है.
हमें मच्छरों को पनपने से रोकना है- डॉ. अरविंद
डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. अरविंद कुमार जो कि जिला मलेरिया अधिकारी का कार्यभार भी संभाल रहे हैं, उन्होंने कहा कि कोरोना रोग के मद्देनजर स्वास्थ विभाग पर पहले से ही काफी दबाव है. इसलिए आगामी मानसून सीजन में पानी में पैदा होने वाले एनाफलीज और मच्छरों के पनपने पर रोक लगाना बहुत आवश्यक है ताकि डेंगू व मलेरिया न फैले. उन्होंने कहा कि इस कार्य में सभी विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाए. सभी अधिकारी अपने दफ्तरों की नियमित सफाई करवाएं. पानी की सैंपलिंग व वाटर टैंक की सफाई करवाने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता तथा कनिष्ठा अभियंता को कहा गया है. उन्होंने कहा कि जल आपूर्ति लाइन के लीकेज पर विशेष ध्यान दिया जाए.
'लोगों को जागरूक किया जा रहा है'
नूंह जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि गत वर्ष जिला में मलेरिया के 942 केस मिले थे. इसलिए यह लक्ष्य प्राप्त करना अधिक कठिन नहीं है. इस कार्य में सभी विभाग आपसी सामान्य से अपनी जिम्मेदारी निभाएं और सभी जिलावासी मच्छरों को पनपने पर रोक लगाने में स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करें.
डॉ. अरविंद ने बताया कि कोरोना के प्रति जागरूकता के लिए चलाए जा रहे अभियान के साथ-साथ डोर-टू-डोर मलेरिया उन्मूलन के संबंध में भी आमजन को जागरूक किया जा रहा है. महिला एवं बाल विकास विभाग को आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने की हिदायतें भी दी गई है.
लोगों को जागरूक करने के लिए छपवाए 16 हजार पंपलेट
डॉक्टर के मुताबिक पिछले वर्षों के मुकाबले डेंगू व मलेरिया के मामलों में कमी आई है, लेकिन जीरो का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हमें पूरी तरह से जागरूक होकर तथा आपसी तालमेल के साथ कार्य करना होगा. उन्होंने बताया कि जिला की तालाबों में गंबूजिया मछलियों के बीज डालने का काम लगातार किया जा रहा है. कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 16 हजार पंपलेट छपवाए गए हैं.
'घरों के आस-पास साफ सफाई रखें'
उन्होंने बताया कि जीरो मलेरिया जिला बनाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने के लिए विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए आमजन से भी सहयोग का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि आजकल कोरोना के चलते अधिकतर लोगों का ज्यादातर समय घरों में ही बीतता है, इसलिए वे अपने खाली समय का सदुपयोग घर की साफ-सफाई के टायरों में पानी खड़ा न होने दें होने देने जैसे कार्यों में कर सकते हैं.
मलेरिया के लक्षण
- मलेरिया होने पर रोगी को सर्दी लगने लगती है.
- शरीर कांपने लगता है.
- सर्दी के साथ प्यास लगना.
- उल्टी होना, हाथ पैरों पर ठंड लगना.
- बेचैनी होना.
- कब्ज, घबराहट और बेचैनी भी इस बीमारी के लक्षण होते हैं.
कैसे फैलता है मलेरिया
मलेरिया संक्रमित मच्छर में मौजूद एक परजीवी की वजह से फैलता है. अनोफलीज नाम की संक्रमित मादा मच्छर के काटने से इंसान के खून में ये वायरस फैल जाता है. केवल अनोफलीज मच्छर व्यक्ति में मलेरिया बुखार फैला सकता है, जिसने पहले किसी मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति को काटा हो. ये वायरस लिवर तक पहुंच कर उसके काम करने की क्षमता को बिगाड़ देता है.