नई दिल्ली/गुरुग्राम: वाहन पंजीकरण घोटाले में मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने बड़ा खुलासा किया है. बता दें कि बीते दिनों गुरुग्राम, फरीदाबाद और पलवल जिलों में वाहन पंजीयन प्राधिकरण में छापा मारा था. इस दौरान उन्हों कुछ दस्तावेज बरामद किए थे. जिसके आधार पर सीएम उड़नदस्ते ने पुलिस में केस दर्ज कराया था.
बताया जा रहा है कि फर्जी बिल के सहारे एक गिरोह वाहनों को कम कीमत पर पंजीकरण करा कर सरकार के राजस्व को चूना लगा रहा था. इसके तार तीन जिलों से जुड़े बताए जा रहे हैं. वहीं जब ने इस संबंध में मीडिया ने एसडीएम जितेंद्र कुमार से पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने इस मुद्दे पर बोलने से इन्कार कर दिया.
वाहनों के पंजीकरण के नाम पर सरकार को लगाया चूना
बता दें कि गुरुग्राम वाहन पंजीयन प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की शिकायत पर बीते दिनों मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की टीम ने छापा मारा था. इस दौरान अधिकारियों ने दफ्तर से कई दस्तावेज जब्त किए थे. मुख्यमंत्री उड़नदस्ते के अधिकारियों ने जब इन दस्तावेजों की जांच की तो उसमें बड़ा घोटाला सामने आया. 27 सितंबर 2017 से लेकर 20 मार्च 2020 तक ऐसे हजारों वाहनों के पंजीकरण किए. जिनके पेश किए गए बिल के मुकाबले बाजार कीमत कई गुना अधिक थी.
कई अफसरों पर मिलीभगत का आरोप
इनमें व्यावसायिक वाहन भी शामिल बताए जा रहे हैं. जांच में खुलासा हुआ कि दफ्तर के अधिकारियों के साथ मिलकर करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया. इसमें गुरुग्राम के दलालों के तार बल्लभगढ़ और पलवल से भी जुड़े बताए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने व्यावसायिक वाहन पंजीकरण में गड़बड़ी को लेकर फरीदाबाद में दो मामले दर्ज कराए थे.
मुख्यमंत्री उड़नदस्ते के डीएसपी देवेंद्र कुमार की शिकायत पर शिवाजी नगर थाना पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार अधिनियम एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया है. बता दें कि मामला दर्ज होने के बाद वाहन पंजीयन प्राधिकरण दफ्तर में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं इस पूरे मामले पर अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है.