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चीनी कंपनी अली बाबा और जैक मा को गुरुग्राम कोर्ट ने भेजा समन

चीनी कंपनी अली बाबा और उसके फाउंडर जैक मा को गुरुग्राम की अदालत ने नोटिस जारी किया है. चीनी कंपनी पर देश विरोधी खबरें प्रसारित करने और यूसी ग्रुप के पूर्व एसोसिएट डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह पवार को बिना नोटिस दिए नौकरी से निकालने का आरोप है.

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जैक मा
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Published : Jul 26, 2020, 10:50 PM IST

नई दिल्ली/गुरुग्राम: अदालत ने चीन की कंपनी अली बाबा और उसके फाउंडर जैक मा सहित 12 लोगों को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने ये कार्रवाई यूसी ग्रुप के पूर्व एसोसिएट डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह पवार की याचिका पर की है. परमार का आरोप है कि यूसी ब्राउजर के माध्यम से फर्जी और देश विरोधी सामग्री प्रसारित की गई थी. जिस पर आपत्ति जताई जाने के चलते कंपनी ने उन्हें बिना नोटिस दिए नौकरी से निकाल दिया. वहीं इस मामले की सुनवाई 29 जुलाई को कोर्ट में होगी.

यूसी ब्राउजर के पूर्व अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह परमार की ओर से उनके वकील अतुल अहलावत ने 20 जुलाई को गुरुग्राम कोर्ट में सिविल सूट फाइल किया था. इस दौरान वकील ने आरोप लगाया था कि 30 अक्टूबर 2017 को पुष्पेंद्र परमार को कंपनी ने बिना नोटिस के बाहर का रास्ता दिखा दिया था.

इसकी एवज में वकील ने दस्तावेज अदालत में पेश किए. जिसमें आरोप है कि चीनी कंपनी ने कई बार देश विरोधी खबरें प्रसारित की थी. वकील अतुल ने कोर्ट को बताया कि कंपनी की ओर से एक पोस्ट डाल कर कहा गया था कि आज आधी रात से देश में दो हजार के नोटों पर प्रतिबंध लग रहा है.

इसके अलावा अभी-अभी भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया है. जिसमें दोनों देशों के बीच सीमा पर गोलीबारी की बात कही गई थी. ऐसे कई फेक खबरें प्रसारित की गई. परमार ने कंपनी पर दो करोड़ के हर्जाने ने की मांग की है. वहीं परमार ने ये भी बताया कि कंपनी ने रिपब्लिक डे पर भारत के तिरंगे का केक कटवाया था और इन सब का जब उन्होंने विरोध किया तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

नई दिल्ली/गुरुग्राम: अदालत ने चीन की कंपनी अली बाबा और उसके फाउंडर जैक मा सहित 12 लोगों को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने ये कार्रवाई यूसी ग्रुप के पूर्व एसोसिएट डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह पवार की याचिका पर की है. परमार का आरोप है कि यूसी ब्राउजर के माध्यम से फर्जी और देश विरोधी सामग्री प्रसारित की गई थी. जिस पर आपत्ति जताई जाने के चलते कंपनी ने उन्हें बिना नोटिस दिए नौकरी से निकाल दिया. वहीं इस मामले की सुनवाई 29 जुलाई को कोर्ट में होगी.

यूसी ब्राउजर के पूर्व अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह परमार की ओर से उनके वकील अतुल अहलावत ने 20 जुलाई को गुरुग्राम कोर्ट में सिविल सूट फाइल किया था. इस दौरान वकील ने आरोप लगाया था कि 30 अक्टूबर 2017 को पुष्पेंद्र परमार को कंपनी ने बिना नोटिस के बाहर का रास्ता दिखा दिया था.

इसकी एवज में वकील ने दस्तावेज अदालत में पेश किए. जिसमें आरोप है कि चीनी कंपनी ने कई बार देश विरोधी खबरें प्रसारित की थी. वकील अतुल ने कोर्ट को बताया कि कंपनी की ओर से एक पोस्ट डाल कर कहा गया था कि आज आधी रात से देश में दो हजार के नोटों पर प्रतिबंध लग रहा है.

इसके अलावा अभी-अभी भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया है. जिसमें दोनों देशों के बीच सीमा पर गोलीबारी की बात कही गई थी. ऐसे कई फेक खबरें प्रसारित की गई. परमार ने कंपनी पर दो करोड़ के हर्जाने ने की मांग की है. वहीं परमार ने ये भी बताया कि कंपनी ने रिपब्लिक डे पर भारत के तिरंगे का केक कटवाया था और इन सब का जब उन्होंने विरोध किया तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

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