नई दिल्ली/नूंह: प्रदेश के सभी ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने ईपीएफ लागू करवाने, 2020 के बकाया वर्दी भत्ते का भुगतान और पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा उपकरण दिए जाने आदि मांगों को लेकर सोमवार से अपना राज्यव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया है. नूंह जिले में भी ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने लगातार दूसरे दिन बीडीपीओ कार्यालय पर धरना दिया.
काले बिल्ले लगाकर किया काम
सफाई कर्मचारियों ने मांगों का समाधान ना होने के चलते रोष स्वरूप दूसरे दिन प्रदेश भर में काले बिल्ले लगाकर काम किया. ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन हरियाणा ब्लॉक के प्रधान ने कहा कि प्रदेश सरकार ग्रामीण सफाई कर्मचारियों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. सरकार ने इन कर्मचारियों को राम भरोसे छोड़ दिया है. कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार को बार-बार समस्याओं से अवगत करा चुकें हैं. उसके बावजूद भी सरकार कर्मचारियों की सुध लेने को तैयार नहीं है जिससे सफाई कर्मचारियों में रोष बढ़ता जा रहा है.
यूनियन नेताओं ने कहा कि 4 सितंबर 2019 को ईपीएफ लागू करने का पंचायत विभाग में पत्र जारी किया था. उसके बाद ईपीएफ लागू करने के लिए वित्त विभाग ने मंजूरी के नाम पर चार माह गुजार दिए और 9 जनवरी को वित्त विभाग ने भी मंजूरी दी. वहीं 17 मार्च को विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान सचिव ने ईपीएफ लागू करने के बारे में पत्र जारी कर दिया. उसके बाद भी जिले के किसी भी ब्लॉक में ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को ईपीएफ के दायरे में शामिल नहीं किया गया जिसके कारण लगातार कर्मचारियों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है.
कर्मचारियों ने कहा कि कोरोना महामारी लगातार बढ़ती जा रही है. इस बीमारी में भी सफाईकर्मी ईमानदारी से अपनी जान को जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं, लेकिन सरकार ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को इस बढ़ती कोरोना महामारी में पर्याप्त मात्रा में मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजर इत्यादि सभी पूरी सुरक्षा किट भी नहीं दे रही है और ना ही 50 लाख बीमा कवरेज और जोखिम भत्ता दिया जा रहा है. सरकार एक तरफ सफाई कर्मचारियों पर वर्दी पहनकर काम करने का दवाब बना रही है और दूसरी तरफ 3500 रुपए सालाना मिलने वाले वर्दी भत्ते का 2020 में किसी भी कर्मचारी को भुगतान तक नहीं किया. कर्मचारियों ने जल्द मांगें पूरी ना होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है.