नई दिल्ली/गुरुग्राम: 15 साल पहले नूंह में बना गांधी पार्क आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. गांधी पार्क में स्वच्छता का मजाक उड़ रहा है. चारदीवारी टूटती जा रही है. आवारा पशु पार्क में घूम रहे हैं तो वहीं पार्क के अंदर गंदगी का अंबार लगा है. शाम ढलते ही गांधी पार्क शराबियों का अड्डा बन जाता है.
गुरुग्राम-अलवर मार्ग पर नूंह शहर में प्रवेश करते ही गांधी पार्क आपका स्वागत करता है. पार्क में सुबह शाम टहलने वालों की संख्या शून्य हो चली है. पार्क की घास की कटाई नहीं होती, सफाई नहीं होती, चारदीवारी की ग्रिल चोरी हो रही है.
पार्क में बिजली-पानी के पुख्ता इंतजाम नहीं है. पंचायतों का या धरना देने वाले कर्मचारियों का ये ठिकाना दिन में अकसर दिखाई देता है. पॉलिथीन के अलावा खाने-पीने की वस्तुओं को लाने वाले लिफाफे गांधी पार्क में बड़ी संख्या में पड़े हुए हैं.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने संदेश दिया था कि स्वच्छता ईश्वर का दूसरा रूप है. उसके बाद मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता का पैगाम देने के लिए खुद हाथों में झाड़ू उठा ली, लेकिन नूंह प्रशासन और नगर पालिका प्रशासन पर इसका कोई असर दिखाई नहीं देता.
2005 में हुड्डा सरकार ने बनाया था गांधी पार्क
दरअसल, नूंह के वजूद में आने के बाद जिला मुख्यालय पर पार्क बनाने की मांग प्रमुखता से उठी थी. शहर के दोनों छोर पर गांधी पार्क और शहीद पार्क पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में ये पार्क 7 नवंबर 2005 में बनाया गया.
भव्य पार्क के बनने के बाद शहर के लोगों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन अब नूंहवासी पार्क के बदहाली पर दुखी हैं और प्रशासन से इसकी तस्वीर बदलने की मांग कर रहे हैं.