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नूंह में आशा वर्कर्स का धरना प्रदर्शन जारी, सरकार को दी चेतावनी - नूंह आशा वर्कर्स प्रदर्शन

नूंह में करीब एक महीने से आशा वर्कर्स का धरना प्रदर्शन जारी है. आशा वर्कर्स का कहना है जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.

Asha workers protest in Nuh
नूंह में आशा कार्यकर्ताओं ने किया विरोध
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Published : Sep 8, 2020, 10:24 PM IST

नई दिल्ली/नूंह: आशा वर्कर अपनी मांगों को लेकर करीब 32 दिनों से सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा में धरना प्रदर्शन कर रही हैं. आशा वर्कर्स का कहना है कि जब तक सरकार उनकी न्यूनतम वेतन की मांग को नहीं मानेगी. तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. उनका कहना है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की आशा प्रतिनिधि मंडल के साथ बैठक होनी है, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई बुलावा नहीं मिला है.

नूंह में आशा कार्यकर्ताओं ने किया विरोध

आशा वर्कर सरकार के रवैये से बेहद नाराज हैं. आशा वर्कर्स का कहना है कि सरकार को जब काम कराना होता है तो आशा वर्कर की याद आती है. वहीं जब वेतन देना होता है तो सरकार उस पर गंभीर नहीं दिखाई देती. आशा वर्कर्स का कहना है कि 4000 रुपये से अधिक एक मजदूर को भी मिल जाते हैं. सरकार को कम से कम न्यूनतम वेतन 18,000 हजार रुपये देना चाहिए.

आशा वर्कर्स ने सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना पर निशाना साधते हुए कहा कि वो भी प्रदेश की बेटियां हैं. उनको अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है. बता दें कि, प्रदेशभर में आशा वर्कर्स धरना प्रदर्शन जारी है. आशा वर्कर्स का कहना है जब तक मांगें पूरी नहीं होती तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा.

नई दिल्ली/नूंह: आशा वर्कर अपनी मांगों को लेकर करीब 32 दिनों से सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा में धरना प्रदर्शन कर रही हैं. आशा वर्कर्स का कहना है कि जब तक सरकार उनकी न्यूनतम वेतन की मांग को नहीं मानेगी. तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. उनका कहना है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की आशा प्रतिनिधि मंडल के साथ बैठक होनी है, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई बुलावा नहीं मिला है.

नूंह में आशा कार्यकर्ताओं ने किया विरोध

आशा वर्कर सरकार के रवैये से बेहद नाराज हैं. आशा वर्कर्स का कहना है कि सरकार को जब काम कराना होता है तो आशा वर्कर की याद आती है. वहीं जब वेतन देना होता है तो सरकार उस पर गंभीर नहीं दिखाई देती. आशा वर्कर्स का कहना है कि 4000 रुपये से अधिक एक मजदूर को भी मिल जाते हैं. सरकार को कम से कम न्यूनतम वेतन 18,000 हजार रुपये देना चाहिए.

आशा वर्कर्स ने सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना पर निशाना साधते हुए कहा कि वो भी प्रदेश की बेटियां हैं. उनको अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है. बता दें कि, प्रदेशभर में आशा वर्कर्स धरना प्रदर्शन जारी है. आशा वर्कर्स का कहना है जब तक मांगें पूरी नहीं होती तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा.

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