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प्रधानों को नहीं आता लैपटॉप चलाना! कैसे डिजिटल होगा इंडिया? - VK Singh

गाजियाबाद में सांसद वीके सिंह ने ग्राम प्रधानों के बीच लैपटॉप का वितरण किया. ये डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत किया गया. समस्या ये है कि इनमें से अधिकांश लोगों को लैपटॉप चलाना नहीं आता. फिर कैसे डिजिटल इंडिया का उद्देश्य पूरा होगा.

वीके सिंह ने बांटा लैपटॉप
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Published : Mar 11, 2019, 4:36 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए बांटे गए कंप्यूटर और लैपटॉप पर सरकार और सरकारी महकमों की बड़ी किरकिरी हुई है. कारण है कि जिन ग्राम प्रधानों को ये लैपटॉप बांटे गए हैं उन्हें ये चलाना नहीं आता.

गाजियाबाद में जिन 55 ग्राम प्रधानों को डिजिटल इंडिया के तहत लैपटॉप दिए गए उनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें माउस का मतलब तक नहीं पता. कुछ ऐसे हैं जो महज पांचवी पास है और कंप्यूटर की एबीसी तक नहीं जानते.

प्रधानों को लैपटॉप चलाना नहीं आता
हैरत की बात ये है कि इन ग्राम प्रधानों को ये लैपटॉप इसलिए दिए गए ताकि इनके माध्यम से गांव वालों को सरकारी योजनाओं से अवगत करा सकें. लेकिन इनमें से ज्यादातर ग्राम प्रधान ऐसे हैं जिन्हें खुद ही कंप्यूटर चलाना नहीं आता तो कैसे वे गांव-वालों को लैपटॉप पर काम करके सरकारी योजनाओं से अवगत कराएंगे.

विकास भवन में हुआ कार्यक्रम
गाजियाबाद में आज विकास भवन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें केंद्रीय मंत्री वीके सिंह मौजूद थे. 55 गांवों के प्रधानों को यहां पर लैपटॉप वितरित किया जाना था लेकिन उससे पहले ही अंगूठा छाप करतूत सामने आ गई. इस सरकारी कार्यक्रम में जो बैनर लगाया गया था उसमें हिंदी के कई शब्दों की स्पेलिंग गलत थी. राज्य मंत्री से लेकर भारत सरकार तक की स्पेलिंग ठीक नहीं लिखी हुई थी,

पट्टिका पर गलत हिन्दी थी
जब सरकारी कार्यक्रम में प्रशासन के लोगों ने देखा कि मीडिया की नजर इस सब पर पड़ गई है तो आनन-फानन में गलत स्पेलिंग को ठीक कराया गया. जैसे ही प्रधानों को लैपटॉप वितरित किए गए वैसे ही हमने कुछ ग्राम प्रधानों से बात की. इनमें से 1 ग्राम प्रधान ऐसी थी जो महज पांचवी पास हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें कंप्यूटर चलाना नहीं आता है लेकिन उनके घर में बच्चों को चलाना आता है.

अधूरा रह जाएगा सपना
लोगों ने इस पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि इसे वितरित किए जाने से पहले प्रधानों को इसे ऑपरेट करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि अगर ग्राम प्रधान इनके बारे में नहीं जानेंगे तो फिर इसका वास्तविक उद्देश्य अधूरा रह जाएगा.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए बांटे गए कंप्यूटर और लैपटॉप पर सरकार और सरकारी महकमों की बड़ी किरकिरी हुई है. कारण है कि जिन ग्राम प्रधानों को ये लैपटॉप बांटे गए हैं उन्हें ये चलाना नहीं आता.

गाजियाबाद में जिन 55 ग्राम प्रधानों को डिजिटल इंडिया के तहत लैपटॉप दिए गए उनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें माउस का मतलब तक नहीं पता. कुछ ऐसे हैं जो महज पांचवी पास है और कंप्यूटर की एबीसी तक नहीं जानते.

प्रधानों को लैपटॉप चलाना नहीं आता
हैरत की बात ये है कि इन ग्राम प्रधानों को ये लैपटॉप इसलिए दिए गए ताकि इनके माध्यम से गांव वालों को सरकारी योजनाओं से अवगत करा सकें. लेकिन इनमें से ज्यादातर ग्राम प्रधान ऐसे हैं जिन्हें खुद ही कंप्यूटर चलाना नहीं आता तो कैसे वे गांव-वालों को लैपटॉप पर काम करके सरकारी योजनाओं से अवगत कराएंगे.

विकास भवन में हुआ कार्यक्रम
गाजियाबाद में आज विकास भवन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें केंद्रीय मंत्री वीके सिंह मौजूद थे. 55 गांवों के प्रधानों को यहां पर लैपटॉप वितरित किया जाना था लेकिन उससे पहले ही अंगूठा छाप करतूत सामने आ गई. इस सरकारी कार्यक्रम में जो बैनर लगाया गया था उसमें हिंदी के कई शब्दों की स्पेलिंग गलत थी. राज्य मंत्री से लेकर भारत सरकार तक की स्पेलिंग ठीक नहीं लिखी हुई थी,

पट्टिका पर गलत हिन्दी थी
जब सरकारी कार्यक्रम में प्रशासन के लोगों ने देखा कि मीडिया की नजर इस सब पर पड़ गई है तो आनन-फानन में गलत स्पेलिंग को ठीक कराया गया. जैसे ही प्रधानों को लैपटॉप वितरित किए गए वैसे ही हमने कुछ ग्राम प्रधानों से बात की. इनमें से 1 ग्राम प्रधान ऐसी थी जो महज पांचवी पास हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें कंप्यूटर चलाना नहीं आता है लेकिन उनके घर में बच्चों को चलाना आता है.

अधूरा रह जाएगा सपना
लोगों ने इस पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि इसे वितरित किए जाने से पहले प्रधानों को इसे ऑपरेट करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि अगर ग्राम प्रधान इनके बारे में नहीं जानेंगे तो फिर इसका वास्तविक उद्देश्य अधूरा रह जाएगा.



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गाजियाबाद में डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए बांटे गए कंप्यूटर के नाम पर सरकार और सरकारी महकमों की बड़ी किरकिरी हुई है। गाजियाबाद में जिन 55 ग्राम प्रधानों को डिजिटल इंडिया के तहत लैपटॉप दिए गए उनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें माउस का मतलब तक नहीं पता, तो कुछ ऐसे हैं जो महज पांचवी पास है और कंप्यूटर की एबीसी तक नहीं जानते।  

हैरत की बात यह है कि इन ग्राम प्रधानों को यह लैपटॉप इसलिए दिए गए, क्योंकि वह इनके माध्यम से गांव वालों को सरकारी योजनाओं से अवगत करा सके। लेकिन इनमें से ज्यादातर ग्राम प्रधान ऐसे हैं जिन्हें खुद ही कंप्यूटर चलाना नहीं आता। तो कैसे वह गांव वासियों को लैपटॉप पर काम करके सरकारी योजनाओं से अवगत कराएंगे।

गाजियाबाद में आज विकास भवन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें केंद्रीय मंत्री वीके सिंह मौजूद थे। 55 गांवों के प्रधानों को यहां पर लैपटॉप वितरित किया जाना था। लेकिन उससे पहले ही अंगूठा छाप करतूत सामने आ गई । इस सरकारी कार्यक्रम में जो बैनर लगाया गया था उसमें हिंदी के कई शब्दों की स्पेलिंग गलत थी। राज्य मंत्री से लेकर भारत सरकार तक की स्पेलिंग ठीक नहीं लिखी हुई थी। जब सरकारी कार्यक्रम में प्रशासन के लोगों ने देखा कि मीडिया की नजर इस सब पर पड़ गई है तो आनन-फानन में गलत स्पेलिंग को ठीक कराया गया। इसके बाद जैसे ही प्रधानों को लैपटॉप वितरित किए गए वैसे ही हमने कुछ ग्राम प्रधानों से बात की । इनमें से 1 ग्राम प्रधान ऐसी थी जो महज पांचवी पास हैं।  उन्होंने खुद कहा कि उन्हें कंप्यूटर चलाना नहीं आता है। लेकिन उनके घर में बच्चों को चलाना आता है । अब सोचिए लैपटॉप देने का मकसद यह है कि ग्राम प्रधान इस लैपटॉप को लेकर गांव वासियों को सरकारी योजनाओं से अवगत कराएं ।लेकिन जब ग्राम प्रधान को खुद ही कंप्यूटर की जानकारी नहीं होगी तो वह गांव वासियों को क्या सिखाएंगे। 1 ग्राम प्रधान से हमने पूछा कि माउस क्या होता है । उनका कहना था कि माउस माउस होता है। वह भी नहीं जानते कि लैपटॉप या कंप्यूटर कैसे चलाया जाएगा। मतलब साफ है कि सरकार को पहले इन ग्राम प्रधानों को कंप्यूटर की जानकारी से शिक्षित करना चाहिए । और उसके बाद लैपटॉप वितरित करने चाहिए । लेकिन आनन-फानन में यह लैपटॉप इसलिए वितरित किए गए ताकि आचार संहिता से पहले यह वितरण पूरा हो सके। पूरे कार्यक्रम में सरकारी महकमे और सरकार की बड़ी किरकिरी की हुई। लैपटॉप का यह कार्यक्रम सरकारी लॉलीपॉप का कार्यक्रम बनता हुआ दिखाई दिया।

बाइट ग्राम प्रधान
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