नई दिल्ली/गाजियाबाद: ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस के बाद गाज़ियाबाद में येलो फंगस का मामला सामने साया है. प्रोफेसर डॉ बी पी त्यागी ने दावा किया है कि ग़ाज़ियाबाद में येलो फंगस का पहला मामला सामने आया है. मरीज़ का अस्पताल में इलाज जारी है. मरीज येलो फंगस के साथ ब्लैक और व्हाइट फंगस से भी ग्रसित है. मरीज संजय नगर का रहने वाला है, जो 45 साल का है.
ENT स्पेशलिस्ट प्रोफेसर डॉ बी पी त्यागी के मुताबिक मुकोर सेप्टिकस (पीले फ़ंगस) के लक्षण हैं सुस्ती, कम भूख लगना, या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना. जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है वैसे की गंभीर लक्षण, जैसे मवाद का रिसाव करना और खुले घाव का धीमी गति से ठीक होना और सभी घावों की धीमी गति से भरना ,कुपोषण और अंग विफलता और परिगलन के कारण धंसी हुई आंखें.
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डॉ. त्यागी के मुताबिक पीला फ़ंगस एक घातक बीमारी है क्योंकि यह आंतरिक रूप से शुरू होता है और इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी लक्षण को नोटिस किया जा सकता है. यह दुर्भाग्य से कई मामलों में प्रबंधन करना बहुत मुश्किल बना देता है और इसमें केवल देरी हो सकती है. इसका एक मात्र इलाज इंजेक्शन amphoteracin b है.
पीले फंगस का कारण खराब स्वच्छता हैं
डॉ. त्यागी के मुताबिक घर के आस पास के बाड़े को साफ़ करना, इसे यथासंभव स्वच्छ रखना, और बैक्टीरिया और फ़ंगस के विकास को रोकने में मदद करने के लिए पुराने खाद्य पदार्थों और फेकल पदार्थ को जल्द से जल्द हटाना बहुत महत्वपूर्ण है. घर की आर्द्रता भी महत्वपूर्ण है.
इसलिए इसे हर समय मापा जाना चाहिए, बहुत अधिक आर्द्रता बैक्टीरिया और फ़ंगस के विकास को बढ़ावा दे सकती है. जितनी जल्दी हो सके किसी भी चिकित्सा पद्यती को अपनाना महत्वपूर्ण है ताकि हमारा शरीर स्वयं पीले कवक जैसी और जटिलताओं को जन्म न दे. गाजियाबाद के मुख्य चिकितस्या अधिकारी डॉ एन के गुप्ता के मुताबिक ज़िले में पीले फंगस के मामले की अभी कोई सूचना नहीं मिली है.