ETV Bharat / city

लाॅकडाउन स्पेशल: मुरादनगर के श्मशान घाट में पड़ा लकड़ियों का अकाल, कैसे हो दाह संस्कार - Cremation ghats Muradnagar

लाॅकडाउन के चलते संपूर्ण भारत देश में काफी दिक्कतें हो रही हैं. अब इंसान का अंतिम स्थान कहे जाने वाले श्मशान घाट में भी दाह संस्कार करने के लिए लकड़ियों की कमी पड़ने लगी है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने श्मशान घाट के पंडित संजय जोशी से की खास बातचीत.

wood supply stopped at crematorium
श्मशान घाट में पड़ा लकड़ियों का अकाल
author img

By

Published : Apr 17, 2020, 11:15 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ दिया गया है. लाॅकडाउन के चलते मुरादनगर के मोक्ष द्वार श्मशान घाट में लकड़ियां आनी बंद हो गई है. जिसकी वजह से अगर श्मशान घाट में किसी की अर्थी आती है, तो उसका दाह संस्कार करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

श्मशान घाट के पंडित ने दी जानकारी

श्मशान घाट के पंडित से बातचीत

लाॅकडाउन के चलते संपूर्ण भारत देश में काफी दिक्कतें हो रही हैं. अब इंसान का अंतिम स्थान कहे जाने वाले श्मशान घाट में भी दाह संस्कार करने के लिए लकड़ियों की कमी पड़ने लगी है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने श्मशान घाट के पंडित संजय जोशी से की खास बातचीत.

श्मशान घाट में पड़ी लकड़ियों की कमी

मुरादनगर मोक्ष द्वार श्मशान घाट के पंडित संजय जोशी ने ईटीवी भारत को बताया कि लाॅकडाउन के चलते श्मशान घाट में लकड़िया लाने वाले टेंपो आना बंद हो गए. जिसकी वजह से श्मशान घाट में लकड़ियों की कमी पड़ने लगी है और अगर अब वो लकड़ी मंगाते भी है, तो वो उनको महंगे दामों में मिलेगी. फिलहाल उनके पास दो से तीन अर्थियों का दाह संस्कार करने के लिए ही लकड़ियां बची हुई हैं. अगर वो भी खत्म हो जाती है, तो इसके बाद उनको अर्थियों का दाह संस्कार करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

अर्थी के साथ आने वाले लोगों की संख्या भी घटी

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि श्मशान घाट में अर्थी के साथ आने वाले लोगों की भी संख्या कम हो गई है. अब सिर्फ 10 से 15 लोग ही अर्थी के साथ आते हैं. क्योंकि लाॅकडाउन के चलते वो भी नियमों का पालन कर रहे हैं और वो खुद भी लाॅकडाउन का पालन कर रहे हैं. पहले श्मशान घाट में उनकी 5 से 6 लोगों की टीम रहती थी, लेकिन अब लाॅकडाउन के चलते उन्होंने भी अपनी टीम की संख्या घटाकर 2 से 3 लोगों की कर ली है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ दिया गया है. लाॅकडाउन के चलते मुरादनगर के मोक्ष द्वार श्मशान घाट में लकड़ियां आनी बंद हो गई है. जिसकी वजह से अगर श्मशान घाट में किसी की अर्थी आती है, तो उसका दाह संस्कार करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

श्मशान घाट के पंडित ने दी जानकारी

श्मशान घाट के पंडित से बातचीत

लाॅकडाउन के चलते संपूर्ण भारत देश में काफी दिक्कतें हो रही हैं. अब इंसान का अंतिम स्थान कहे जाने वाले श्मशान घाट में भी दाह संस्कार करने के लिए लकड़ियों की कमी पड़ने लगी है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने श्मशान घाट के पंडित संजय जोशी से की खास बातचीत.

श्मशान घाट में पड़ी लकड़ियों की कमी

मुरादनगर मोक्ष द्वार श्मशान घाट के पंडित संजय जोशी ने ईटीवी भारत को बताया कि लाॅकडाउन के चलते श्मशान घाट में लकड़िया लाने वाले टेंपो आना बंद हो गए. जिसकी वजह से श्मशान घाट में लकड़ियों की कमी पड़ने लगी है और अगर अब वो लकड़ी मंगाते भी है, तो वो उनको महंगे दामों में मिलेगी. फिलहाल उनके पास दो से तीन अर्थियों का दाह संस्कार करने के लिए ही लकड़ियां बची हुई हैं. अगर वो भी खत्म हो जाती है, तो इसके बाद उनको अर्थियों का दाह संस्कार करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

अर्थी के साथ आने वाले लोगों की संख्या भी घटी

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि श्मशान घाट में अर्थी के साथ आने वाले लोगों की भी संख्या कम हो गई है. अब सिर्फ 10 से 15 लोग ही अर्थी के साथ आते हैं. क्योंकि लाॅकडाउन के चलते वो भी नियमों का पालन कर रहे हैं और वो खुद भी लाॅकडाउन का पालन कर रहे हैं. पहले श्मशान घाट में उनकी 5 से 6 लोगों की टीम रहती थी, लेकिन अब लाॅकडाउन के चलते उन्होंने भी अपनी टीम की संख्या घटाकर 2 से 3 लोगों की कर ली है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.