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जानिए...आखिर रमजान में ही क्यों पढ़ते हैं तरावीह की नमाज और क्या है इसमें खास - Ramadan

रमजान का महीना चल रहा है. आम दिनों में पांच वक्त की नमाज से अलग रमजान में एक खास तरह की नमाज पढ़ी जाती है. जिसे तरावीह की नमाज कहा जाता है. आखिर तरावीह की नमाज रमजान में ही क्यों पढ़ी जाती है और क्या है इस नमाज में खास, इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मुफ्ती सहाब से की खास बातचीत की.

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तरावीह की नमाज
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Published : May 15, 2020, 7:25 PM IST

Updated : May 15, 2020, 8:35 PM IST

नई दिल्ली: लाॅकडाउन के बीच मुस्लिम समुदाय का रमजान का महीना चल रहा है. आम दिनों में पांच वक्त की नमाज से अलग रमजान में एक खास तरह की नमाज पढ़ी जाती है. जिसे तरावीह की नमाज कहा जाता है. आखिर तरावीह की नमाज रमजान में ही क्यों पढ़ी जाती है और क्या है इस नमाज में खास, इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मुफ्ती साहब से की खास बातचीत की.


'कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है'

कहा जाता है कि रमजान का महीना काफी फजीलत वाला है, जैसा की सरकारे दो आलम मोहम्मद साहब फरमाते हैं कि रमजान के मुबारक महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं. इन दिनों में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे दिन रोजा रखकर और रात को जाकर नमाज पढ़कर खुदा की इबादत करते हैं.

आखिर रमजान में ही क्यों पड़ते हैं तरावीह की नमाज

मौलाना ने बताया कि रमजान के महीने में तरावीह की नमाज में कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है यानि कुरान शरीफ को पूरा पढ़ा जाता है. जिससे कि आखिर में खुदा के सामने अपने गुनाहों को माफ कराया जा सकें. ईटीवी भारत को मुफ्ती आबिद कासमी ने बताया कि रमजान के महीने में पांच वक्त की नमाज के अलावा ईशा की नमाज के बाद खास तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है. तरावीह की नमाज ईशा की नमाज के बाद 20 रकात पढ़ी जाती है. हर बालिक मर्द और औरत पर तरावीह की नमाज पढ़ना सुन्नत है. क्योंकि हमें तरावीह की नमाज पढ़ने का रमजान में ही हुकुम मिला हैं.

'तरावीह की नमाज पढ़ना सुन्नत'

मुफ्ती साहब ने बताया कि हम पूरे साल किसी भी महीने में तरावीह की नमाज नहीं पढ़ सकते, क्योंकि हमें खुदा की तरफ से रमजान के महीने में ही तरावीह की नमाज पढ़ने का हुकुम मिला है. अल्लाह के प्यारे रसूल हजरत मोहम्मद साहब ने भी ये फरमाया है कि जो मुसलमान रमजान के महीने में दिन और रात को जागकर खुदा की इबादत करेगा, तो अल्लाह रब्बुल इज्जत उसके सारे गुनाह माफ फरमा देते हैं.


'कुरान शरीफ से माफ होंगे गुनाह'

मुफ्ती साहब ने बताया कि तरावीह की नमाज में हम कुरान शरीफ सुनते हैं और सुनाते हैं. क्योंकि जब मैदान-ए-महसर में (मरने के बाद खुदा के सामने पेश होंगे) तो यही कुरान शरीफ हमारी सिफारिश में आएगा. खुदा से कहेगा कि अल्लाह इन लोगों ने रातों को जाग कर मुझे पढ़ा और इन्होंने अपनी राहत को तेरी राह में कुर्बान किया. इसीलिए उनकी मगफिरत फरमाए दीजिए. तो अल्लाह अपने उन सभी बन्दों की मगफिरत फरमा देंगे, जिन्होंने रमजान के महीने में तरावीह की नमाज में कुरान शरीफ को पढ़ा और सुना हैं.

'रमजान में करें खुदा की इबादत'

इसके साथ ही मुफ्ती साहब ने सभी मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपील करते हुए कहा है कि वो रमजान के इस पाक महीने की ज्यादा से ज्यादा कद्र करें और खुदा की इबादत करें.

नई दिल्ली: लाॅकडाउन के बीच मुस्लिम समुदाय का रमजान का महीना चल रहा है. आम दिनों में पांच वक्त की नमाज से अलग रमजान में एक खास तरह की नमाज पढ़ी जाती है. जिसे तरावीह की नमाज कहा जाता है. आखिर तरावीह की नमाज रमजान में ही क्यों पढ़ी जाती है और क्या है इस नमाज में खास, इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मुफ्ती साहब से की खास बातचीत की.


'कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है'

कहा जाता है कि रमजान का महीना काफी फजीलत वाला है, जैसा की सरकारे दो आलम मोहम्मद साहब फरमाते हैं कि रमजान के मुबारक महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं. इन दिनों में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे दिन रोजा रखकर और रात को जाकर नमाज पढ़कर खुदा की इबादत करते हैं.

आखिर रमजान में ही क्यों पड़ते हैं तरावीह की नमाज

मौलाना ने बताया कि रमजान के महीने में तरावीह की नमाज में कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है यानि कुरान शरीफ को पूरा पढ़ा जाता है. जिससे कि आखिर में खुदा के सामने अपने गुनाहों को माफ कराया जा सकें. ईटीवी भारत को मुफ्ती आबिद कासमी ने बताया कि रमजान के महीने में पांच वक्त की नमाज के अलावा ईशा की नमाज के बाद खास तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है. तरावीह की नमाज ईशा की नमाज के बाद 20 रकात पढ़ी जाती है. हर बालिक मर्द और औरत पर तरावीह की नमाज पढ़ना सुन्नत है. क्योंकि हमें तरावीह की नमाज पढ़ने का रमजान में ही हुकुम मिला हैं.

'तरावीह की नमाज पढ़ना सुन्नत'

मुफ्ती साहब ने बताया कि हम पूरे साल किसी भी महीने में तरावीह की नमाज नहीं पढ़ सकते, क्योंकि हमें खुदा की तरफ से रमजान के महीने में ही तरावीह की नमाज पढ़ने का हुकुम मिला है. अल्लाह के प्यारे रसूल हजरत मोहम्मद साहब ने भी ये फरमाया है कि जो मुसलमान रमजान के महीने में दिन और रात को जागकर खुदा की इबादत करेगा, तो अल्लाह रब्बुल इज्जत उसके सारे गुनाह माफ फरमा देते हैं.


'कुरान शरीफ से माफ होंगे गुनाह'

मुफ्ती साहब ने बताया कि तरावीह की नमाज में हम कुरान शरीफ सुनते हैं और सुनाते हैं. क्योंकि जब मैदान-ए-महसर में (मरने के बाद खुदा के सामने पेश होंगे) तो यही कुरान शरीफ हमारी सिफारिश में आएगा. खुदा से कहेगा कि अल्लाह इन लोगों ने रातों को जाग कर मुझे पढ़ा और इन्होंने अपनी राहत को तेरी राह में कुर्बान किया. इसीलिए उनकी मगफिरत फरमाए दीजिए. तो अल्लाह अपने उन सभी बन्दों की मगफिरत फरमा देंगे, जिन्होंने रमजान के महीने में तरावीह की नमाज में कुरान शरीफ को पढ़ा और सुना हैं.

'रमजान में करें खुदा की इबादत'

इसके साथ ही मुफ्ती साहब ने सभी मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपील करते हुए कहा है कि वो रमजान के इस पाक महीने की ज्यादा से ज्यादा कद्र करें और खुदा की इबादत करें.

Last Updated : May 15, 2020, 8:35 PM IST
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