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पेन के ढक्कन से भी छोटा होता है लीडलेस पेसमेकर, बिना सर्जरी किया जाता है इम्प्लांट, इतनी है कीमत... - लीडलेस पेसमेकर से नहीं होती एलर्जी

लीडलेस पेसमेकर अत्याधुनिक तकनीक से इम्प्लांट किया जाता है. इम्प्लांटेशन के दौरान मरीज के हार्ट में किसी प्रकार का चीरा नहीं लगाया गया. हॉस्पिटल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. असित खन्ना ने बताया कि मरीज पेसमेकर लगने के बाद पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया एंजियोग्राफी की तरह की जाती है.

ghaziabad leadless pacemaker
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Published : May 29, 2022, 10:49 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद के कौशाम्बी स्तिथ यशोदा अस्पताल में 65 वर्षीय मरीज के हृदय में बिना वायर वाला लीडलेस पेसमेकर इम्प्लांट किया गया है. लीडलेस पेसमेकर को हार्ट में इम्प्लांट करने में 20 मिनट लगे. तीन दिन बाद मरीज़ को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.

लीडलेस पेसमेकर अत्याधुनिक तकनीक से इम्प्लांट किया जाता है. इम्प्लांटेशन के दौरान मरीज के हार्ट में किसी प्रकार का चीरा नहीं लगाया गया. हॉस्पिटल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. असित खन्ना ने बताया कि मरीज पेसमेकर लगने के बाद पूरी तरह से स्वस्थ है. उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया एंजियोग्राफी की तरह की जाती है. मरीज की जांध के पास छोटा छेद किया जाता है, उसी के माध्यम से एक लीडलेस पेसमेकर शरीर में प्रवेश कराया जाता है और उसे हृदय में कैथलैब में मशीन में देखते हुए हृदय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है.

पेन के ढक्कन से भी छोटा होता है लीडलेस पेसमेकर

सामान्य पेसमेकर से 90 फीसदी छोटा होता है

डॉ. असित खन्ना ने बताया कि पारंपरिक कृत्रिम पेसमेकर (सीपीएम) से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए लीडलेस पेसमेकर लगाए जाते हैं. लीडलेस पेसमेकर पारंपरिक पेसमेकर से 90 फीसदी छोटा होता है. यह एक छोटा उपकरण है, जिसे सीधे हार्ट में भेजा जाता है. इसके लिए छाती में चीरा लगाने की भी जरूरत नहीं होती है. भारत में इसे लगाने के केवल कुछ मामले ही अभी तक सामने आए हैं.

leadless pacemaker
पैन के ढक्कन से भी छोटा होता है लीडलेस पेसमेकर

कब लगता है लीडलेस पेसमेकर ?

डॉ. असित खन्ना ने लीडलेस पेसमेकर के फायदे बताते हुए कहा कि ऐसे मरीज जिनमें हार्ट के काम करने की क्षमता कम होने का पता चलता है और मरीज के शरीर का एक हिस्सा पैरालाइज होने या अन्य कारणों के चलते रूटीन पेसमेकर लगाना लगभग मुश्किल होता है. ऐसे में लीडलेस पेसमेकर लगाने का निर्णय लिया जाता है.

लीडलेस पेसमेकर से नहीं होती एलर्जी

उन्होंने बताया कि पेसमेकर से एलर्जी वाले रोगी में भी लीडलेस पेसमेकर लगाया जाता है, जिसे साधारण पेसमेकर से एलर्जी की दुर्लभ बीमारी होती है. ऐसे रोगी के हृदय में साधारण पेसमेकर लगाने पर उनमें खराबी आ जाती है और उसको बदलना पड़ता है. लीडलेस पेसमेकर एक नई तकनीकी का पेसमेकर है और इससे एलर्जी भी नहीं होती है. पेसमेकर से एलर्जी होना एक दुर्लभ घटना है, जिससे हल्की सूजन से लेकर गंभीर सूजन तक हो सकती है. इसलिए ये समस्या हृदय रोगियों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है.

लीडलेस पेसमेकर की कीमत

आमतौर पर पेसमेकर के कीमत लगभग ढाई से चार लाख रुपये के बीच होती है लेकिन लीडलेस पेसमेकर की कीमत बाजार में तकरीबन 10 से 13 लाख रुपये के बीच है. पारंपरिक पेसमेकर के मुकाबले लीडलेस पेसमेकर बहुत ज्यादा छोटा होता है. लीडलेस पेसमेकर की लंबाई और चौड़ाई पेन के ढक्कन से भी कम होती है. डॉक्टरों के मुताबिक लीडलेस पेसमेकर का बैटरी बैकअप तकरीबन 13 साल का है.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद के कौशाम्बी स्तिथ यशोदा अस्पताल में 65 वर्षीय मरीज के हृदय में बिना वायर वाला लीडलेस पेसमेकर इम्प्लांट किया गया है. लीडलेस पेसमेकर को हार्ट में इम्प्लांट करने में 20 मिनट लगे. तीन दिन बाद मरीज़ को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.

लीडलेस पेसमेकर अत्याधुनिक तकनीक से इम्प्लांट किया जाता है. इम्प्लांटेशन के दौरान मरीज के हार्ट में किसी प्रकार का चीरा नहीं लगाया गया. हॉस्पिटल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. असित खन्ना ने बताया कि मरीज पेसमेकर लगने के बाद पूरी तरह से स्वस्थ है. उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया एंजियोग्राफी की तरह की जाती है. मरीज की जांध के पास छोटा छेद किया जाता है, उसी के माध्यम से एक लीडलेस पेसमेकर शरीर में प्रवेश कराया जाता है और उसे हृदय में कैथलैब में मशीन में देखते हुए हृदय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है.

पेन के ढक्कन से भी छोटा होता है लीडलेस पेसमेकर

सामान्य पेसमेकर से 90 फीसदी छोटा होता है

डॉ. असित खन्ना ने बताया कि पारंपरिक कृत्रिम पेसमेकर (सीपीएम) से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए लीडलेस पेसमेकर लगाए जाते हैं. लीडलेस पेसमेकर पारंपरिक पेसमेकर से 90 फीसदी छोटा होता है. यह एक छोटा उपकरण है, जिसे सीधे हार्ट में भेजा जाता है. इसके लिए छाती में चीरा लगाने की भी जरूरत नहीं होती है. भारत में इसे लगाने के केवल कुछ मामले ही अभी तक सामने आए हैं.

leadless pacemaker
पैन के ढक्कन से भी छोटा होता है लीडलेस पेसमेकर

कब लगता है लीडलेस पेसमेकर ?

डॉ. असित खन्ना ने लीडलेस पेसमेकर के फायदे बताते हुए कहा कि ऐसे मरीज जिनमें हार्ट के काम करने की क्षमता कम होने का पता चलता है और मरीज के शरीर का एक हिस्सा पैरालाइज होने या अन्य कारणों के चलते रूटीन पेसमेकर लगाना लगभग मुश्किल होता है. ऐसे में लीडलेस पेसमेकर लगाने का निर्णय लिया जाता है.

लीडलेस पेसमेकर से नहीं होती एलर्जी

उन्होंने बताया कि पेसमेकर से एलर्जी वाले रोगी में भी लीडलेस पेसमेकर लगाया जाता है, जिसे साधारण पेसमेकर से एलर्जी की दुर्लभ बीमारी होती है. ऐसे रोगी के हृदय में साधारण पेसमेकर लगाने पर उनमें खराबी आ जाती है और उसको बदलना पड़ता है. लीडलेस पेसमेकर एक नई तकनीकी का पेसमेकर है और इससे एलर्जी भी नहीं होती है. पेसमेकर से एलर्जी होना एक दुर्लभ घटना है, जिससे हल्की सूजन से लेकर गंभीर सूजन तक हो सकती है. इसलिए ये समस्या हृदय रोगियों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है.

लीडलेस पेसमेकर की कीमत

आमतौर पर पेसमेकर के कीमत लगभग ढाई से चार लाख रुपये के बीच होती है लेकिन लीडलेस पेसमेकर की कीमत बाजार में तकरीबन 10 से 13 लाख रुपये के बीच है. पारंपरिक पेसमेकर के मुकाबले लीडलेस पेसमेकर बहुत ज्यादा छोटा होता है. लीडलेस पेसमेकर की लंबाई और चौड़ाई पेन के ढक्कन से भी कम होती है. डॉक्टरों के मुताबिक लीडलेस पेसमेकर का बैटरी बैकअप तकरीबन 13 साल का है.

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