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जानिए, कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने वाले शहीद सुरेंद्र कुमार यादव की कहानी - martyr Surendra Kumar Yadav

आज कारगिल विजय दिवस के अवसर पर मुरादनगर के शहीद सुरेंद्र पाल यादव के भाई जितेंद्र यादव ने बताया कि उनके भाई ने पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी.

martyr Surendra Kumar Yadav
शहीद सुरेंद्र कुमार यादव की कहानी
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Published : Jul 26, 2020, 1:52 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में देश के वीर जवानों ने 32000 फीट से बमबारी कर पाकिस्तान को युद्ध में करारी मात देकर विजय हासिल की थी. इस युद्ध में भारत के 527 जवान शहीद हो गए थे, इन्हीं शहीद जवानों में मुरादनगर के सुराना गांव निवासी सुरेंद्र पाल यादव भी थे. आज कारगिल विजय दिवस पर के अवसर पर ईटीवी भारत ने शहीद के भाई जितेंद्र यादव से की खास बातचीत

शहीद सुरेंद्र कुमार यादव की कहानी

शहीद जवानों का महत्वपूर्ण योगदान

आज 26 जुलाई को पूरे भारत देश में कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान में कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है. जिसमें शहीदों को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है. ईटीवी भारत को कारगिल युद्ध में शहीद सुरेंद्र पाल यादव के छोटे भाई जितेंद्र यादव ने बताया कि कारगिल युद्ध में सभी शहीद जवानों का महत्वपूर्ण योगदान था.

इस युद्ध में उनके भाई नागा रेजीमेंट में सिपाही के पद पर तैनात थे, जोकि दास सेक्टर में दुश्मनों से लोहा ले रहे थे. जिसमें 1 जुलाई को पहाड़ी पर युद्ध लड़ते समय सुरेंद्र पाल यादव शहीद हो गए थे.

1 जुलाई को हुए थे शहीद

जिसकी सूचना उनके परिवार वालों को 3 जुलाई 1999 की रात 11:00 बजे मिली इसके बाद 4 जुलाई की दोपहर को पार्थिव शरीर गांव पहुंचा. जहां पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. शहीद सुरेंद्र पाल के भाई जितेंद्र यादव ने बताया कि उनको 3 जुलाई से पहले 28 जून को लिखे गए एक संदेश के माध्यम से उनके भाई ने सूचना दी थी कि कारगिल में बहुत अधिक गोलाबारी हो रही है. जहां पर उनके जिंदा बचने के उम्मीद नहीं है. लेकिन 28 जून को लिखा गया, ये संदेश उनके भाई की शहादत के बाद 5 जुलाई को मिला था.



युद्ध में शहीद होने की पहले ही थी आशंका


इसके साथ ही शहीद के भाई ने भारत- चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद को लेकर हो रही घटनाओं के बारे में सरकार से शांति वार्ता के साथ मामले को सुलझाने की अपील की है, क्योंकि शहीद के भाई का कहना है कि युद्ध से किसी भी तरीके से मसले हल नहीं होते हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में देश के वीर जवानों ने 32000 फीट से बमबारी कर पाकिस्तान को युद्ध में करारी मात देकर विजय हासिल की थी. इस युद्ध में भारत के 527 जवान शहीद हो गए थे, इन्हीं शहीद जवानों में मुरादनगर के सुराना गांव निवासी सुरेंद्र पाल यादव भी थे. आज कारगिल विजय दिवस पर के अवसर पर ईटीवी भारत ने शहीद के भाई जितेंद्र यादव से की खास बातचीत

शहीद सुरेंद्र कुमार यादव की कहानी

शहीद जवानों का महत्वपूर्ण योगदान

आज 26 जुलाई को पूरे भारत देश में कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान में कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है. जिसमें शहीदों को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है. ईटीवी भारत को कारगिल युद्ध में शहीद सुरेंद्र पाल यादव के छोटे भाई जितेंद्र यादव ने बताया कि कारगिल युद्ध में सभी शहीद जवानों का महत्वपूर्ण योगदान था.

इस युद्ध में उनके भाई नागा रेजीमेंट में सिपाही के पद पर तैनात थे, जोकि दास सेक्टर में दुश्मनों से लोहा ले रहे थे. जिसमें 1 जुलाई को पहाड़ी पर युद्ध लड़ते समय सुरेंद्र पाल यादव शहीद हो गए थे.

1 जुलाई को हुए थे शहीद

जिसकी सूचना उनके परिवार वालों को 3 जुलाई 1999 की रात 11:00 बजे मिली इसके बाद 4 जुलाई की दोपहर को पार्थिव शरीर गांव पहुंचा. जहां पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. शहीद सुरेंद्र पाल के भाई जितेंद्र यादव ने बताया कि उनको 3 जुलाई से पहले 28 जून को लिखे गए एक संदेश के माध्यम से उनके भाई ने सूचना दी थी कि कारगिल में बहुत अधिक गोलाबारी हो रही है. जहां पर उनके जिंदा बचने के उम्मीद नहीं है. लेकिन 28 जून को लिखा गया, ये संदेश उनके भाई की शहादत के बाद 5 जुलाई को मिला था.



युद्ध में शहीद होने की पहले ही थी आशंका


इसके साथ ही शहीद के भाई ने भारत- चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद को लेकर हो रही घटनाओं के बारे में सरकार से शांति वार्ता के साथ मामले को सुलझाने की अपील की है, क्योंकि शहीद के भाई का कहना है कि युद्ध से किसी भी तरीके से मसले हल नहीं होते हैं.

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