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अनलॉक के बाद भी पटरी पर नहीं लौटा स्टेशनरी व्यापार, देखिए ग्राउंड रिपोर्ट - गाजियाबाद में स्टेशनरी व्यापार

गाजियाबाद में कोरोना संक्रमण के चलते स्टेशनरी का व्यापार करने वालों की बिक्री कम हो गई है. जिसके कारण उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.

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अनलॉक के बाद भी पटरी पर नहीं लौटा स्टेशनरी व्यापार
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Published : Oct 30, 2020, 12:35 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: देश में कोविड-19 वैश्विक महामारी का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. कोरोना के चलते तमाम व्यापार चौपट हुए हैं. धीरे-धीरे जनजीवन सामान्य की तरफ लौट रहा है, लेकिन अभी भी कई काम-धंधे ऐसे हैं, जो वापस पटरी पर नहीं लौट पाए हैं. भले ही स्टेशनरी की दुकानें कई महीने पहले खुल चुकी हैं और स्कूल खुले भी करीब एक हफ्ते से अधिक हो गया है लेकिन अभी भी स्टेशनरी का सामान बेचने वाले दुकानदार दुकानदारी को लेकर काफी चिंतित हैं.

अनलॉक के बाद भी पटरी पर नहीं लौटा स्टेशनरी व्यापार



ठप पड़ा व्यापार
गाज़ियाबाद के चोपला मंदिर इलाके में कॉपी किताब और स्टेशनरी की कई दुकानें हैं. कोरोना का स्टेशनरी व्यापार पर क्या कुछ असर पड़ा है. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने दुकानदारों से बातचीत की. रामनाथ गुप्ता बीते 5 दशकों से चोपला मंदिर मार्केट में स्टेशनरी की दुकान चलाते आ रहे हैं. रामनाथ बताते हैं कि कोरोना वायरस के कारण व्यापार पूरी तरह से ठप है. स्कूल खुलने के बाद भी दुकानदारी पर कुछ खासा असर नहीं पड़ा है. अप्रैल और जुलाई के महीने में कॉपी किताब की अच्छी खासी बिक्री होती थी, लेकिन कोरोना के कारण इस बार काम ठप है. बिक्री सिमटकर 5% रह गई है. व्यापार के जल्द पटरी पर लौटने की भी कोई उम्मीद नहीं है.



स्टेशनरी की मांग हुई कम

करीब 30 वर्षों से चौपला मंदिर मार्केट में स्टेशनरी की दुकान चला रहे विवेक गर्ग बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद काम पूरी तरह से चौपट हो गया है. आमतौर पर कॉपी, किताब, कैलकुलेटर की अच्छी खासी बिक्री होती थी. स्कूलों की परीक्षाओं के दौरान परीक्षा कॉपियों की भारी संख्या में बिक्री होती थी. ऑनलाइन क्लासेज शुरू होने से कॉपी किताब का इस्तेमाल कम हो गया है. छात्रा खुशी ने बताया कि पहले नया सत्र शुरू होने पर पूरा कोर्स खरीदा करते थे, लेकिन अब केवल क्वेश्चन बैंक से ही काम हो जाता है. अधिकतर किताबें मोबाइल और लैपटॉप में डाउनलोड कर रखी हैं. स्कूल द्वारा भी मोबाइल पर ही नोट्स भेज दिए जाते हैं. लैपटॉप में मोबाइल की मदद से अधिकतर पढ़ाई हो जाती है, इसलिए किताबें खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: देश में कोविड-19 वैश्विक महामारी का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. कोरोना के चलते तमाम व्यापार चौपट हुए हैं. धीरे-धीरे जनजीवन सामान्य की तरफ लौट रहा है, लेकिन अभी भी कई काम-धंधे ऐसे हैं, जो वापस पटरी पर नहीं लौट पाए हैं. भले ही स्टेशनरी की दुकानें कई महीने पहले खुल चुकी हैं और स्कूल खुले भी करीब एक हफ्ते से अधिक हो गया है लेकिन अभी भी स्टेशनरी का सामान बेचने वाले दुकानदार दुकानदारी को लेकर काफी चिंतित हैं.

अनलॉक के बाद भी पटरी पर नहीं लौटा स्टेशनरी व्यापार



ठप पड़ा व्यापार
गाज़ियाबाद के चोपला मंदिर इलाके में कॉपी किताब और स्टेशनरी की कई दुकानें हैं. कोरोना का स्टेशनरी व्यापार पर क्या कुछ असर पड़ा है. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने दुकानदारों से बातचीत की. रामनाथ गुप्ता बीते 5 दशकों से चोपला मंदिर मार्केट में स्टेशनरी की दुकान चलाते आ रहे हैं. रामनाथ बताते हैं कि कोरोना वायरस के कारण व्यापार पूरी तरह से ठप है. स्कूल खुलने के बाद भी दुकानदारी पर कुछ खासा असर नहीं पड़ा है. अप्रैल और जुलाई के महीने में कॉपी किताब की अच्छी खासी बिक्री होती थी, लेकिन कोरोना के कारण इस बार काम ठप है. बिक्री सिमटकर 5% रह गई है. व्यापार के जल्द पटरी पर लौटने की भी कोई उम्मीद नहीं है.



स्टेशनरी की मांग हुई कम

करीब 30 वर्षों से चौपला मंदिर मार्केट में स्टेशनरी की दुकान चला रहे विवेक गर्ग बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद काम पूरी तरह से चौपट हो गया है. आमतौर पर कॉपी, किताब, कैलकुलेटर की अच्छी खासी बिक्री होती थी. स्कूलों की परीक्षाओं के दौरान परीक्षा कॉपियों की भारी संख्या में बिक्री होती थी. ऑनलाइन क्लासेज शुरू होने से कॉपी किताब का इस्तेमाल कम हो गया है. छात्रा खुशी ने बताया कि पहले नया सत्र शुरू होने पर पूरा कोर्स खरीदा करते थे, लेकिन अब केवल क्वेश्चन बैंक से ही काम हो जाता है. अधिकतर किताबें मोबाइल और लैपटॉप में डाउनलोड कर रखी हैं. स्कूल द्वारा भी मोबाइल पर ही नोट्स भेज दिए जाते हैं. लैपटॉप में मोबाइल की मदद से अधिकतर पढ़ाई हो जाती है, इसलिए किताबें खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती.

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