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लाॅकडाउन: जानवरों का दर्द भी समझ रहे समाजसेवी, बंदरों को खिला रहे हैं केले

लॉकडाउन के दौरान लोगों की भूख मिटाने के लिए समाजसेवी भोजन और राशन का वितरण कर तो कर ही रहे हैं, वही कुछ समाजसेवी ऐसे भी है जो जानवरों की भूख मिटाने के लिए आगे आए है. ऐसे में कुछ समाजसेवी तो ऐसे है जो भूखे बंदरों के लिए केले की व्यवस्था कर रहे हैं

Gangnahar
गंगनहर
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Published : Apr 20, 2020, 6:26 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे जनपद गाजियाबाद के मुरादनगर में गंगनहर के आसपास के इलाकों में सैकड़ों की तादाद में बंदर रहते हैं. इस रास्ते पर आवागमन करने वाले लोग बंदरों को खाना खिलाते रहते थे, लेकिन लाॅकडाउन के चलते इस रास्ते पर लोगों का आवागमन बंद हो गया है, जिसकी वजह से बंदरों के भूखे मरने की नौबत आ गई है, इसीलिए मुरादनगर के कुछ समाज सेवी लोगों ने बंदरों को रोजाना केले खिलाने का बीड़ा उठाया है, बंदरों को केले खिला रहे समाजसेवी लोगों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

बंदरों को खिला केले रहें हैं समाजसेवी
बंदर को केले खिला रहे समाजसेवी ने ईटीवी भारत को बताया कि मानव सेवा तो सभी कर रहे हैं. इसलिए उन्होंने पशु सेवा करने का मन बनाया और भूखे बंदरों को केले खिलाने के लिए गंग नहर मुरादनगर पर आए इसके साथ ही वह अन्य जगह पर जाकर भी पशुओं की सेवा करते हैं.

भूखे बंदरों को केले खिला रहे हैं समाजसेवी

वहां मौजूद अन्य समाजसेवी ने ईटीवी भारत को बताया कि वह समाजसेवा के साथ-साथ पशु सेवा भी कर रहे हैं और सड़क पर आवारा घुमने वाले पशुओं के चारे की व्यवस्था भी कर रहे हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे जनपद गाजियाबाद के मुरादनगर में गंगनहर के आसपास के इलाकों में सैकड़ों की तादाद में बंदर रहते हैं. इस रास्ते पर आवागमन करने वाले लोग बंदरों को खाना खिलाते रहते थे, लेकिन लाॅकडाउन के चलते इस रास्ते पर लोगों का आवागमन बंद हो गया है, जिसकी वजह से बंदरों के भूखे मरने की नौबत आ गई है, इसीलिए मुरादनगर के कुछ समाज सेवी लोगों ने बंदरों को रोजाना केले खिलाने का बीड़ा उठाया है, बंदरों को केले खिला रहे समाजसेवी लोगों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

बंदरों को खिला केले रहें हैं समाजसेवी
बंदर को केले खिला रहे समाजसेवी ने ईटीवी भारत को बताया कि मानव सेवा तो सभी कर रहे हैं. इसलिए उन्होंने पशु सेवा करने का मन बनाया और भूखे बंदरों को केले खिलाने के लिए गंग नहर मुरादनगर पर आए इसके साथ ही वह अन्य जगह पर जाकर भी पशुओं की सेवा करते हैं.

भूखे बंदरों को केले खिला रहे हैं समाजसेवी

वहां मौजूद अन्य समाजसेवी ने ईटीवी भारत को बताया कि वह समाजसेवा के साथ-साथ पशु सेवा भी कर रहे हैं और सड़क पर आवारा घुमने वाले पशुओं के चारे की व्यवस्था भी कर रहे हैं.

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