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गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के विरोध में प्रदर्शन - protest against farmers movement

गाजीपुर बॉर्डर पर 80 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन के विरोध में गाजीपुर बॉर्डर से 200 मीटर की दूरी पर कुछ स्थानीय निवासी किसान आंदोलन के विरोध में सड़कों पर बैठ गए हैं. उनका कहना है कि इस आंदोलन की वजह से उनका काम पर जाना मुश्किल हो गया है.

गाजीपुर बॉर्डर से 200 मीटर की दूरी पर कुछ स्थानीय निवासी किसान आंदोलन के विरोध में कर रहे प्रदर्शन.
गाजीपुर बॉर्डर से 200 मीटर की दूरी पर कुछ स्थानीय निवासी किसान आंदोलन के विरोध में कर रहे प्रदर्शन.
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Published : Feb 13, 2021, 3:44 PM IST

गाजियाबाद: कृषि कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों को तकरीबन 80 दिन हो चुके हैं. किसान साफ कर चुके हैं कि जब तक कृषि कानूनों की वापसी नहीं होगी आंदोलन जारी रहेगा. तो वहीं दूसरी ओर गाजीपुर बॉर्डर से 200 मीटर की दूरी पर कुछ स्थानीय निवासी किसान आंदोलन के विरोध में सड़कों पर बैठ गए हैं.

गाजीपुर बॉर्डर से 200 मीटर की दूरी पर कुछ स्थानीय निवासी किसान आंदोलन के विरोध में कर रहे प्रदर्शन.


किसानों को सड़कों से हटाने की मांग

गाजियाबाद उत्थान समिति के बैनर तले किसान आंदोलन का विरोध कर रहे डॉ आशुतोष गुप्ता का कहना है कि हम कामकाजी लोग हैं. हमारे लिए हमारा रोजगार और देश सर्वोपरि है. वह किसानों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिस तरह आंदोलन के नाम पर तथाकथित किसानों ने गाजियाबाद और देश को बंधक बनाया हुआ है. उन लोगों को सड़कों से हटाया जाए. ताकि आंदोलन की वजह से घेरे गए रास्तों का इस्तेमाल अपने रोजगार पर आने-जाने के लिए कर सकें. इसके साथ उनका कहना है कि इस आंदोलन से पूरे देश की जनता परेशान है. डॉ आशुतोष गुप्ता का कहना है कि अगर किसानों को कृषि कानूनों से कोई दिक्कत थी तो जब यह कानून पास हुए तब इनका विरोध क्यों नहीं किया. अब कृषि कानून से फायदा लेने के बाद कुछ विदेशी ताकतें आंदोलन करवा रही हैं.

गाजीपुर बॉर्डर को किसानों से खाली कराने की कर रहे मांग.
गाजीपुर बॉर्डर को किसानों से खाली कराने की कर रहे मांग.

लगातार चल रहे आंदोलन से स्थानीय परेशान
किसान आंदोलन के विरोध में बैठी गाजियाबाद उत्थान सेवा समिति की सह संयोजिका कावेरी भदोरिया का कहना है कि जिस तरह किसान बीते कुछ दिनों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं, उसकी वजह से आम जनता बहुत परेशान है. किसानों के नाम पर मुट्ठी भर बहरूपीए बैठे हुए हैं. किसान आंदोलन की वजह से उनके परिवार के लोग रातों को लेट आते हैं, जिसकी उन्हें चिंता लगी रहती है.

गाजियाबाद: कृषि कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों को तकरीबन 80 दिन हो चुके हैं. किसान साफ कर चुके हैं कि जब तक कृषि कानूनों की वापसी नहीं होगी आंदोलन जारी रहेगा. तो वहीं दूसरी ओर गाजीपुर बॉर्डर से 200 मीटर की दूरी पर कुछ स्थानीय निवासी किसान आंदोलन के विरोध में सड़कों पर बैठ गए हैं.

गाजीपुर बॉर्डर से 200 मीटर की दूरी पर कुछ स्थानीय निवासी किसान आंदोलन के विरोध में कर रहे प्रदर्शन.


किसानों को सड़कों से हटाने की मांग

गाजियाबाद उत्थान समिति के बैनर तले किसान आंदोलन का विरोध कर रहे डॉ आशुतोष गुप्ता का कहना है कि हम कामकाजी लोग हैं. हमारे लिए हमारा रोजगार और देश सर्वोपरि है. वह किसानों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिस तरह आंदोलन के नाम पर तथाकथित किसानों ने गाजियाबाद और देश को बंधक बनाया हुआ है. उन लोगों को सड़कों से हटाया जाए. ताकि आंदोलन की वजह से घेरे गए रास्तों का इस्तेमाल अपने रोजगार पर आने-जाने के लिए कर सकें. इसके साथ उनका कहना है कि इस आंदोलन से पूरे देश की जनता परेशान है. डॉ आशुतोष गुप्ता का कहना है कि अगर किसानों को कृषि कानूनों से कोई दिक्कत थी तो जब यह कानून पास हुए तब इनका विरोध क्यों नहीं किया. अब कृषि कानून से फायदा लेने के बाद कुछ विदेशी ताकतें आंदोलन करवा रही हैं.

गाजीपुर बॉर्डर को किसानों से खाली कराने की कर रहे मांग.
गाजीपुर बॉर्डर को किसानों से खाली कराने की कर रहे मांग.

लगातार चल रहे आंदोलन से स्थानीय परेशान
किसान आंदोलन के विरोध में बैठी गाजियाबाद उत्थान सेवा समिति की सह संयोजिका कावेरी भदोरिया का कहना है कि जिस तरह किसान बीते कुछ दिनों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं, उसकी वजह से आम जनता बहुत परेशान है. किसानों के नाम पर मुट्ठी भर बहरूपीए बैठे हुए हैं. किसान आंदोलन की वजह से उनके परिवार के लोग रातों को लेट आते हैं, जिसकी उन्हें चिंता लगी रहती है.

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