गाजियाबाद: सावन में भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा की जाती है. मान्यता है कि सावन मास और सावन के सोमवार को विधि-विधान से पूजा करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं. इसको लेकर गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. इस कड़ी में प्रातः काल मंदिर में भगवान भोलेनाथ का भव्य शृंगार किया गया. इसके बाद भक्तों ने आदिदेव की आरती की. मंदिर के पीठाधीश्वर महंत नारायण गिरी महाराज ने वेद विद्यापीठ के आचार्य एवं छात्रों के साथ मंत्रोच्चार के साथ पंचामृत अभिषेक किया. इधर, सोमवार के जलाभिषेक की तैयारी भी पूरी कर ली गई है. सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. मंदिर में प्रबंध और कांवड़ियों की सेवा के लिए 50 टीम बनाई गईं हैं. इसके अलावा सुरक्षा के लिए ड्रोन से निगरानी किए जाने की भी योजना है.
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यह है मान्यताः महंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि सावन मास को सर्वोत्तम मास कहा जाता है. पौराणिक कथाओं में वर्णन आता है कि इसी सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था. समुद्र मंथन के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की. विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया. इसी से उनका नाम 'नीलकंठ महादेव' पड़ा. विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव पर जल अर्पित किया. इससे सावन में महादेव का जलाभिषेक किया जाता है.
सीसीटीवी कैमरे लगेः महंत नारायण गिरी के मुताबिक सावन को लेकर अधिकतर तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं. मंदिर परिसर को सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया है. मंदिर के पीछे की सड़क को निगम द्वारा दोबारा बनवाया गया है. इसके साथ ही आसपास की सड़कों की भी मरम्मत कराकर दुरुस्त करवाया गया है. मंदिर के आसपास के दायरे में लगे हैंडपंप को दुरुस्त कर सुचारू किया गया है. विभिन्न प्रकार की व्यवस्था और भक्तों की सेवा करने के लिए 50 टीम बनाई गईं हैं. एक टीम में 10 कार्यकर्ता है. जो सावन की विशेष दिनों में मंदिर की व्यवस्था को संभालेंगे.