नई दिल्ली: भीषण गर्मी के मौसम में शरबत की बिक्री काफी बढ़ जाती है. जैसे जैसे गर्मी कम होती है और बरसात का मौसम शुरू हो जाता है तो लोग शरबत पीना कम कर देते हैं. मौजूदा समय में मौसम में ठंडक है और बारिश भी हो रही है. पुरानी दिल्ली यानी कि दिल्ली-6 का मोहब्बत का शरबत किसी मौसम का मोहताज नहीं है(Delhi 6 Mohabbat Ka Sharbat) . गर्मी हो या सर्दी मोहब्बत का शरबत लोग सभी मौसमों में बेहद पसंद किया जाता है.
दिल्ली-6 में जब लोग लाल किला या जामा मस्जिद (JAMA Masjid Mohabbat Ka Sharbat) घूमने आते हैं, तो ज़ायकों का भी खूब लुत्फ उठाते हैं. खासकर जामा मस्जिद के गेट नंबर-एक के सामने मटिया महल वाली सड़क पर जरूर जाते हैं. यहां पर एक से बढ़कर एक लजीज और शाही खानों की दुकानें मौजूद हैं. एक तरफ लोग शाही खानों का लुफ्त उठाते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ मोहब्बत का शरबत पीकर गला तर जरूर करते हैं.
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मोहब्बत के शरबत (Delhi Mohabbat Ka Sharbat recipe) को न सिर्फ मोहब्बत के साथ बनाया जाता है. बल्कि मोहब्बत के साथ पिलाया भी जाता है. शरबत में मोहब्बत भरी होती है. यही वजह है कि शरबत को मोहब्बत का शरबत नाम दिया गया है. नवाब कुरैशी पुरानी दिल्ली में एक छोटा सा स्टाल लगाकर तकरीबन 25 सालों से लोगों को मोहब्बत का शरबत पिलाते आ रहे हैं.
मोहब्बत का शरबत दूध, रूह अफजा, तरबूज, बर्फ और शहद के साथ तैयार किया जाता है. शरबत में पड़े हुए तरबूज के छोटे-छोटे टुकड़े जब जबान पर चढ़ते हैं, तो बहुत ही जायकेदार महसूस होते हैं. यही वजह है कि जब कोई पुरानी दिल्ली के मटिया महल जाता है, तो वह मोहब्बत का शरबत जरूर पीता है. आमतौर पर लोगों का एक गिलास शरबत पीकर दिल नहीं भरता. यही वजह है कि लोग कई गिलास शरबत गटक जाते हैं. नवाब कुरैशी अपने हाथों से शरबत का गिलास खरीदारों के होटों पर लगाते हैं. नवाब कुरैशी का लोगों को शरबत पिलाने का तरीका भी लोगों को बेहद पसंद आता है. यही वजह है कि लोग जब भी पुरानी दिल्ली आते हैं तो नवाब कुरैशी के पास शरबत पीने जरूर आते हैं.
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