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ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आर्थिक मजबूती देकर आत्मनिर्भर बना रहा 'निरा'

गाजियाबाद की ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें इसके लिए जिला प्रशासन ने एक अभियान चलाया है. प्रशासन ने 'निरा' के तहत महिलाओं को ऑर्गेनिक (Organic Sanitary Pads) बनाने की जिम्मेदारी दी है.

महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा 'निरा'
महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा 'निरा'
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Published : Aug 3, 2021, 8:27 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : एक तरफ जहां पूरा देश स्वच्छ भारत अभियान में जुटा हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर गाज़ियाबाद की एक महिला प्रशासनिक अधिकारी ने सुखद पहल की है. गाज़ियाबाद की मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल की दूरदर्शी सोच ने महिलाओं की जिंदगी में परिवर्तन लाने की पहल की है. सीडीओ की पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं में जहां एक ओर स्वच्छता का स्तर बढ़ेगा, तो वहीं दूसरी तरफ महिलाओं को आर्थिक तौर पर भी मजबूती मिलेगी.

कोरोना काल में लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है कि विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके. मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की पहल की है. इसके माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Health Mission) के तहत सहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली तकरीबन 30 से 40 महिलाओं को रोजगार का साधन उपलब्ध कराया गया है. दरअसल, पांच स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं से आर्गेनिक सैनिट्री पैड बनवाए जा रहे हैं.

महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा 'निरा'

मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने बताया स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से कॉटन सैनिट्री पैड्स (Sainatary Pads) बनवाए जा रहे हैं. सैनिट्री पैड्स को 'निरा' नाम दिया गया है, जो कि पूरी तरह आर्गेनिक (Organic Saintary Pads) हैं. एक संस्था ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को ऑर्गेनिक सैनिट्री पैड्स बनाने का प्रक्षिक्षण दिया. आपको बता दें कि आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले सेनेटरी पैड बायोडिग्रेडेबल नहीं होते हैं, जिससे पर्यावरण को क्षति पहुंचती है.

स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाए जा रहे पैड्स आर्गेनिक हैं. इसलिए पर्यावरण को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. देखने को मिला है कि बड़े शहरों में रहने वाली महिलाएं अब आर्गेनिक सेनेटरी पैड की तरफ रुख कर रही हैं. इससे बाजार में ऑर्गेनिक सेनेटरी पैड की मांग में इज़ाफ़ा हुआ है. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड्स को आने वाले समय मे ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म पर बेचने की ज़िला प्रशासन की योजना है, जिससे कि भविष्य में महिलाओं के एक बड़े वर्ग को स्वयं सहायता समूह के माध्यम रोज़गार उपलब्ध कराकर आर्थिक तौर पर मजबूत बनाया जा सके. हालांकि, प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को सयम सहायता समूह द्वारा बनाए गए निशुल्क ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड्स उपलब्ध कराएगा.

इसे भी पढ़ें: कोरोनाकाल में संकट से जूझ रहे परिवारों को आत्मनिर्भर बना रही हैं नीलू बत्रा

इसे भी पढ़ेे: #JeeneDo: दिल्ली में बढ़ते दुष्कर्म के मामलों ने खोली महिला सुरक्षा की पोल

नई दिल्ली/गाजियाबाद : एक तरफ जहां पूरा देश स्वच्छ भारत अभियान में जुटा हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर गाज़ियाबाद की एक महिला प्रशासनिक अधिकारी ने सुखद पहल की है. गाज़ियाबाद की मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल की दूरदर्शी सोच ने महिलाओं की जिंदगी में परिवर्तन लाने की पहल की है. सीडीओ की पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं में जहां एक ओर स्वच्छता का स्तर बढ़ेगा, तो वहीं दूसरी तरफ महिलाओं को आर्थिक तौर पर भी मजबूती मिलेगी.

कोरोना काल में लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है कि विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके. मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की पहल की है. इसके माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Health Mission) के तहत सहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली तकरीबन 30 से 40 महिलाओं को रोजगार का साधन उपलब्ध कराया गया है. दरअसल, पांच स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं से आर्गेनिक सैनिट्री पैड बनवाए जा रहे हैं.

महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा 'निरा'

मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने बताया स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से कॉटन सैनिट्री पैड्स (Sainatary Pads) बनवाए जा रहे हैं. सैनिट्री पैड्स को 'निरा' नाम दिया गया है, जो कि पूरी तरह आर्गेनिक (Organic Saintary Pads) हैं. एक संस्था ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को ऑर्गेनिक सैनिट्री पैड्स बनाने का प्रक्षिक्षण दिया. आपको बता दें कि आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले सेनेटरी पैड बायोडिग्रेडेबल नहीं होते हैं, जिससे पर्यावरण को क्षति पहुंचती है.

स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाए जा रहे पैड्स आर्गेनिक हैं. इसलिए पर्यावरण को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. देखने को मिला है कि बड़े शहरों में रहने वाली महिलाएं अब आर्गेनिक सेनेटरी पैड की तरफ रुख कर रही हैं. इससे बाजार में ऑर्गेनिक सेनेटरी पैड की मांग में इज़ाफ़ा हुआ है. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड्स को आने वाले समय मे ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म पर बेचने की ज़िला प्रशासन की योजना है, जिससे कि भविष्य में महिलाओं के एक बड़े वर्ग को स्वयं सहायता समूह के माध्यम रोज़गार उपलब्ध कराकर आर्थिक तौर पर मजबूत बनाया जा सके. हालांकि, प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को सयम सहायता समूह द्वारा बनाए गए निशुल्क ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड्स उपलब्ध कराएगा.

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