नई दिल्ली: बीते छह महीनों से कृषि कानूनों (Agricultural Laws) की वापसी और किसान की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) पर कानून की मांग को लेकर दिल्ली की कई सीमाओं पर किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) जारी है. शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) पर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का जन्मदिन हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.
11 क्विंटल रसगुल्ले लेकर बॉर्डर पहुंचे नरेश टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत (Farmer Leader Rakesh Tikait) को भेंट स्वरूप लाठियांन खाप के मुखिया चौधरी वीरेंद्र सिंह (Mukhiya Virendra Chaudhary) ने प्रत्येक माह अपनी पेंशन से कुछ धनराशि निकाल कर देने की घोषणा की है और कहा कि यह आज के युग में अवतार का रूप है.
राकेश टिकैत के जन्मदिन पर भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत (Naresh Tikait) भी ग़ाज़ीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) पहुंचे. नरेश टिकैत अपने छोटे भाई राकेश टिकैत के जन्मदिन के अवसर पर 11 क्विंटल रसगुल्ले लेकर ग़ाज़ीपुर बार्डर पहुंचे थे.
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पीएम मोदी ने किया किसानों के साथ मजाक
नरेश टिकैत ने कहा कि पिछले 6 महीनों में आंदोलन के दौरान सरकार की भयानक साजिश और हमले का सामना करने वाले मेरे भाई पर प्रभु की कृपा बनी रहे. यह कष्ट झेलने और मुकाबला करने वाला कोई साधारण इंसान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि आंदोलन शुरू होने से आज तक और जीवन भर के उनके संघर्षों को याद किया जाए तो उनकी हर बात निराली है.
उन्होंने कहा यह सरकार की हठधर्मिता है कि किसान बॉर्डर पर पड़ा है. सरकार हमें बताएं क्या मजबूरी है. हम उसका समाधान कर सकते हैं. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कॉल की दूरी का शिगूफा छोड़ कर हम भोले-भाले किसानों के साथ मजाक किया है लेकिन जब भी हम किसानों ने मिलने की कोशिश की या अब कुछ शांतिपूर्वक विरोध जताया तो बदले में लाठीचार्ज और गोलियों से हमारा स्वागत हुआ.
बंगाल की तरह यूपी में भी बीजेपी का होगा हाल
उन्होंने कहा अगर सरकार अपनी तानाशाही से बाज नहीं आई तो बंगाल की तरह उत्तर प्रदेश में भी 2022 के चुनाव में भाजपा को हराने का काम किसान करेंगे और 2024 तक भी हमें बैठना पड़ा तो हम लोकसभा चुनाव में भी हराने का काम करेंगे.
उन्होंने कहा सरकार इस गलतफहमी में ना रहे कि हमें संख्या बल कम देख कर हटा देंगे. यह आंदोलन गर्मी, सर्दी और बरसात के अलावा कोरोना भी झेल चुका है और देश में कई चुनाव भी झेल कर नतीजे अपने पक्ष में कर चुका है. किसान अब पीछे हटने वाला नहीं है.
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सरकार की दमनकारी नीतियों से बचना होगा
उन्होंने मंच से सरकार को ललकारते हुए कहा कि आने वाली 26 नवंबर को इस आंदोलन का एक वर्ष पूरा होने जा रहा है और यदि समय रहते सरकार ने किसानों की बात नहीं मानी तो यह आंदोलन इतना बड़ा रूप ले चुका होगा, जिसकी कल्पना सरकार ने नहीं की होगी.
नरेश टिकैत ने कहा सरकार से हमें एक और नए मुद्दे से लड़ना होगा. सरकार ने बिजली के ट्यूबवेल ऊपर बिजली के मीटर लगाने का आदेश किया है यदि ऐसा हुआ तो ₹50000 सालाना का बिल का भार किसानों पर डालने जा रहे हैं. किसानों की तो जमीन पहले ही बैंकों में गिरवी पड़ी है, कर्जदार हैं. इसे कैसे चुकाया जाएगा.
अगर किसानों को और देशवासियों को इनके घोर कठोर दमनकारी नीतियों से बचना है तो आंदोलन को मजबूत करना होगा.