नई दिल्ली/गाजियाबाद: किसान(farmers) अपने घर का गुजारा करने के लिए दिन रात फसल में मेहनत करने के साथ कर्ज लेकर लागत लगाता है. किसान की मेहनत और लागत सफल होती है और जब उसकी इच्छानुसार फसल पककर पूरी तैयार हो जाती है. तब अगर किसान को फसल के इच्छानुसार परिणाम नहीं मिलते तो उसको नुकसान उठाना पड़ता है.
ऐसे ही मुरादनगर के काकड़ा गांव(Kakra Village muradnagar) के किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिनको फसलों में लगाने वाली कीटनाशक दवाइयां नकली(fake pesticides and fertilizers) मिल रही है. ऐसे में बार-बार लागत और मेहनत करने के बावजूद उनको नुकसान उठाना पड़ रहा है.
ईटीवी भारत(ETV bharat) को किसान सेखी त्यागी ने बताया कि खेती में लगाई जाने वाली दवाइयों के बार-बार नकली निकलने से उनको नुकसान उठाना पड़ता है. उन्होंने बताया कि कोरोनील(coronel pesticide) फसलों का कीड़ा मारने वाली दवाई) जब वह दुकानों से खरीदते हैं. तो वह अधिकतर नकली मिलती हैं, बाकी मिल से असली मिल जाती है.
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लेकिन हर बार मिल से दवाई लाना संभव नहीं होता है. इसलिए उनको मजबूरी में आसपास की दुकानों से ही दवाई खरीदनी पड़ती है. जोकि अधिकतर नकली होने की वजह से फसल का कीड़ा भी नहीं मार पाती हैं.
नकली दवाई मिलने से बार-बार होता है नुकसान
किसान सचिन चौहान का कहना है कि वह खेती में पूरी मेहनत भी करते हैं, लेकिन कीटनाशक दवाइयों के असली ना मिलने से उनकी मेहनत बेकार जाती है. किसान अतुल त्यागी ने बताया कि फसल का कीड़ा मारने वाली, बेकार घास को नष्ट करने वाली और उर्वरक शक्ति को बढ़ाने वाली अधिकतर दवाइयां बाजार में नकली मिल रही है.
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दवाइयों की ले टोल फ्री नंबर से जानकारी
ईटीवी भारत ने जब इस पूरे मामले को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद लकी खाद एजेंसी के संचालक विकास तोमर से जानकारी ली, तो उन्होंने बताया कि किसानों को हमेशा ऑथराइज डीलर से ही दवाइयां खरीदनी चाहिए. बहुत से किसान सस्ते के लालच में नकली दवाइयां खरीद लेते हैं. जिससे कि वह असर नहीं करती हैं. दवाइयों की जानकारी उस पर मौजूद टोल फ्री नंबर से भी हासिल की जा सकती है.