नई दिल्ली/गाजियाबाद: देश में कोरोना महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है, दूसरी ओर देश में वैक्सीनेशन प्रकिया भी जोरों पर चल रही है. सरकार लगातार लोगों से अपील कर रही है कि अपनी बारी आने पर कोरोना की वैक्सीन जरूर लगवाएं. लेकिन इस कोरोना काल के बीच मुस्लिम समुदाय का रमजान का महीना भी शुरू हो गया है. इन दिनों रोजेदारों को दिन में कुछ भी खाना पीना मना होता है. एसे में उन्हें कोरोना वैक्सीन डोज कैसे दी जाए इसकी जानकारी मुफ्ती मजहर उल हक कासमी दे रहे हैं.
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'रोजा किसी कैद का नाम नहीं'
मुफ्ती मजहर उल हक कासमी ने बताया कि रोजा किसी कैद का नाम नहीं है. खाने-पीने और गलत कामों से रोकना रोजा है. जो चीजें हमारे फायदे के लिए बनाई गई है हमें उनका इस्तेमाल करना चाहिए. लिहाजा रोजे की हालत में इजाजत है कि बीमार व्यक्ति इंजेक्शन, ग्लूकोज और कोरोना वैक्सीन लगवा सकता है. इसी तरह किसी रोजेदार की आंख में कोई दिक्कत है तो वह आंख में दवाई डलवा सकता है. इससे रोजा नहीं टूटेगा. लेकिन रोजेदार नाक और गले में दवाई नहीं डलवा सकता है. क्योंकि रोजा दो तरह का होता है. एक पेट और दूसरा दिमाग का इसीलिए इंजेक्शन के जरिए से दवाई पेट में या दिमाग में नहीं जाती है, शरीर में जाती है.