नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच सरकार और प्रशासन एनजीओ के सहयोग से दिल्ली की जनता की सेवा ज्यादा बेहतर ढंग से कर सकता है. बीते वर्ष संपूर्ण लॉकडाउन में सैकड़ों गरीब, मजदूर, असहाय लोगों को रोजाना दो वक्त का खाना मुहैया कराने वाले मोदीनगर की निष्काम सेवक जत्था ने इस बार भी सरकार और प्रशासन के साथ मिलकर इस काल में जनता की सेवा करने की इच्छा जताई है.
डॉक्टर्स की घरों में ऑक्सीजन देने की सलाह ज़रूरी
निष्काम सेवा जत्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष जसवंत सिंह का कहना है कि कोरोना की इस पुनरावर्ती के चलते सामान्य लक्षण वाले मरीजों को घरों में जो ऑक्सीजन देने की सलाह सरकार व प्रशासन या डॉक्टर्स दे रहे है वह ज़रूरी है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें जरूरत नहीं है फिर भी ऑक्सीजन और इंजेक्शन के स्टॉक कर के बैठे हैं.
लॉकडाउन में गरीबों को निशुल्क वितरित किया था खाना
साथ ही उन्होंने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर अस्थायी ऑक्सीजन सेंटर धार्मिक स्थल, स्कूल, कॉलेज या सरकारी भवनों में बना दिए जाए और उनकी जिम्मेदारी अलग-अलग एनजीओ को दे दी जाये तो सेवा भाव और सिस्टमेटिक तरीके से चलते हुए कम सिलेंडरों में भी ज्यादा लोगो की ज़रूरत पूरी हो जायेगी. उन्होंने बताया कि गाजियाबाद के ही गुरुद्वारा इंदिरापुरम में यही काम बखूबी किया जा रहा है. बशर्ते ऑक्सीजन प्लांट से आपूर्ति सीधे प्रशासन को हो और प्रशासन के नेतृत्व में ऑक्सीजन सिलेंडर सभी अस्थायी ऑक्सीजन सेंटर तक पहुंचे.
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प्रशासन को लेनी चाहिए NGO की मदद
जसवंत सिंह का कहना है कि अस्थायी ऑक्सीजन सेंटर की जिम्मेदारी एनजीओ को देने से एक तो कालाबाजारी पर अंकुश लगेगा और देश की अनगिनत लोगों को मौत के मुंह में जानें से रोकने में सफलता भी मिलेगी. गौरतलब है कि आम नागरिक और शहर की सभी सामाजिक संस्थाओं के बीच पहले से ही किसी न किसी रूप में तालमेल बना ही होता है. जिसका लाभ इस संकट के समय में कहीं न कहीं ज़रूर मिल सकता है.
इस दौरान सभी एनजीओ को एक-एक डॉक्टर्स उपलब्ध कराने के साथ-साथ स्थानीय अस्पतालों व समस्त डॉक्टर्स के टच में 24 घंटे रखा जाये ताकि समस्त NGO गंभीर और अति गंभीर होने वाले मरीजों को अस्थायी ऑक्सीजन सेंटर से अपने बेहतर तालमेल के चलते स्थानीय अस्पतालों में बेड्स दिलाने में प्रयासरत रहे और अस्पताल भी हल्के लक्षण वाले मरीजों को एनजीओ के नेतृत्व में चल रहे अस्थायी ऑक्सीजन सेंटर में भेज कर व्यवस्था को बैलेंस करने में सफल होते रहे.