नई दिल्ली/गाजियाबाद: रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग 14 से 15 घंटे रोजा रखते हुए खुदा की इबादत कर रहे हैं. आखिर रोजा रखने से क्या होता है फायदे? इसी को जानने के लिए ईटीवी भारत ने मौलाना से बातचीत की .
रोजे रखने से गलत चीजों से दूर होता है इंसान
इन दिनों मुस्लिम समुदाय का रमजान का पाक महीना चल रहा है. आखिर इन रोजों को रखने से रोजेदार को क्या-क्या फायदे मिलते हैं और उसमें क्या बदलाव होते हैं. इसी को जानने के लिए ईटीवी भारत ने मौलाना हारून कासमी से की खास बातचीत.
ईटीवी भारत को मौलाना हारून कासमी ने बताया कि अल्लाह ताला ने कुरान शरीफ के अंदर रोजे रखने का मकसद अता फ़रमाया है. रोजे रखना हर एक बालिग मुसलमान का फर्ज है. रोजे रखने की पहली खूबी यह है कि इंसान में गुनाहों से बचने की खूबी पैदा हो जाती है. क्योंकि रोजेदार के भूखे पेट रहने से उसकी बहुत सारी गलत ख्वाहिशें दूर हो जाती हैं. जोकि पेट भरने के बाद अक्सर आती हैं. इसीलिए इंसान रोजे रखने से गलत चीजों से दूर होने लगता है.
रोजे रखने से महसूस होता है गरीब का दर्द
रोजा रखने का दूसरा मकसद यह है कि भूखे पेट रहने के बाद इंसान के अंदर यह अहसास पैदा हो जाता है कि वह अमीर होने के बाद भूखे प्यासे रहकर इतना दर्द झेल रहा है. तो गरीब हमेशा भूखे प्यासे रहकर कितना दर्द झेलता होगा. इस तरह इंसान के अंदर खर्च करने और एक दूसरे की मदद करने का जज्बा पैदा होता है.