नई दिल्ली/गाजियाबाद: मशहूर कवि कुमार विश्वास ने प्रवासी मजदूरों का दर्द कविता के जरिए बयां किया है. उन्होंने कविता में प्रवासी मजदूरों के हर पहलू को छूने की कोशिश की है. वो इस कविता से यह भी दर्शा रहे हैं कि रात के 3:00 बजे, जहां सब लोग घरों में सुख के कवच में हैं, तो वही अनसुनी सिसकियां मजदूरों पर बोझ बनी हुई हैं. कविता का नाम है 'जवाब मांगेंगे'.
कविता के अल्फाज दिल को छू लेने वाले हैं-
कविता के शब्दों में मजदूरों के पसीने की महक का भी जिक्र है, तो वहीं हाल ही में रेल की पटरी पर मजदूरों के साथ हुए हादसे की दर्दनाक कहानी को भी बयां किया गया है. मजदूरों के मासूम बच्चों का जिक्र भी किया गया है. तो वहीं शहर से दूर जाने की मजबूरी को भी कवि कुमार विश्वास ने बखूबी शब्दों में पिरोया है. कविता सुनकर सामने आया मजदूरों का दर्द दिल को पसीज कर रख देने वाला है. सवाल है, कि कब मजदूरों उनकी मंजिल मिलेगी. अंत में वो कहते हैं कि ये सभी मजदूर एक ना एक दिन सबसे जवाब मांगेंगे.