नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर तीन महीने से किसानों का आंदोलन जारी है. कई दौर की वार्ताएं हुई, लेकिन किसानों की समस्याओं का कोई हल नहीं निकल पाया है. आंदोलनकारी किसान आज भी बाबा महेंद्र सिंह टिकैत को याद करते हैं. आंदोलन में बाबा टिकैत की अगुवाई में हुए 1998 बोट क्लब आंदोलन का भी जिक्र होता है. बाबा टिकैत केवल किसान नेता ही नहीं बल्कि किसानों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े हुए थे.
रामराजी ने सुनाए कई किस्से
रामराजी ने सुनाए कई किस्से
हरियाणा के जींद के रहने वाले किसान रामराजी 21 साल की उम्र से बाबा महेंद्र टिकैत से जुड़े हैं. बाबा टिकैत के स्वर्गवास के बाद भी रामराजी का टिकैत परिवार से नाता नहीं टूटा. रामराजी बीते तीन महीने से भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की अगुवाई में चल रहे किसान आंदोलन में डटे हुए हैं. आंदोलन स्थल पर बीते तीन महीने से जल रही बाबा टिकट की अखंड ज्योति को जलाते हैं.
रामराजी बताते है कि वो 1999 के यूरोप टूर में बाबा महेंद्र टिकैत के साथ हवाई जहाज से जा रहे थे. इस दौरान बाबा के साथ एक किसान उनका हुक्का लेकर प्लेन में पहुंचा तो एयर होस्टेस ने हुक्के को हवाई जहाज में ले जाने से मना किया. जिस पर बाबा महेंद्र सिंह टिकैत भी हवाई जहाज से नीचे उतर कर खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि जब हवाई जहाज में उनका हुक्का नहीं जा सकता तो वह भी हवाई जहाज में नहीं जाएंगे. इस पर अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए. आनन-फानन में एक मीटिंग करके बाबा महेंद्र सिंह टिकैत को हवाई जहाज़ में हुक्का ले जाने की इजाजत दे दी गई.
उन्होंने बताया कि वह बाबा टिकैत के साथ 9 देशों की यात्रा कर चुके हैं. रामराजी बताते हैं कि बाबा टिकैत की सादगी इतनी थी कि वह लंदन, जर्मनी आदि में भी हवाई चप्पलों में रहते थे. उनका कहना था कि पहले की सरकार किसानों की बात सुनती थी लेकिन अबकी सरकार अपनी हठधर्मिता पर कुछ नहीं हुई है.