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किसान आंदोलन: 53 साल से जल रही अखंड ज्योति का महत्व, जानिए कैसे 1967 से नहीं बुझी - अखंड ज्योति का महत्व गाजियाबाद

साल 1967 में यूपी के मुजफ्फरनगर में किसानों ने एक बड़ा आंदोलन किया था. उस आंदलोन में शहीद होने वाले किसानों को याद करते हुए तब से अखंड ज्योति को जलाया गया था. इसी अखंड ज्योति से आज इस किसान आंदोलन में किसानों को प्रेरणा मिलती है. इस खबर में जानिए अखंड ज्योति की विशेषता.

know the importance of akhand jyoti in the farmers protest at ghaziabad and delhi
किसान आंदोलन में अखंड ज्योति का महत्व
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Published : Jan 3, 2021, 10:48 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: पिछले 53 सालों से एक अखंड ज्योत जल रही है. इसी अखंड ज्योत से किसानों को आंदोलन में सफलता पाने की प्रेरणा मिलती है. इस अखंड ज्योत को आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली और यूपी की सीमा पर किसानों का जो आंदोलन 1 महीने से ज्यादा से चल रहा है, उसी आंदोलन में ये अखंड ज्योत भी शामिल है. साल 1967 में यूपी के मुजफ्फरनगर में किसानों ने एक बड़ा आंदोलन किया था. बिजली की बढ़ी हुई कीमतों को लेकर ये आंदोलन किया गया था. उस आंदोलन में शहीद हुए किसानों की शहादत के बाद इस अखंड ज्योति को जलाया गया था. रोजाना इस ज्योति में घी अर्पित किया जाता है.

किसान आंदोलन में अखंड ज्योति का महत्व

53 सालों से बुझने नहीं दिया

53 सालों से इस अखंड ज्योत को बुझने नहीं दिया गया है. ये ज्योत किसानों की आस्था का प्रतीक है. किसानों के मसीहा कहे जाने वाले बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के चाचा ने 1967 के आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी. तभी उन्होंने इस ज्योत को जलाया था. किसान मानते हैं कि जिस भी आंदोलन में ये ज्योत पहुंचती है, वो आंदोलन जरूर सफल होता है. किसान इस ज्योत को हमेशा नमन करते हैं. इस समय गाजियाबाद में लगातार बारिश हो रही है, और बारिश से इस ज्योत को बचाने के लिए टेंट का सहारा लिया गया है. जहां पर कुछ किसान इस ज्योत की निगरानी में लगे हुए हैं.

ये भी पढ़ें:-किसान आंदोलन में ब्रिटेन की संस्था के पोस्टर, किसान नेता बोले- नहीं जानते किसने लगाए

सुबह-शाम करते हैं पूजा अर्चना

किसान सुबह शाम इस ज्योत के सामने पूजा अर्चना करते हैं. किसानों का कहना है कि ये ज्योत आजीवन इसी तरह जलती रहेगी. चाहे उनके आंदोलन में कितनी भी बाधाएं आएं. चाहे बारिश की वजह से उनके टेंट और बिस्तर खराब हो गए हों, लेकिन वे डटे रहेंगे. उनका कहना है कि उनके मसीहा बाबा टिकैत की छवि उन्हें इस ज्योत में नजर आती है, जो उन्हें सारी बाधाओं से लड़ने का हौसला प्रदान करती है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: पिछले 53 सालों से एक अखंड ज्योत जल रही है. इसी अखंड ज्योत से किसानों को आंदोलन में सफलता पाने की प्रेरणा मिलती है. इस अखंड ज्योत को आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली और यूपी की सीमा पर किसानों का जो आंदोलन 1 महीने से ज्यादा से चल रहा है, उसी आंदोलन में ये अखंड ज्योत भी शामिल है. साल 1967 में यूपी के मुजफ्फरनगर में किसानों ने एक बड़ा आंदोलन किया था. बिजली की बढ़ी हुई कीमतों को लेकर ये आंदोलन किया गया था. उस आंदोलन में शहीद हुए किसानों की शहादत के बाद इस अखंड ज्योति को जलाया गया था. रोजाना इस ज्योति में घी अर्पित किया जाता है.

किसान आंदोलन में अखंड ज्योति का महत्व

53 सालों से बुझने नहीं दिया

53 सालों से इस अखंड ज्योत को बुझने नहीं दिया गया है. ये ज्योत किसानों की आस्था का प्रतीक है. किसानों के मसीहा कहे जाने वाले बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के चाचा ने 1967 के आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी. तभी उन्होंने इस ज्योत को जलाया था. किसान मानते हैं कि जिस भी आंदोलन में ये ज्योत पहुंचती है, वो आंदोलन जरूर सफल होता है. किसान इस ज्योत को हमेशा नमन करते हैं. इस समय गाजियाबाद में लगातार बारिश हो रही है, और बारिश से इस ज्योत को बचाने के लिए टेंट का सहारा लिया गया है. जहां पर कुछ किसान इस ज्योत की निगरानी में लगे हुए हैं.

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सुबह-शाम करते हैं पूजा अर्चना

किसान सुबह शाम इस ज्योत के सामने पूजा अर्चना करते हैं. किसानों का कहना है कि ये ज्योत आजीवन इसी तरह जलती रहेगी. चाहे उनके आंदोलन में कितनी भी बाधाएं आएं. चाहे बारिश की वजह से उनके टेंट और बिस्तर खराब हो गए हों, लेकिन वे डटे रहेंगे. उनका कहना है कि उनके मसीहा बाबा टिकैत की छवि उन्हें इस ज्योत में नजर आती है, जो उन्हें सारी बाधाओं से लड़ने का हौसला प्रदान करती है.

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