नई दिल्ली/गाजियाबाद: दो वर्ष पहले यानी 2 अक्टूबर 2018 को हरिद्वार से दिल्ली के लिए निकली किसान क्रांति यात्रा को दिल्ली यूपी की सीमा 'यूपी गेट' पर रोक दिया गया था. जिसके बाद किसानों ने यूपी गेट पर कब्जा कर लिया और "जय जवान-जय किसान" के नारे के साथ केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आक्रामक तेवर दिखाए थे.
दिल्ली में घुसने के प्रयास के दौरान किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई थी. जिसमें कई किसान घायल हुए थे. जिसके बाद किसानों ने यूपी गेट का नाम किसान क्रांति गेट रख दिया था.
यूपी गेट पर यज्ञ का आयोजन
किसान क्रांति यात्रा 2018 की दूसरी वर्षगांठ पर भारतीय किसान यूनियन द्वारा यूपी गेट पर यज्ञ का आयोजन किया गया. कोविड-19 वैश्विक महामारी को मद्देनजर रखते हुए कम संख्या में किसान यूपी गेट पर एकत्रित हुए और यज्ञ किया.
भारतीय किसान यूनियन के एनसीआर अध्यक्ष सुभाष चौधरी ने कहा वर्ष 2018 में किसान हरिद्वार से अपनी मांगों को लेकर दिल्ली आ रहे थे और यूपी गेट पर सरकारों ने किसानों को रोक दिया था. यूपी गेट पर किसानों ने एक विशाल क्रांति को जन्म दिया था. किसान क्रांति यात्रा की वर्षगांठ पर प्रतिवर्ष यूपी गेट पर किसानों द्वारा हवन किया जाता है.
सुभाष चौधरी ने कहा-
आज किसान क्रांति यात्रा की दूसरी वर्षगांठ है. आज किसानों द्वारा 2 वर्ष पहले हुई क्रांति को याद किया गया. किसानों के साथ उस दिन की भयानक यादें जुड़ी हुई हैं. किसान 2 अक्टूबर 2018 को कभी नहीं भूल पाएगा. आज पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती है. लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था. 2 वर्ष पहले यूपी गेट पर सरकारों ने जवान और किसान को आपस में भिड़वाने का काम किया था.
सुभाष चौधरी ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार किसान विरोधी हैं. हाल ही में लाए गए कृषि बिलों से किसानों को काफी नुकसान होगा. इसी को लेकर 5 अक्टूबर को हरियाणा में महापंचायत का आयोजन होगा, जिसमें आगे की रणनीति तैयार की जाएगी.
किसानों के यज्ञ को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए. यूपी गेट पर दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस समेत पीएसी के जवान भी मुस्तैद दिखाई दिए.