नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोरोना काल के दौरान प्राइवेट स्कूलों द्वारा बढ़ाई गई स्कूल फीस माफी को लेकर मोदीनगर के अभिभावक संघ 8 दिन से धरने पर बैठे हुए हैं. लेकिन धरने के 8 दिन बीत जाने के बावजूद उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है. इससे पहले 4 दिन पूर्व उप जिलाधिकारी सौम्या पांडे के समक्ष अभिभावक संघ और स्कूल प्रबंधकों की एक वार्ता हुई थी.
जिसमें अभिभावकों ने अपनी परेशानी को स्कूल प्रबंधकों के समक्ष रखा था. काफी लंबी वार्ता के बाद भी कोई निस्तारण निकलता दिखाई नहीं दिया. इसके बाद से अपनी मांगो को लेकर अभिभावक संघ 3 दिन से क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं.
धरने पर बैठे अभिभावक कौशल वशिष्ठ ने बताया कि वह इस बात के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं है कि स्कूल में बच्चों की फीस जमा ना हो. वह समझते हैं कि अगर स्कूल में बच्चों की फीस जमा होगी तभी तो स्कूल चल पाएगा और उसमें पढ़ाने वाले शिक्षकों को सैलरी मिल पाएगी. लेकिन उनकी समस्या यह है कि कोरोना काल के दौरान जो स्कूलों ने फीस बढ़ाई है और फीस जमा न करने पर बच्चों के नाम काट दिए जा रहे हैं. इसीलिए वह तीन प्रमुख मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं. जिसमें पहली मांग यह है कि बढ़ी हुई फीस वापस ली जाए और मेंटेनेंस फीस ना लेकर सिर्फ ट्यूशन फीस ली जाए.
8 दिन से धरने पर बैठे हैं अभिभावक
अभिभावकों के साथ धरने पर बैठे मोदीनगर समाजवादी पार्टी के नगर अध्यक्ष मनीष बंसल ने बताया कि आज उनके धरने का 8वां दिन और क्रमिक भूख हड़ताल का तीसरा दिन है. आज भी पांच से छह लोगों भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी. उनकी क्रमिक भूख हड़ताल जारी रहेगी.
ट्यूशन फीस देने को है तैयार
अभिभावकों के धरने को समर्थन देने पहुंचे बसपा के पूर्व मोदीनगर विधानसभा अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने बताया कि वह अभिभावकों के धरने को समर्थन करते हैं और उनका मानना है कि अभिभावक संघ और स्कूल एक दूसरे के पूरक हैं. क्योंकि हम जब स्कूल फीस देते हैं तभी स्कूल चलते हैं. आज पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैली हुई है. ऐसे में स्कूलों का दायित्व बनता है कि वह जो एक्सट्रा फीस ले रहे हैं. उसमें छूट दी जाए.
धरने को समर्थन देने पहुंचे राजनेता
धरने को समर्थन देने पहुंचे मोदीनगर नगर पालिका परिषद के पूर्व सभासद प्रभाकर शर्मा ने बताया कि मेरा बेटा मोदीनगर के दयावती स्कूल में पढ़ता है और उनके पास मैसेज आ रहे हैं कि जिसमें 22500 रूपये की डिमांड हो रही है. उनका कहना है कि कोरोना काल में दुकानें बंद हो गई है. काम धंधे सब चौपट हो गए हैं. ऐसे में घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है. ऑनलाइन पढ़ाई भी संभव नहीं हो पा रही है. मजबूरी मेें उनको बच्चों को दो से तीन ट्यूशन पढ़ाने पड़ रहे हैं. इसीलिए वह स्कूल प्रबंधक से अनुरोध करते हैं कि इस कोरोना काल में अपनी स्कूल फीस में कटौती करके वह दया दिखाएं.