नई दिल्ली/गाजियाबादः सनातन धर्म में सावन महीने का विशेष महत्व होता है. हिंदू पंचांग का यह पांचवा महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस महीने में भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाए तो वह अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित सभी कामनाओं की पूर्ति होती है. भगवान शिव के भक्तों के लिए पूरा महीना खास होता है. सावन के महीने में मौजूदा समय में सड़कों पर कांवरियों का जनसैलाब नजर आ रहा है. कोरोना के चलते बीते दो सालों के दौरान कावड़ यात्रा नहीं हुई तो ऐसे में इस साल श्रद्धालुओं की तादाद में काफी इजाफा हुआ है.
दिल्ली के नजफगढ़ के कोटला गांव के रहने वाले किरणपाल भी उन्हीं में से एक हैं. वे बताते हैं कि जब वह नौ महीने के थे तब उन्हें बुखार हुआ था. बुखार के दौरान उन्हें इंजेक्शन लगाया गया. जिसके बाद उनके एक पैर में पोलियो हो गया. जिसके बाद से किरण पाल ठीक से चल नहीं पाते हैं. भले ही किरण पाल का एक पैर पोलियो से ग्रसित है लेकिन उनके मन में भगवान भोलेनाथ को लेकर काफी आस्था. किरण पाल बीते 10 सालों से हरिद्वार से कावड़ आ रहे हैं.
किरणपाल बताते हैं कि 12 जुलाई को दिल्ली से हरिद्वार के लिए रवाना हुए थे. 13 जुलाई को हरिद्वार पहुंचे. 15 जुलाई को हरिद्वार से रवाना हुए थे. सात दिनों में तकरीबन 200 किलोमीटर का रास्ता तय किया है. हर दिन करीब 30 से 40 किलोमीटर पैदल कावड़ यात्रा करते हैं. रात में इस शिविर में विश्राम करते हैं सुबह चार बजते ही फिर कांवड़ उठा कर आगे बढ़ते हैं. चलने में परेशानी होती है, लेकिन भोलेनाथ के आशीर्वाद से कोई परेशानी नहीं होती है.
ये भी पढ़ेंः गाजियाबाद में 'छोटा हरिद्वार' : सावन में उमड़ता है श्रद्धालुओं का जनसैलाब, जानें इसके महत्व काे
वहीं, दिल्ली उत्तम नगर के रहने वाले जगदीश प्रसाद के पैर में बचपन से ही पोलियो की शिकायत है. जगदीश प्रसाद के साथ ही बताते हैं कि चलने फिरने में उन्हें काफी परेशानी होती है कई बार तो चलते-चलते गिर जाते हैं लेकिन फिर भी उनका हौसला नहीं टूटता. भोलेनाथ के आशीर्वाद से मन में आस्था लिए आगे बढ़ रहे हैं. लगभग 200 किलोमीटर का सफर तय कर लिया है कल शाम तक दिल्ली पहुंच जाएंगे.