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जानें गाजियाबाद के प्राचीन धूमेश्वर महादेव शिव मंदिर का इतिहास

गाजियाबाद के सुराना गांव में सदियों से रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है और आज संयोगवश रक्षाबंधन का त्यौहार और सावन का आखिरी सोमवार एक साथ आ गया है. ऐसे में सुराना गांव के लोगों ने बिना किसी दुविधा के प्राचीन धूमेश्वर मंदिर में जलाभिषेक करके खुशी जताई है.

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Published : Aug 3, 2020, 7:46 PM IST

History of ancient Dhumeshwar Mahadev Shiva temple
प्राचीन धूमेश्वर महादेव शिव मंदिर का इतिहास

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जनपद गाजियाबाद का सुराना गांव जोकि अपने आप में सदियों पुराना इतिहास समेटे हुए हैं. इस गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है, क्योंकि रक्षाबंधन के दिन मोहम्मद गोरी ने आक्रमण करके पूरे गांव को हाथियों के पैरों तले कुचलवा दिया था, जब से अब तक इस गांव में रक्षाबंधन नहीं बनाया जाता है और अगर कोई मनाता भी है, तो गांव में अपशगुन हो जाता है.

प्राचीन धूमेश्वर महादेव शिव मंदिर का इतिहास
इसी प्राचीन गांव सोहनगढ़ जोकि अब सुराना गांव के नाम से जाना जाता है, इसमें मोहम्मद गौरी के आक्रमण का गवाह सदियों पुराना प्राचीन घुमेश्वर महादेव शिव मंदिर मौजूद है, जो कि हिंडन नदी किनारे स्थित है. आखिर अब कैसा दिखता है, यह प्राचीन मंदिर और क्या है इस मंदिर की मान्यता. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम मंदिर पहुंची और मंदिर के प्रबंधक से की खास बातचीत. देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड जीरो से यह रिपोर्ट.

सदियों पुराना है मंदिर

ईटीवी भारत को सुराना गांव के प्राचीन घुमेश्वर महादेव शिव मंदिर के प्रबंधक मास्टर भगवत प्रसाद ने बताया कि इस वक्त मंदिर का जो प्रारूप है, वह 200 वर्ष पुराना है, जबकि मंदिर सदियों पुराना है. इसका नाम धूमेश्वर महादेव शिव मंदिर इसलिए रखा गया है, क्योंकि मंदिर के पीछे जो हिंडन नदी बह रही है, उसमें परशुराम द्वारा पुरा महादेव से बहते हुए शिवलिंग आया था, जोकि अब मंदिर में स्थापित है. उस समय गांव का नाम सोहनगढ़ था. लेकिन मुगलों के शासन काल में रक्षाबंधन के दिन इस गांव पर मोहम्मद गोरी ने आक्रमण करके पूरे गांव को तबाह कर दिया था, जिसको फिर से बसाया गया है और इसका नाम सुराना रखा गया है.


सावन के आखिरी सोमवार पर श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

इसके साथ ही मंदिर के प्रबंधक ने बताया कि आज सावन के आखिरी सोमवार के दिन ही संयोग से रक्षाबंधन का त्यौहार भी है, लेकिन रक्षाबंधन के त्यौहार की वजह से सावन के सोमवार में कोई दिक्कत नहीं आई है. श्रद्धालुओं ने खुशी-खुशी शिवलिंग पर जलाभिषेक किया है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जनपद गाजियाबाद का सुराना गांव जोकि अपने आप में सदियों पुराना इतिहास समेटे हुए हैं. इस गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है, क्योंकि रक्षाबंधन के दिन मोहम्मद गोरी ने आक्रमण करके पूरे गांव को हाथियों के पैरों तले कुचलवा दिया था, जब से अब तक इस गांव में रक्षाबंधन नहीं बनाया जाता है और अगर कोई मनाता भी है, तो गांव में अपशगुन हो जाता है.

प्राचीन धूमेश्वर महादेव शिव मंदिर का इतिहास
इसी प्राचीन गांव सोहनगढ़ जोकि अब सुराना गांव के नाम से जाना जाता है, इसमें मोहम्मद गौरी के आक्रमण का गवाह सदियों पुराना प्राचीन घुमेश्वर महादेव शिव मंदिर मौजूद है, जो कि हिंडन नदी किनारे स्थित है. आखिर अब कैसा दिखता है, यह प्राचीन मंदिर और क्या है इस मंदिर की मान्यता. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम मंदिर पहुंची और मंदिर के प्रबंधक से की खास बातचीत. देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड जीरो से यह रिपोर्ट.

सदियों पुराना है मंदिर

ईटीवी भारत को सुराना गांव के प्राचीन घुमेश्वर महादेव शिव मंदिर के प्रबंधक मास्टर भगवत प्रसाद ने बताया कि इस वक्त मंदिर का जो प्रारूप है, वह 200 वर्ष पुराना है, जबकि मंदिर सदियों पुराना है. इसका नाम धूमेश्वर महादेव शिव मंदिर इसलिए रखा गया है, क्योंकि मंदिर के पीछे जो हिंडन नदी बह रही है, उसमें परशुराम द्वारा पुरा महादेव से बहते हुए शिवलिंग आया था, जोकि अब मंदिर में स्थापित है. उस समय गांव का नाम सोहनगढ़ था. लेकिन मुगलों के शासन काल में रक्षाबंधन के दिन इस गांव पर मोहम्मद गोरी ने आक्रमण करके पूरे गांव को तबाह कर दिया था, जिसको फिर से बसाया गया है और इसका नाम सुराना रखा गया है.


सावन के आखिरी सोमवार पर श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

इसके साथ ही मंदिर के प्रबंधक ने बताया कि आज सावन के आखिरी सोमवार के दिन ही संयोग से रक्षाबंधन का त्यौहार भी है, लेकिन रक्षाबंधन के त्यौहार की वजह से सावन के सोमवार में कोई दिक्कत नहीं आई है. श्रद्धालुओं ने खुशी-खुशी शिवलिंग पर जलाभिषेक किया है.

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