नई दिल्ली/ गाजियाबाद: लोहिया नगर स्थित हिंदी भवन का आवंटन 13 साल पहले रद्द होने के बावजूद जीडीए अधिकारियों की लापरवाही के कारण अब तक जीडीए को इस जमीन पर कब्जा नहीं मिला है. राज्य सरकार तक मामला पहुंचने के बाद अब सरकार ने जीडीए से लापरवाह अधिकारियों की सूची मांगी है.
बता दें कि वर्ष 2006 से अबतक प्रवर्तन, व्यवसायिक और नियोजन विभाग के कई अधिकारी व कर्मचारी इस मामले की जद में आ सकते हैं.
गौरतलब है कि हिंदी भवन बनाने के लिए 24 मार्च 1986 को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण से 3 हज़ार 8 सौ 38 वर्ग मीटर जमीन रियायती दरों पर आवंटित की गई थी और तत्कालीन हिंदी भवन समिति के अध्यक्ष हरि प्रसाद शास्त्री को कब्जा दिया गया था.
उस वक्त जमीन की कीमत 3 लाख 37 हज़ार 747 रुपय तय हुई थी. समिति की तरफ से जमीन आवंटन के बाद 60 हज़ार रुपये जमा कराए गए थे. इसके कई वर्ष बीत जाने के बावजूद समिति ने बकाया राशि जमा नहीं की. इसके साथ ही शर्तों का उल्लंघन भी किया. इसी आधार पर वर्ष 2006 में हिंदी भवन की भूमि का आवंटन निरस्त कर दिया गया था.
बता दें कि हिंदी भवन का आवंटन निरस्त होने के बावजूद समिति ने हिंदी भवन का भव्य निर्माण कराया. 4 जुलाई 2014 को तत्कालीन जीडीए अध्यक्ष ने इसका लोकार्पण किया था. जबकि वर्ष 2006 में ही जीडीए द्वारा हिंदी भवन की भूमि का आवंटन निरस्त कर दिया गया था.