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गाजियाबाद में बिक रहा 'खूनी जूस' - गाजियाबाद का फ्रूट केन

गाजियाबाद में गर्मी ने लोगों का बुरा हाल कर रखा है. ऐसे में लोग अपने सूख रहे गले को जूस से तर करने के लिए जूस की दुकानों का रुख कर रहे हैं. इन दिनों गाजियाबाद के लोगों में एक जूस काफी चर्चा में है, जिसका नाम है खूनी जूस. तो चलिए जानते हैं आखिर क्या है खूनी जूस ?

मैकेनिकल इंजीनियर नौकरी बेच रहा है "खूनी जूस"
मैकेनिकल इंजीनियर नौकरी बेच रहा है "खूनी जूस"
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Published : Mar 28, 2022, 7:04 PM IST

Updated : Mar 28, 2022, 10:40 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : इस बार होली से पहले ही दिल्ली में गर्मी महसूस होने लगी थी. होली के बाद मौसम में और तल्खी आ गई. मौसम विभाग की मानें तो इस साल गर्मी के चलते दिल्ली NCR के लोगों की परेशानी कई गुना तक बढ़ा सकती है. गर्मी का मौसम शुरू होते ही जूस की दुकानें भी गुलजार हो गई हैं. गर्मी से सूख रहे गले को जूस से तर करने के लिए लोग जूस की दुकानों का रुख कर रहे हैं.

बाजार में तरह-तरह के जूस मौजूद हैं. साथ ही कई बड़ी कंपनियां सभी फलों के जूस बाजार में बेच रही हैं, लेकिन गाजियाबाद में इन दिनों एक जूस काफी चर्चा में है. जूस का नाम है खूनी जूस. दरअसल खूनी जूस नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि जूस शरीर में खून बढ़ाने का काम करता है साथ ही ताकत भी देता है. खास बात यह है कि खूनी जूस एक ऐसे पैकेट में आता है जो कि हू-ब-हू ब्लड बैंक से मिलने वाली खून की थैली जैसा दिखाई देता है. खूनी जूस गन्ने और चुकंदर के जूस से मिलकर तैयार होता है.

गाजियाबाद में बिक रहा 'खूनी जूस'

गाजियाबाद के कविनगर इलाके की रहने वाले शशांक तोमर ने Fruit Cane के नाम से स्टार्टअप शुरू किया है. शशांक ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर रखी है. शशांक एक अमेरिकन कंपनी में नौकरी करते थे लेकिन अचानक से उनकी नौकरी चली गई. नौकरी चले जाने के बाद उन्होंने अपना सेटअप शुरू करने का सोचा. उन्होंने इस्टार्टअप शुरू ही किया था कि लॉकडाउन लग गया. अब कोरोना समाप्त होने के बाद उन्होंने अपने स्टार्टअप को दोबारा शुरू किया है. शशांक बताते हैं कि बाजार में जूस तो कई तरह के मिलते हैं लेकिन अधिकतर जूस के स्टालों पर साफ सफाई के साथ जूस तैयार नहीं किया जाता है. उन्होंने एक ऐसा एक स्टार्टअप शुरू किया है जहां पर सफाई का बेहद ख्याल रखा जाता है.

आधुनिक मशीनों से जूस निकाला जाता है. जो हमने शशांक से पूछा कि उन्होंने जूस का नाम खूनी जूस क्यों रखा है तो उनका कहना था कि पहली बात तो यह जूस खून की तरह दिखता है और दूसरी बात जिस पैकिंग में जूस भरकर देते हैं वह पैकेट ब्लड बैंक से मिलने वाले खून की थैली की तरह दिखाई देता है. शशांक बताते हैं कि बाजार में जूस तो कई तरह के मिलते हैं लेकिन अधिकतर जूस के स्टालों पर साफ सफाई के साथ जूस तैयार नहीं किया जाता है. उन्होंने एक ऐसा एक स्टार्टअप शुरू किया है जहां पर सफाई का बेहद ख्याल रखा जाता है. आधुनिक मशीनों से जूस निकाला जाता है. जो हमने शशांक से पूछा कि उन्होंने जूस का नाम खूनी जूस क्यों रखा है तो उनका कहना था कि पहली बात तो यह जूस खून की तरह दिखता है और दूसरी बात जिस पैकिंग में जूस भरकर देते हैं वह पैकेट ब्लड बैंक से मिलने वाले खून की थैली की तरह दिखाई देता है.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद : इस बार होली से पहले ही दिल्ली में गर्मी महसूस होने लगी थी. होली के बाद मौसम में और तल्खी आ गई. मौसम विभाग की मानें तो इस साल गर्मी के चलते दिल्ली NCR के लोगों की परेशानी कई गुना तक बढ़ा सकती है. गर्मी का मौसम शुरू होते ही जूस की दुकानें भी गुलजार हो गई हैं. गर्मी से सूख रहे गले को जूस से तर करने के लिए लोग जूस की दुकानों का रुख कर रहे हैं.

बाजार में तरह-तरह के जूस मौजूद हैं. साथ ही कई बड़ी कंपनियां सभी फलों के जूस बाजार में बेच रही हैं, लेकिन गाजियाबाद में इन दिनों एक जूस काफी चर्चा में है. जूस का नाम है खूनी जूस. दरअसल खूनी जूस नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि जूस शरीर में खून बढ़ाने का काम करता है साथ ही ताकत भी देता है. खास बात यह है कि खूनी जूस एक ऐसे पैकेट में आता है जो कि हू-ब-हू ब्लड बैंक से मिलने वाली खून की थैली जैसा दिखाई देता है. खूनी जूस गन्ने और चुकंदर के जूस से मिलकर तैयार होता है.

गाजियाबाद में बिक रहा 'खूनी जूस'

गाजियाबाद के कविनगर इलाके की रहने वाले शशांक तोमर ने Fruit Cane के नाम से स्टार्टअप शुरू किया है. शशांक ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर रखी है. शशांक एक अमेरिकन कंपनी में नौकरी करते थे लेकिन अचानक से उनकी नौकरी चली गई. नौकरी चले जाने के बाद उन्होंने अपना सेटअप शुरू करने का सोचा. उन्होंने इस्टार्टअप शुरू ही किया था कि लॉकडाउन लग गया. अब कोरोना समाप्त होने के बाद उन्होंने अपने स्टार्टअप को दोबारा शुरू किया है. शशांक बताते हैं कि बाजार में जूस तो कई तरह के मिलते हैं लेकिन अधिकतर जूस के स्टालों पर साफ सफाई के साथ जूस तैयार नहीं किया जाता है. उन्होंने एक ऐसा एक स्टार्टअप शुरू किया है जहां पर सफाई का बेहद ख्याल रखा जाता है.

आधुनिक मशीनों से जूस निकाला जाता है. जो हमने शशांक से पूछा कि उन्होंने जूस का नाम खूनी जूस क्यों रखा है तो उनका कहना था कि पहली बात तो यह जूस खून की तरह दिखता है और दूसरी बात जिस पैकिंग में जूस भरकर देते हैं वह पैकेट ब्लड बैंक से मिलने वाले खून की थैली की तरह दिखाई देता है. शशांक बताते हैं कि बाजार में जूस तो कई तरह के मिलते हैं लेकिन अधिकतर जूस के स्टालों पर साफ सफाई के साथ जूस तैयार नहीं किया जाता है. उन्होंने एक ऐसा एक स्टार्टअप शुरू किया है जहां पर सफाई का बेहद ख्याल रखा जाता है. आधुनिक मशीनों से जूस निकाला जाता है. जो हमने शशांक से पूछा कि उन्होंने जूस का नाम खूनी जूस क्यों रखा है तो उनका कहना था कि पहली बात तो यह जूस खून की तरह दिखता है और दूसरी बात जिस पैकिंग में जूस भरकर देते हैं वह पैकेट ब्लड बैंक से मिलने वाले खून की थैली की तरह दिखाई देता है.

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Last Updated : Mar 28, 2022, 10:40 PM IST
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