नई दिल्ली/गाजियाबाद: पिछले करीब 2 महीने से लापता हुए गाजियाबाद के बिल्डर विक्रम त्यागी के मामले में पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे हैं. सूत्रों की माने तो जल्द पुलिस इस मामले में बड़ा खुलासा कर सकती है. मेरठ जोन के आईजी प्रवीण कुमार ने भी इस बात के संकेत दिए हैं. उन्होंने बताया कि मामले में यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) से लेकर स्थानीय पुलिस की टीमें काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि मामले में कई सुराग मिल चुके हैं. जल्द मामले से सभी को अवगत कराया जा सकता है.
परिवार को दिया हुआ हर आश्वासन फेल
आपको बता दें कि विक्रम त्यागी की गुमशुदगी के बाद से यह सवाल उठ रहा था कि विक्रम त्यागी के साथ क्या हुआ है. इस सवाल का जवाब अभी भी नहीं मिल पाया है. परिवार जब भी पुलिस अधिकारियों के पास जाता है, तो उन्हें सिर्फ आश्वासन मिलता है. कई बार ऐसे आश्वासन अब तक फेल हो चुके हैं. ऐसे में परिवार लगातार गाजियाबाद के अधिकारियों से लेकर लखनऊ तक गुहार लगा रहा है. लेकिन फिर भी राजनगर एक्सटेंशन के रहने वाले बिल्डर कारोबारी विक्रम त्यागी के मामले में सुई जितनी जानकारी भी आगे नहीं बढ़ पाई है.
क्या बदमाशों की कैद में विक्रम त्यागी
जून महीने से लापता बिल्डर विक्रम त्यागी के बारे में सोचकर भी परिवार सिहर जाता है. क्या विक्रम अभी भी बदमाशों की कैद में है? अगर ऐसा है तो अब तक किसी भी तरह की फिरौती का फोन कॉल क्यों नहीं आया? विक्रम की गाड़ी से खून बरामद हुआ था, जो डीएनए में विक्रम से मैच हुआ था. तो क्या विक्रम त्यागी का खून कर दिया गया है? या फिर विक्रम का खून गाड़ी में छोड़ने के पीछे किसी और तरह की मंशा जाहिर करने की कोशिश की गई थी?
पुलिसकर्मी को पहले मिली थी गाड़ी
विक्रम की गाड़ी को मुजफ्फरनगर के पास छोड़े जाने से पहले एक पुलिसकर्मी ने देखा था. गाड़ी में 2 लोग सवार थे. जिन्होंने खुद को दिल्ली पुलिस से बताया था. अगर वाकई वह बदमाश थे, तो क्या उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड मिल पाया? क्योंकि पुलिस चाहती तो दोनों बदमाशों को गाड़ी में देखने वाले पुलिसकर्मी से बदमाशों का स्केच बनवा कर, उनका हुलिया मौजूदा बदमाशों से मैच कर सकती थी. विक्रम त्यागी मामले में राजनीति भी गरमा रही है. लगातार राजनेता विक्रम त्यागी के घर पहुंच रहे हैं लेकिन उसके बावजूद भी सुराग नहीं मिलने से परिवार और व्यापारी परेशान हैं. देखना यह होगा कि अब फिर से सुराग मिलने का दावा करने वाली पुलिस कब तक मामले में उम्मीद की रोशनी डाल पाती है.