नई दिल्ली/गाजियाबाद : अगर आप दिल्ली एनसीआर में रहते हैं और सेकंड हैंड गाड़ी खरीद रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. क्योंकि एनसीआर में 100 से ज्यादा ऐसी गाड़ियां बेची जा चुकी हैं, जो चोरी की हैं. लेकिन उनके दस्तावेज असली गाड़ियों के हैं.
गाजियाबाद में मसूरी पुलिस ने एक ऐसे गैंग को पकड़ा है, जो चोरी की गाड़ियों के नंबर प्लेट, रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर को बदल देता था. इन नंबरों को पुरानी स्क्रैप हो चुकी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर से बदला जाता था. इसके बाद चोरी की गाड़ी के साथ वही दस्तावेज इस्तेमाल करके उन्हें मार्केट में ग्राहक तलाश कर बेच दिया जाता था.
पुलिस के मुताबिक, अब तक 100 से ज्यादा गाड़ियां यह गैंग दिल्ली-एनसीआर से चोरी करके इसी तरह से बेच चुका था. हालांकि मामले में दो आरोपी को पुलिस ने पकड़ा हैं, जिनसे 10 गाड़ियां बरामद हुई हैं. पुलिस खुद मान रही है कि अभी तक ऐसे कई वाहन स्वामियों को इस बात की जानकारी तक नहीं होगी कि वह चोरी की गाड़ी चला रहे हैं. क्योंकि उनको जो दस्तावेज दिए गए हैं, वह असली गाड़ी के दिए गए हैं. चेसिस नंबर और रजिस्ट्रेशन नंबर भी स्क्रैप गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नंबर से एक्सचेंज कर दिए गए थे.
दरअसल, जो गाड़ियां स्क्रैप हो चुकी होती हैं, उनके मालिक उन गाड़ियों को कबाड़ी को बेच देते हैं. गाड़ी के साथ सेल लेटर भी दिया जाता है. कबाड़ी द्वारा ऐसी गाड़ियों को कबाड़ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन दस्तावेज कबाड़ी को देना जरूरी होता है. पुलिस को पता चला है कि कुछ कबाड़ियों से मिलीभगत करके इस गैंग ने स्क्रैप गाड़ियों के दस्तावेज हासिल कर लिए. जिन गाड़ियों के दस्तावेज हासिल किए गए, उन्हीं मॉडल की गाड़ी को चोरों ने चोरी किया. इसके बाद रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर बदल दिया. इससे गाड़ी के दस्तावेज ऑनलाइन चेक करने पर भी फर्जीवाड़ा सामने नहीं आता था. मार्केट में ऐसे बहुत ग्राहक मिल जाते हैं, जो काफी पुरानी गाड़ियां खरीदना चाहते हैं. उन्हीं को यह तलाश कर संबंधित मॉडल और ईयर की गाड़ियां बेच दिया करते थे.
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इस मामले मामले में अभी 7 आरोपी फरार हैं. पुलिस को पता चला है कि जो चोर पकड़े गए हैं, वह इंदिरापुरम इलाके में एक वर्कशॉप चलाते थे. उसी वर्कशॉप पर गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नंबर में फेरबदल किया जाता था. यही नहीं वर्कशॉप पर आने वाले ग्राहकों को ही झांसे में लेकर उन्हें पुरानी चोरी की गाड़ियां बेच दी जाती थी.
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