नई दिल्ली/गाजियाबादः जिला मुख्यालय में लंबी वायरस को लेकर जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की और लंपी वायरस की रोकथाम और उपचार को लेकर (Dangers of Lumpy Virus in Ghaziabad) अधिकारियों को निर्देश दिए. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ महेश कुमार के मुताबिक गाजियाबाद में लगभग एक लाख दो हजार गौवंश पशु हैं. जिले में संचालित गौशालाओं की संख्या 22 है.
पशुपालन विभाग में कार्यरत कर्मियों और जिले में बनाए गए एपिसेंटर, आइसोलेशन सेंटर, कंट्रोल रूम तथा लंपी रोग के संबंध में जिले में की जा रही गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. महेश कुमार ने बताया कि वैक्सीनेशन और सैनिटाइजेशन का कार्य जनपद में युद्ध स्तर पर चल रहा है. कंट्रोल रूम में तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है. लंपी रोग से रोकथाम के लिए 10 टीमें गठित कर दी गई हैं और लक्षण युक्त पशुओं का उपचार जारी है.
युद्ध स्तर पर कार्य करने के निर्देश: जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कहा कि लंपी बीमारी एक संक्रामक बीमारी है और कोविड-19 समान ही यह वायरस के द्वारा फैलती है. इसमें पशु मृत्यु दर एक से दो पर्सेंट है. जिले में अभी केसों की संख्या कम है. इसकी रोकथाम के लिए अभी से युद्ध स्तर पर कार्य करना होगा ताकि इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सके. उन्होंने निर्देशित किया कि कोई भी निराश्रित एवं छुट्टा गोवंश संचालित गौशालाओं में संरक्षित नहीं किया जाए. अगर कोई छुट्टा पशु जो लक्षण युक्त है उसे जनपद में बनाए गए आइसोलेशन सेंटर में ही संरक्षित किया जाए ताकि अन्य पशु सुरक्षित रहें.
युद्ध स्तर पर फोगिंग करने के निर्देश: जिलाधिकारी ने बताया कि यह रोग मक्खी मच्छर तथा मानव के द्वारा भी फैलता है. मच्छर मक्खी से बचाव के लिए प्रत्येक ग्राम एवं शहर या कस्बों में फॉगिंग का कार्य युद्ध स्तर पर किया जाए तथा सैनिटाइजर का प्रयोग भी प्रत्येक दशा में किया जाए. लक्षण युक्त पशुओं के गोबर, मूत्र एवं लार का डिस्पोजल यथाशीघ्र किया जाए तथा गोबर को किसी गड्ढे में दबा दिया जाए. उन्होंने निर्देशित किया कि एपिसेंटर के 500 मीटर तक के रेडियस में जितने भी पशु प्रभावित हैं. उनके गोबर, मूत्र आदि का समुचित निस्तारण करवा लिया जाए एवं फॉगिंग और सैनिटाइजर कराया जाना सुनिश्चित कराया जाए.
जिले में पशु मेलों के आयोजन पर रोक: जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि लंपी रोग लक्षण तथा उसकी रोकथाम के लिए प्रचार-प्रसार पर विशेष ध्यान दें. खंड विकास अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि अपने अपने स्तर से यह भी सुनिश्चित करें कि समस्त ग्राम प्रधान अपने अपने गांव में इस रोग के विषय में लोगों को जागरूक करें. प्राइवेट गौशालाओं में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाए. पुलिस प्रशासन भी यह सुनिश्चित करें जनपद से बाहर का कोई भी पशु जनपद में प्रवेश नहीं करें. जनपद में पशुओं का आना जाना प्रतिबंधित रहेगा एवं जनपद में पशु मेले का आयोजन प्रत्येक दशा में न किया जाए तथा जनपद में बनाया गया कंट्रोल रूम सुचारू रूप से संचालित रहे एवं सूचना मिलने पर बीमार पशुओं को आइसोलेशन वार्ड में तुरंत शिफ्ट कराने की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए. मृत पशु को खुले में न छोड़े तथा उसको ढक कर किसी सुरक्षित स्थान पर गड्ढा खोदकर उसको डिस्पोजल किया जाए.
लापरवाही बरतने पर होगी कार्यवाही: जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि बिना अनुमति के कोई भी पशु चिकित्सा अधिकारी जनपद मुख्यालय नहीं छोड़ेगा. अगर ऐसा संज्ञान में आता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही संज्ञान में लाई जाएगी. जिलाधिकारी ने बैठक में अनुपस्थित पशु चिकित्सा अधिकारियों के स्पष्टीकरण के निर्देश मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को दिए.
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डेडीकेटेड आश्रय स्थल बनाने के निर्देश: जिलाधिकारी ने जनपद में संचालित अस्थायी/स्थायी गोवंश आश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंशों को लंपी स्किन डिजीज से बचाव हेतु पूर्ण व्यवस्था करने एवं लंपी स्किन डिजीज से प्रभावित गोवंश के लिए प्रत्येक विकास खंड स्तर एवं नगर निगम गाजियाबाद के क्षेत्र में 01-01 डेडिकेटेड गो आश्रय स्थल बनाने के निर्देश दिए. बैठक में जिलाधिकारी द्वारा जनपद के समस्त गोवंशों में लंपी स्किन डिजीज की रोकथाम के लिए टीकाकरण की समीक्षा की गई जिसमें उन्होंने पाया कि जनपद के लगभग 75 प्रतिशत गोवंशों में लंपी स्किन डिजीज की रोकथाम हेतु टीकाकरण किया जा चुका है.